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इस दरगाह में हर गुरुवार को लगती है जायरीनों की भीड़, हर मर्ज का होता है इलाज, पढ़ें पूरी खबर

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Published : May 19, 2019, 2:46 PM IST

बिजनौर के जाफराबाद के जंगलों में स्थित हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह शरीफ में हर गुरुवार सैकड़ों की संख्या में जायरीन पहुंचते हैं.

हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह.

कोटद्वार: नगर से 12 किलोमीटर दूर बिजनौर के जाफराबाद के जंगलों में स्थित हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह शरीफ में हर गुरुवार सैकड़ों की संख्या में जायरीन पहुंचते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब की तरह यहां मुस्लिम समुदाय से जुड़े हजारों लोग चादर चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं. वहीं, हिंदू श्रद्धालु भी पूरी श्रद्धा के साथ बाबा की चौखट पर माथा टेकते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मन्नतें मांगता है हजरत लाल शाह बाबा उनकी मन्नतें पूरी करते हैं.

हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह.

बता दें कि कोटद्वार से सटे जिला बिजनौर के जाफराबाद स्थित हजरत लाल शाह की मजार कई दशकों पुरानी है. कहा जाता है कि यहां ज्यादातर बीमारी से ग्रस्त लोग ठीक होने आते हैं. जोकि यहां आकर बाबा की कृपा से ठीक होकर वापस जाते हैं. यही कारण है कि जुमरात यानी गुरुवार को यहां जायरीनों की भीड़ लग जाती है.

पढ़ें: प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार बदरीनाथ के दरबार में हाजिरी लगाएंगे मोदी

जायरीन इमरान का कहना है कि वे बचपन से यहां पर आते हैं. इस दरगाह में ऐसी रहमत है कि बाबा के दरबार में आकर सबकी मुराद पूरी हो जाती है. जो लोग बीमारी से पीड़ित होते हैं उन लोगों का भी इलाज यहां पर होता है और ठीक होकर वापस जाते हैं.

वहीं, जायरीन मोहम्मद यासीन ने कहा कि लगभग 45 साल पहले दरगाह के पास सिर्फ एक पेड़ हुआ करता था. उस दौरान दरगाह के आसपास किसी तरह की आबादी नहीं थी. हमिब लोंदा नाम के एक व्यक्ति दरगाह के पास बैठा करते थे. उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी यहां पर बैठती हैं और लोगों का इलाज करती हैं.

दरगाह में मौजूद जायरीन शकील अहमद ने बताया कि दिल्ली, हरिद्वार, राजस्थान, यूपी और कई अन्य राज्य से लोग यहां आते हैं. खासतौर पर लोग गुरुवार के दिन ही आते हैं. लोग यहां पर आकर मन्नतें मांगते हैं और बाबा उनकी मन्नतें पूरी करते हैं. मन्नते पूरी होने पर वे बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर भंडारा करवाते हैं.

कोटद्वार: नगर से 12 किलोमीटर दूर बिजनौर के जाफराबाद के जंगलों में स्थित हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह शरीफ में हर गुरुवार सैकड़ों की संख्या में जायरीन पहुंचते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब की तरह यहां मुस्लिम समुदाय से जुड़े हजारों लोग चादर चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं. वहीं, हिंदू श्रद्धालु भी पूरी श्रद्धा के साथ बाबा की चौखट पर माथा टेकते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मन्नतें मांगता है हजरत लाल शाह बाबा उनकी मन्नतें पूरी करते हैं.

हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह.

बता दें कि कोटद्वार से सटे जिला बिजनौर के जाफराबाद स्थित हजरत लाल शाह की मजार कई दशकों पुरानी है. कहा जाता है कि यहां ज्यादातर बीमारी से ग्रस्त लोग ठीक होने आते हैं. जोकि यहां आकर बाबा की कृपा से ठीक होकर वापस जाते हैं. यही कारण है कि जुमरात यानी गुरुवार को यहां जायरीनों की भीड़ लग जाती है.

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जायरीन इमरान का कहना है कि वे बचपन से यहां पर आते हैं. इस दरगाह में ऐसी रहमत है कि बाबा के दरबार में आकर सबकी मुराद पूरी हो जाती है. जो लोग बीमारी से पीड़ित होते हैं उन लोगों का भी इलाज यहां पर होता है और ठीक होकर वापस जाते हैं.

वहीं, जायरीन मोहम्मद यासीन ने कहा कि लगभग 45 साल पहले दरगाह के पास सिर्फ एक पेड़ हुआ करता था. उस दौरान दरगाह के आसपास किसी तरह की आबादी नहीं थी. हमिब लोंदा नाम के एक व्यक्ति दरगाह के पास बैठा करते थे. उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी यहां पर बैठती हैं और लोगों का इलाज करती हैं.

दरगाह में मौजूद जायरीन शकील अहमद ने बताया कि दिल्ली, हरिद्वार, राजस्थान, यूपी और कई अन्य राज्य से लोग यहां आते हैं. खासतौर पर लोग गुरुवार के दिन ही आते हैं. लोग यहां पर आकर मन्नतें मांगते हैं और बाबा उनकी मन्नतें पूरी करते हैं. मन्नते पूरी होने पर वे बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर भंडारा करवाते हैं.

