पौड़ी: उत्तराखंड में हरेला पर्व पर वन विभाग, सामाजिक संस्थाएं और सभी प्रदेशवासी हर साल भारी मात्रा में पौधारोपण करते हैं. लेकिन ये पौधे सालभर के भीतर ही उस स्थान से या तो नदारद हो जाते हैं, या फिर सूख जाते हैं. इसे लेकर वन पंचायत सलाहकार अध्यक्ष वीरेंद्र बिष्ट ने कहा कि लोग जिस तरह से अपने परिवार की परवरिश कर उसका ध्यान रखते हैं, ठीक उसी तरह से हरेला पर्व पर लगाए गए पौधों की भी देखभाल करनी चाहिए.
वन पंचायत सलाहकार अध्यक्ष वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि अगर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो भविष्य में ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी. इससे इंसान को सांस लेने में काफी दिक्कतें होंगी. पर्यावरण को शुद्ध रखने में पेड़-पौधे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा कुछ पशुओं और पक्षियों का ये आसरा भी होते हैं. ऐसे में लोगों को पौधे लगाने के बाद उनकी रोजाना देखभाल करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस बार हरेला पर्व पर राज्य सरकार ने करीब दो करोड़ से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. वहीं, जिन लोगों ने पौधे लगाए हैं, उन्हें इसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी.
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वहीं, उन्होंने कहा कि, जिस तरह लोग प्रतिदिन अपने परिवार की देखभाल करते हैं, ठीक उसी तरह से उन्हें लगाए गए पौधों की भी देख-रेख करना होगा, जिससे आने वाले समय में पर्यावरण स्वच्छ बना रहे और जलवायु शुद्ध बनी रहे. इसके अलावा पेड़ों के रहने से से हमारे पशु पक्षी भी सुरक्षित रह सकेंगे. उन्होंने कहा कि हरेला पर्व पर हर साल भारी मात्रा में पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन साल भर के भीतर ही वो गायब हो जाते हैं, जो कि चिंता का विषय है. अगर हमें पर्यावरण और जंगलों को बचाना है, तो हमें लगाए गए पौधों की जिम्मेदारी हर हाल में लेनी होगी.