श्रीनगरः ऊर्जा निगम में काम करने वाले ठेकेदार अपने कर्मियों का वेतन डकारने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. ठेकेदार के अंतर्गत काम करने वाले कर्मियों को बीते 7 महीने से वेतन के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. इन कर्मियों का सैलरी से पीएफ तो काटा जाता है, लेकिन ये पीएफ (Provident Fund) ठेकेदारों की ओर से रिफंड नहीं किया जाता है. जिससे कर्मियों में ऊर्जा निगम और ठेकेदारों के खिलाफ काफी आक्रोश है.
गुस्साए कर्मियों का कहना है कि उन्हें प्रतिमाह 6000 रुपये का वेतन दिया जाता था, लेकिन पिछले 7 महीने से ठेकेदार ने उन्हें वेतन नहीं दिया है. हर ठेकेदार उनकी सैलरी से पीएफ की धनराशि तो काटता है, लेकिन उन्हें आज तक पीएफ का एक रुपये भी वापस नहीं किए. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी अलग से किया जाता है. कर्मियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द उन्हें पीएफ और वेतन नहीं दिया जाता तो वे ऊर्जा निगम के खिलाफ उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.
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ये है पूरा मामलाः दरअसल, पूरा मामला पौड़ी जिले के चौबट्टाखाल विधानसभा के सतपुली पावर हाउस और सिमरखाल क्षेत्र के लाइनमैन का है. इन दिनों मार्च फाइनल भी चल रहा है, लेकिन ठेकेदार की ओर से उन्हें बीते 7 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. जिसे लेकर कर्मियों में खासा आक्रोश है. कर्मियों का आरोप है कि ठेकेदार से जब मामले को लेकर संपर्क साधा जा रहा है तो संबंधित ठेकेदार फोन उठाने की जहमत नहीं उठा रहा है. जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.