श्रीनगर: उत्तराखंड के एक मात्र हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि का 10 दीक्षांत समारोह आयोजित किया जाएगा. 1 दिसम्बर को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि को 50 साल पूरे हो जाएंगे. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि का इतिहास खास है. इस विश्वविद्यालय के लिए गढ़वाल मंडल के हर जिले से आंदोलन की बयार चली थी. इस आंदोलन का नेतृत्व तब स्वामी मंथन ने किया था. आज इस विश्वविद्यालय से अब तक 20 लाख से अधिक छात्र हायर एजुकेशन प्राप्त कर देश विदेश के बड़े बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
इस विश्वविद्यालय ने प्रदेश को रमेश पोखरियाल निशंक, तीरथ सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, योगी आदित्यनाथ के रूप में यूपी और उत्तराखंड को मुख्यमंत्री दिए हैं. देश पूर्व यूजीसी चेयर मैन धीरेंद्र कुमार, शहरी विकास सचिव विनोद कुमार सुमन, शैलेन्द्र भदोला, नेशनल फिजिकल लेब्रोरेटरी के डायरेक्टर दिनेश असवाल, आईआईएससी के प्रोफेसर भगवती जोशी जैसे पूर्व छात्र दिए हैं. गढ़वाल विवि अब तक देश को 20 से अधिक आईएफएस दे चुका है.
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13 सितम्बर 1973 को उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्रदान हुई. उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 दिसम्बर 1973 की अधिसूचना जारी करते हुए इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया. जिससे राज्य के पांच जिलों पौड़ी, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी और देहरादून जिले को छात्रों को हायर एजुकेशन का एक जरिया मिला. इसके पूर्व छात्रों को पढ़ाई के लिए आगरा, लखनऊ, लाहौर, इलाहाबाद जाना पड़ता था. इस विवि के निर्माण के लिए लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे. सभी ने एक बड़ा आंदोलन किया. आंदोलन की चिंगारी श्रीनगर से शुरू हुई. जिसकी गूंज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुंची. उस दौर में इस विश्वविद्यालय को बनाने के लिए 700 एकड़ भूमि चाहिये थी. जिसको देखते हुए इसके तीन कैम्पस बनाये गए, जो आज भी पौड़ी, श्रीनगर और टिहरी में स्थित हैं.
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गढ़वाल विवि के इतिहास विभाग के प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह बिष्ट बताते हैं कि 1971 से लेकर 1973 तक पूरे गढवाल मंडल में एक बड़ा आंदोलन किया गया. जिसकी अगुवाई स्वामी मनमंथन ने की. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाओं की थी. उस 'हम गढ़वाली नारी है आग नहीं चिंगारी हैं', 'भरे जेल चाहे चले लाख गोली, चल झूलने को निहत्थों की टोली' काफी चर्चाओं में रहे. उन्होंने बताया विवि के निर्माण के समय पांच संकाय चला करते थे, जो आज बढ़कर 14 हो गये हैं. जिसमें 50 से अधिक विषय छात्रों को पढ़ाये जाते हैं. उन्होंने बताया कि कभी इस विश्वविद्यालय से 200 से ज्यादा कॉलेज एफिलेटेड थे. जिनकी संख्या अब 40 ही रह गई है.