पौड़ीः पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने ही कार्यकाल में बनी पौड़ी की ल्वाली झील के डिजाइन में अब खामियां नजर आ रही है. उनका कहना है कि इस झील का डिजाइन 30 से 40 साल पुराना है. साथ ही ल्वाली झील योजना के अनुसार नहीं बन पाई है. अब त्रिवेंद्र रावत निर्माणाधीन झील को लेकर जिलाधिकारी से वार्ता करने की बात कह रहे हैं.
गौर हो कि पौड़ी जिले के गग्वाड़स्यूं घाटी (Pauri Gagwarsyun Valley) में ल्वाली झील पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का ड्रीम प्रोजेक्ट (Bhuwan Chandra Khanduri Dream Project) था. जो त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में यानी साल 2019 में धरातल पर उतरा. 30 जून 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ल्वाली झील का शिलान्यास किया था.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा पर बनाई जा रही ल्वाली झील (Lawali Lake in Pauri) पौड़ी के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. जिसका मकसद पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना और रोजगार के साधन पैदा करना था. जिससे क्षेत्र का विकास हो और यहां आने वाले पर्यटकों से लोगों की आजीविका भी बढ़े. यहां 938 मीटर लंबी ल्वाली झील का निर्माण किया जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः बजट के अभाव में अधर में लटकी ल्वाली झील, चार महीने से काम ठप
पौड़ी की ल्वाली झील की प्रारंभिक लागत 6 करोड़ 92 लाख रखा गया था. इस बीच आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) ने झील का डिजाइन बदल दिया. जिसके बाद साढ़े 12 करोड़ का रिवाइज स्टीमेट शासन को भेजा गया. इस झील से 0.15 एमएलडी की पेयजल योजना भी बनाई जा रही है. इस काम को पेयजल निगम कर रहा है.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को नजर आ रही खामियांः अभी तक ल्वाली झील का 70 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. इतना ही नहीं झील के निर्माण में करीब 11 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former CM Trivendra Singh Rawat) को अब जाकर इस झील के डिजाइन में खामियां नजर आ रहीं हैं.
उनका कहना कि ल्वाली झील योजना के अनुसार नहीं बन पाई. झील का मौजूदा डिजाइन आज से 30 साल पुराना (Questions on Lawali Lake Design) है. यह झील लंबाई की बजाय चौड़ाई में होती तो बेहतर आकार में नजर आती. वो अब झील के सही आकार को लेकर जिलाधिकारी से बात करेंगे.