श्रीनगर: पौड़ी जिले में फायर सीजन के शुरुआती दौर में ही वनाग्नि ने अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया है, जिसके बाद वन विभाग के उन तमाम दावों की पोल भी खोल गई है जो विभाग ने फायर सीजन से पहले किए थे. पौड़ी के शहरी से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक के जंगल आग की चपेट में हैं.
बता दें कि अभी गर्मियों के सीजन की शुरुआत भी सही से नहीं हुई है और जंगलों में ये स्थिति अभी से नजर आ रही है. जब अप्रैल-मई महीने में गर्मियां अपने चरम पर होंगी तब जंगलों की स्थिति कैसी रहेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में जंगल तो खतरे में है ही, वहां रहने वाले जंगली जीवों के जीवन पर ही संकट उत्पन्न होने लगा है.
हालांकि, वन विभाग के पास इसके अपने तर्क हैं. वन विभाग का कहना है कि वनाग्नि की घटनाओं के बढ़ने का कारण ये है कि सर्दियों मौसम में सही से बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है. जमीन में नमी न होने के चलते वो जल्दी गर्म हो रही है और जंगल में आग लग रही है.
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गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वप्निल स्वयं ये अंदेशा जता रहे हैं कि आने वाले दिनों में वनाग्नि अपना विकराल रूप दिखाएगी. डीएफओ ने आगे बताया कि फायर सीजन में फॉरेस्ट को आग से बचाने के लिए वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों और विभागीय टीम को जरूरी दिशा-निर्देश दे दिये गए हैं.
स्वप्निल ने बताया कि इस बार वन विभाग ने 43 क्रू स्टेशन भी स्थापित किए हैं. इन क्रू स्टेशन्स से वन कर्मी अपनी बीट के जंगलों पर नजर रख सकेंगे. इसके साथ ही वनाग्नि की घटनाओं की जानकारी आम नागरिक वन विभाग पहुंचा पाए इसके लिए मास्टर कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं, ताकि मौके पर तत्काल पहुंचकर वन संपदा को बचाया जा सके.