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उत्तराखंड के स्कूलों तक पहुंची जंगलों की धधकती आग, छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर उठे सवाल - घुड़दौड़ी क्षेत्र के सिविल जंगलों में भड़की आग

उत्तराखंड के जंगलों में धधकती आग अब स्कूलों तक पहुंचने लगी है. अभी तक तीन घटनाएं सामने आ चुकी है. चमोली के राजकीय इंटर कॉलेज केरादरुखाल में कई वनाग्नि की घटना हुई. इसके अलावा कोटद्वार के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चाड़ाखाल में भी वनाग्नि की घटना सामने आ चुकी है. इसके अलावा पौड़ी के घुड़दौड़ी कॉलेज परिसर में भी आग का विकराल रूप देखने को मिला है.

fire reached schools
स्कूलों तक पहुंची आग
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Published : Apr 28, 2022, 7:42 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी के चलते वनाग्नि ने अब तक के सब रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. वनाग्नि पहले आवासीय बस्तियों के समीप पहुंची और अब प्रदेश के सरकारी विद्यालयों तक पहुंच रही है. उत्तराखंड में अभी तक दो स्कूल वनाग्नि की चपेट में आ गए हैं. हालांकि, यह घटनाएं रात में होने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ. लेकिन स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. इस घटनाओं के बाद अब जाकर शिक्षा विभाग जागा है और सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि विद्यालयों के आसपास साफ-सफाई करवाई जाए, जिससे कि वनाग्नि की घटनाओं से बचा जा सके.

हालांकि, इन निर्देशों के बाद भी सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या पहाड़ों में सरकारी विद्यालयों के आसपास साफ-सफाई से ही वनाग्नि को स्कूलों तक पहुंचने से रोका जा सकता है. क्योंकि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के पहाड़ी जनपदों की बात करें, तो यहां पर आधे से ज्यादा सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जो कि चीड़ के जंगलों के बीच बने हुए हैं. ऐसी स्थिति में जो घटनाएं अभी तक रात को हुई हैं, वह दिन में भी घटित हो सकती है. लेकिन उसके बावजूद भी शिक्षा विभाग और शासन की ओर से छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए किसी प्रकार के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.

वहीं, बड़ा सवाल यह उठता है कि बीती देर रात चमोली जिले में राजकीय इंटर कॉलेज केदारुखाल में हुई वनाग्नि की घटना की जानकारी भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास गुरुवार दोपहर बाद भी नहीं पहुंची थी. मीडिया में मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी से घटना की जानकारी ली. बता दें कि तीन दिन पूर्व कोटद्वार के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चाड़ाखाल में भी वनाग्नि के कारण विद्यालय की संपत्ति जलकर राख हो गई थी. ऐसी स्थिति में अगर शिक्षा विभाग और शासन सहित वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठता है, तो यह बड़ी दुर्घटना का रूप ले सकता है. उत्तराखंड में 15 फरवरी से अब तक 1443 वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जिसमें 2432.62 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान हो चुका है. वहीं, वनाग्नि में 5 लोग अभी तक घायल हो चुके हैं, जबकि एक की मौत हुई है.
ये भी पढ़ेंः मसूरी के जंगल में लगी भीषण आग, फायर सर्विस ने कड़ी मशक्कत से बुझाई वनाग्नि

पौड़ी के सिविल और आरक्षित वनों क्षेत्र को मिलाकर अभी तक 314 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. जबकि गुरूवार को जिलेभर में करीब आधा दर्जन क्षेत्रों में जंगल आग से धधकते रहे. गुरूवार को घुड़दौड़ी क्षेत्र के सिविल जंगलों में भड़की आग जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर तक पहुंच गई. बेकाबू आग दोपहर घुड़दौड़ी के जंगल से होते हुए कॉलेज के रुद्रा छात्रावास और टाइप-टू आवासों तक पहुंच गई. जिस पर कॉलेज प्रशासन को पौड़ी से फायर बिग्रेड को बुलाना पड़ा. फायर पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद यहां आग पर काबू पाया. आग बुझाने में करीब चार घंटे लग गए.

देहरादून: उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी के चलते वनाग्नि ने अब तक के सब रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. वनाग्नि पहले आवासीय बस्तियों के समीप पहुंची और अब प्रदेश के सरकारी विद्यालयों तक पहुंच रही है. उत्तराखंड में अभी तक दो स्कूल वनाग्नि की चपेट में आ गए हैं. हालांकि, यह घटनाएं रात में होने के कारण कोई हताहत नहीं हुआ. लेकिन स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. इस घटनाओं के बाद अब जाकर शिक्षा विभाग जागा है और सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि विद्यालयों के आसपास साफ-सफाई करवाई जाए, जिससे कि वनाग्नि की घटनाओं से बचा जा सके.

हालांकि, इन निर्देशों के बाद भी सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या पहाड़ों में सरकारी विद्यालयों के आसपास साफ-सफाई से ही वनाग्नि को स्कूलों तक पहुंचने से रोका जा सकता है. क्योंकि उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र के पहाड़ी जनपदों की बात करें, तो यहां पर आधे से ज्यादा सरकारी विद्यालय ऐसे हैं, जो कि चीड़ के जंगलों के बीच बने हुए हैं. ऐसी स्थिति में जो घटनाएं अभी तक रात को हुई हैं, वह दिन में भी घटित हो सकती है. लेकिन उसके बावजूद भी शिक्षा विभाग और शासन की ओर से छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के लिए किसी प्रकार के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं.

वहीं, बड़ा सवाल यह उठता है कि बीती देर रात चमोली जिले में राजकीय इंटर कॉलेज केदारुखाल में हुई वनाग्नि की घटना की जानकारी भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास गुरुवार दोपहर बाद भी नहीं पहुंची थी. मीडिया में मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी से घटना की जानकारी ली. बता दें कि तीन दिन पूर्व कोटद्वार के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चाड़ाखाल में भी वनाग्नि के कारण विद्यालय की संपत्ति जलकर राख हो गई थी. ऐसी स्थिति में अगर शिक्षा विभाग और शासन सहित वन विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठता है, तो यह बड़ी दुर्घटना का रूप ले सकता है. उत्तराखंड में 15 फरवरी से अब तक 1443 वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जिसमें 2432.62 हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान हो चुका है. वहीं, वनाग्नि में 5 लोग अभी तक घायल हो चुके हैं, जबकि एक की मौत हुई है.
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पौड़ी के सिविल और आरक्षित वनों क्षेत्र को मिलाकर अभी तक 314 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं. जबकि गुरूवार को जिलेभर में करीब आधा दर्जन क्षेत्रों में जंगल आग से धधकते रहे. गुरूवार को घुड़दौड़ी क्षेत्र के सिविल जंगलों में भड़की आग जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर तक पहुंच गई. बेकाबू आग दोपहर घुड़दौड़ी के जंगल से होते हुए कॉलेज के रुद्रा छात्रावास और टाइप-टू आवासों तक पहुंच गई. जिस पर कॉलेज प्रशासन को पौड़ी से फायर बिग्रेड को बुलाना पड़ा. फायर पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद यहां आग पर काबू पाया. आग बुझाने में करीब चार घंटे लग गए.

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