श्रीनगरः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के सभागार में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर चर्चा की गई. यह चर्चा सरकार की ओर से गठित कमेटी ने की. समिति के विशेषज्ञ सदस्य और उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान बताया गया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान लोगों से सुझाव और प्रतिक्रिया ली गई.
समिति के विशेषज्ञ सदस्य शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि समान नागरिक संहिता में सभी स्टैक होल्डर्स की भागीदारी आवश्यक है. विवाह, उत्तराधिकार और व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाली विधियों को सार्वभौमिक रूप से लागू करने का प्रयास किया किया जाएगा, लेकिन समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि विविधताओं से भरे भारतीय समाज में इस प्रकार की सार्वभौमिक भूमि कैसे लागू की जा सकती है?
विशेषज्ञ सदस्य शत्रुघ्न सिन्हा (Committee Expert Member Shatrughan Sinha) ने कहा कि विशेषकर बौद्धिक वर्ग से आग्रह किया कि वो समिति के कार्यों को आसान बनाने के लिए और उत्तरदायी नागरिक का कर्तव्य निभाने के लिए बढ़-चढ़कर समिति को समान नागरिक संहिता पर सुझाव दें.
ये भी पढ़ेंः यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट बनने में लगेगा अभी कुछ और समय, कमेटी का 6 महीने बढ़ाया गया कार्यकाल
उनका मकसद समान नागरिक संहिता के विभिन्न बिदुंओं और लैंगिक समानता, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संरक्षण, उत्तरादायित्व, भरण-पोषण आदि के संबंध में लोगों के विचारों को सुनना है, जिससे सभी के सहयोग व विचारों से इस विषय पर आगे बढ़ा जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य में एक बेहतर समान नागरिक संहिता तैयार किया जाना है. जिसमें विविध वर्गों, समूहों के विचारों और भावनाओं को जगह दी जाएगी. जिससे एक संतुलित और बेहतर संहिता तैयार की जा सके.
दून विश्वविद्यालय की कुलपति और समिति की सदस्य सुरेखा डंगवाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं की ओर से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर अपने-अपने महत्वपूर्ण मुद्दे रखे हैं. छात्रों के इन मुद्दों को समिति में रखा जाएगा. जिससे इन मुद्दों पर भी आगे विचार कर आवश्यक कार्रवाई की जा सकेगी.
वहींं, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता परिचर्चा (Uniform Civil Code in Uttarakhand) में छात्र-छात्राओं ने विवाह में समान वर्ष, विवाह पंजीकरण, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण समेत अन्य मुद्दे समिति के सामने रखे.
ये भी पढ़ेंः यूपी जैसा सख्त होगा उत्तराखंड का धर्मांतरण कानून, जानिए कितने कठोर हुए नियम