Intro:एंकर- कोटद्वार से 12 किलोमीटर दूर जिला बिजनौर के जाफराबाद के घनघोर जंगलों के बीच स्थित जाफराबाद में हजरत लाल शाह बाबा रहमतुल्लाह दरगाह शरीफ में हर गुरुवार (जुम्मे रात)को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और दरगाह शरीफ में माथा टेक मन्नत मांगते हैं जो भी यहां पर सच्चे मन से मन्नतें मांगता है हजरत लाल साहब बाबा उनकी मन्नतें पूरी करता है जिनकी मन्नतें पूरी होती है वह बाबा की दरगाह पर भंडारा करवाता है बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाता है बाबा की दरगाह में अधिकांश ऊपरी हवा से पीड़ित लोग आते हैं और यहां आकर बाबा की कृपा से ठीक होकर वापस जाते हैं कुछ ऊपरी हवा से पीड़ित लोगों को बाबा की दरगाह के आसपास जंगलों में चोपड़ी में संगल से बांध दिया जाता है।


Body:वीओ1- बतादे की कोटद्वार से सटे जिला बिजनौर के जाफराबाद स्थित हजरत लाल शाह बाबा की मजार कई दशकों पुरानी है बताया जाता है कि कई दशक पूर्व यहां पर आबादी हुआ करती थी, बाबा की दरगाह में पहुंचकर हर किसी की मन्नते पूरी होती है खासतौर पर जो ऊपरी हवा से पीड़ित रहते हैं उनकी पीड़ा भी दूर होती है इसलिए ही बाबा की दरगाह पर हर जुम्मे रात के दिन सैकड़ों की तादाद में दूरदराज से भक्तों पहुंचते रहते हैं

वहीं श्रद्धालु इमरान का कहना है कि मैं बचपन से यहां पर आता हूं लगभग 25 साल हो गए हैं मुझे यहां पर आते आते यहां पर मुंह मांगे मुरादे पूरी होती है ऊपर वाला ने यहां पर ऐसी रहमत करता है कि बाबा के दरबार में आकर सबकी मुरादे पूरी हो जाती है जो लोगों ऊपरी बीमारी से पीड़ित होते हैं उन लोगों का इलाज यहां पर होता है और लोग यहां से ठीक होकर वापस जाते हैं जैसे हॉस्पिटल में होता है पहले पर्ची बनाई जाती है, उसके बाद डॉक्टर उपचार करता है ऐसे ही बाबा की दरगाह में भी होता है, जो ऊपरी हवा से पीड़ित होते हैं उनकी दरखास बाबा के दरबार मे लगती है उसके बाद धीरे-धीरे बीमारी का इलाज किया जाता है जितना भी समय लगता है बाबा उनकी बीमारियों को दूर करता है।

बाइट इमरान कोटद्वार निवासी

वीओ2- वहीं श्रद्धालु मो0 यासीन का कहना है कि आज से लगभग 45 साल पूर्व दरगाह के पास एक पेड़ हुआ करता था उस दौरान दरगाह के आसपास किसी तरह का निर्माण नहीं हुआ करता था, उस दौरान हमिब लोंदा नाम के एक व्यक्ति दरगाह के पास बैठता था, उनका पूर्व में इंतकाल हो गया है, तब से उनकी पत्नी जिन पर हजरत लाल साहब बाबा की सवारी आती है वह यहां पर बैठती है और लोगों का इलाज करती है तमाम लोग यहां पर आकर उनसे बीमारियों का इलाज करवाते हैं बताते हैं दरगाह शरीफ वो लोग होते है जो नेक इंसान होते हैं उनका इंतकाल हो जाता है उन्होंने पहले समाज में रहकर बहुत से अच्छे काम किए हैं उन लोगों को ही मजार के रूप में बना दिया जाता है यहां आकर लोग खासतौर पर दुआ करते हैं कि या खुदा वो दुनिया में नेक इंसान थे हो सकता है कि उन्होंने दुनिया में रहने के बाद उनसे कोई भूल हो गई हो कोई गलती हो गई हो कोई गुनाह हुआ हो अगर उनसे कुछ ऐसा हुआ है तो उनको माफ कर देना और उन्होंने जो दुनिया में रहकर नेक काम किए हैं उनकी नेकियों के सदके में हमारी दुआ को कबूल करना लोग इस तरह की दुआ दरगाह पर आकर करते हैं और उनकी दुआएं कबूल होती हैं

बाइट मो0 यासीन कोटद्वार निवासी


Conclusion:वीओ3- शकील अहमद का कहना है कि बाबा की दरगाह में लोग दिल्ली हरिद्वार राजस्थान जयपुर गढ़वाल कोटद्वार हरिद्वार बिजनौर मुजफ्फरनगर तमाम दूरदराज से लोग आते हैं जो लोग खासतौर पर बाबा की दरगाह में आते हैं वह गुरुवार( जुम्मे रात ) के दिन ही आते हैं लोग यहां पर आकर बहुत सारी मन्नतें मांगते हैं बाबा उनकी मन्नते पूरी करता है, उनके मन्नते पूरी होने पर वह बाबा की मजार पर चादर चढ़ाकर भंडारा करवाते हैं, इंशाल्लाह जो भी यहां पर आता है उनकी मुरादे पूरी होती है यहां पर जो ऊपरी हवा से पीड़ित लोग होते हैं वह ज्यादा आते हैं जो डॉक्टर को दिखा कर परेशान हो जाते हैं वह बाबा की दरगाह पर आते हैं और यहां से ठीक होकर वापस अपने घर जाते है.।

बाइट सकील अहमद बिजनोर निवासी
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