श्रीनगर: कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया की आर्थिक सेहत पर भी भारी पड़ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय इस संकट की घड़ी में जनता और उद्योगों को उबारने में जुटी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन होने के चलते अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो गई है, लेकिन हालात अभी भी काबू में है.
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर महेंद्र बाबू का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय अन्य वर्षों की अपेक्षा भले ही गिर रही हो, लेकिन अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी मजबूत है.
एसबीआई द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अर्थव्यवस्था 1.4 से 2 प्रतिशत के हिसाब से गिर रही है. लॉकडाउन के चलते 12 लाख करोड़ का घाटा सरकार उठा रही है. जिससे अर्थव्यवस्था में बदलाव आना लाज़मी है. ऐसे में जो घोषणाएं आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने की है, उससे आम जनता को राहत मिलेगी.
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महेंद्र बाबू के मुताबिक अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए रिवर्स रेपो रेट को 4 की जगह से 3.75 प्रतिशत किया गया है. 14 अप्रैल 2020 को अगर देखा जाए तो कमर्शियल बैंकों ने आरबीआई के पास 6.9 लाख करोड़ रुपए डिपॉजिट किए हैं. रिवर्स रेपो रेट कम होने के कारण कमर्शियल बैंक उन पैसों को लोन देने के रूप में इस्तेमाल कर सकती है. ऐसे में व्यवसाय, उद्योग के लिए नकद की आपूर्ति में कमी नहीं आएगी.
इन सबका असर उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. क्योंकि प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है. केंद्र सरकार अगर राज्यों की मदद करती है तो फिर समय पर उतराखंड की अर्थव्यवस्था पटरी लौट सकती है.