श्रीनगर गढ़वाल: चारधाम की रक्षक देवी कहे जाने वाली सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर (Siddhpeeth maa dhari devi temple) की मूर्ति की शिफ्टिंग को लेकर अभी तक तिथि तय नहीं हो पायी है. अपने मूल स्थान यानी नए बने धारी मंदिर में अब धारी मां की मूर्ति शिफ्ट नहीं हुई है. इसके पीछे की वजह ये है कि अभी तक मंदिर मंदिर प्रसाशन के हैंडओवर नहीं हुआ है. जिसकी वजह से पिछले 10 सालों से मां भगवती धारी देवी की मूर्ति पूजा टेम्प्रेरी टिन सेड में की जा रही है. वहीं, कैबिनेट मंत्री और श्रीनगर विधायक डॉ धन सिंह रावत का कहना है कि जल्द मंदिर प्रसाशन और स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर धारी देवी की मूर्ति को नए मंदिर में शिफ्ट किया जाएगा.
बता दें साल 2013 में 13 जून की शाम को धारी देवी की मूर्ति को प्राचीन मंदिर से अपलिफ्ट कर वहां से हटा दिया गया था. श्रीनगर में बन रहे हाइडिल-पावर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था. वहीं, 10 साल बीत जाने के बाद भी नए मंदिर में मां भगवती धारी देवी की मूर्ति को अभी तक शिफ्ट नहीं किया गया है. मंदिर के मुख्य पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे का कहना है कि अभी तक नए मंदिर को मंदिर प्रसाशन को हैंडओवर नहीं किया गया है, जिसको लेकर कई बार मंदिर समिति जलविद्युत परियोजना से बात कर चुकी है. लेकिन हैंडओवर की कार्रवाही शुरू नहीं की गई है. ऐसे में पुजारियों ने जल्द से जल्द मां धारी देवी की मूर्ति को शिफ्ट करने की मांग की है.
पढ़ें- सिद्धपीठ मां धारी देवी: शिफ्टिंग को लेकर अभी तय नहीं हुई तारीख, लंबे समय से अटका पड़ा है मामला
वहीं, इस मामले में कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत (Cabinet minister Dhan singh rawat) ने कहा कि मंदिर को शिफ्ट करने के संबंध में जल्द मंदिर समिति और स्थानीय लोगों से वार्ता की जाएगी. जिसके बाद मूर्ति को शिफ्ट करने की योजना पाई जाएगी. उन्होंने कहा कि जिस दिन मंदिर शिफ्ट होगा. उस दिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसका उद्घाटन करेंगे.
मंदिर की महिमा: मां धारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूर है. इस मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है. देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती है. इस माता को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है.