ETV Bharat / state

डांडा नागराजा मंदिर में अनोखे रूप में पूजे जाते हैं भगवान श्रीकृष्ण, जानिए वजह? - भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं. भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाकर सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं. साथ ही जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, वह भगवान को घंटी अर्पित करते हैं. इस मंदिर में भगवान को दूध और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है.

डांडा नागराजा मंदिर.
author img

By

Published : Apr 13, 2019, 6:41 PM IST

पौड़ी: मंडल मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बनेलस्युं पट्टी में स्थित डांडानागराजा मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को अद्वितीय रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर में लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. यहां के लोगों की एक पत्थर से अनोखी मान्यता जुड़ी है, जिसको वह भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप मानकर पूजते हैं.

डांडा नागराजा मंदिर.

मान्यता के अनुसार, मंदिर के पास बसे लसेरा गांव की एक गाय रोजाना एक पत्थर को दूध से नहलाकर वापस घर को चली जाती थी. गाय का मालिक इस बात को देखकर आश्चर्यचकित था कि पूरे दिन भरपेट घास खाने के बाद भी गाय दूध क्यों नहीं दे रही है. इसका कारण जानने के लिए एक दिन गाय का पीछा करते हुए मालिक जब जंगल पहुंचा तो गाय द्वारा पत्थर को दूध देते हुए देखकर उसने उस पत्थर पर डंडे से प्रहार किया तो तुरंत ही वहां नाग प्रकट हो गया. तब से यहां पर नाग देवता की पूजा की जाती है. लोगों का मानना है कि कृष्ण भगवान अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं.

लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं. भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाकर सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं. साथ ही जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, वह भगवान को घंटी अर्पित करते हैं. इस मंदिर में भगवान को दूध और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है. हर साल बैसाखी के दूसरे दिन यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है.

पौड़ी: मंडल मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बनेलस्युं पट्टी में स्थित डांडानागराजा मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को अद्वितीय रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर में लोग दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. यहां के लोगों की एक पत्थर से अनोखी मान्यता जुड़ी है, जिसको वह भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप मानकर पूजते हैं.

डांडा नागराजा मंदिर.

मान्यता के अनुसार, मंदिर के पास बसे लसेरा गांव की एक गाय रोजाना एक पत्थर को दूध से नहलाकर वापस घर को चली जाती थी. गाय का मालिक इस बात को देखकर आश्चर्यचकित था कि पूरे दिन भरपेट घास खाने के बाद भी गाय दूध क्यों नहीं दे रही है. इसका कारण जानने के लिए एक दिन गाय का पीछा करते हुए मालिक जब जंगल पहुंचा तो गाय द्वारा पत्थर को दूध देते हुए देखकर उसने उस पत्थर पर डंडे से प्रहार किया तो तुरंत ही वहां नाग प्रकट हो गया. तब से यहां पर नाग देवता की पूजा की जाती है. लोगों का मानना है कि कृष्ण भगवान अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं.

लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं. भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाकर सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं. साथ ही जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है, वह भगवान को घंटी अर्पित करते हैं. इस मंदिर में भगवान को दूध और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है. हर साल बैसाखी के दूसरे दिन यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है.

Intro:पौड़ी के बनेलसयुं पट्टी में स्थित डांडानागराजा मंदिर जहाँ भगवान श्री कृष्ण को अद्वितीय रूप में पूजा जाता है इस मंदिर में लोग दूर दूर से दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। माना जाता है कि मंदिर के समीप लसेरा गांव की गाय रोजाना यहां पर स्थित एक पत्थर को दूध से नेहलाकर वापस घर जाती थी और गाय का मालिक इस बात को देख कर आश्चर्यचकित था कि पूरे दिन भरपेट घास खाने के बाद भी गाय दूध क्यों नहीं दे रही है।इसका कारण जानने के लिए एक दिन गाय का पीछा करते हुए मालिक जब जंगल पहुंचा तो पत्थर को दूध देते हुए देखकर उसने उस पत्थर पर डंडे से प्रहार किया तो तुरंत ही वहां से नाग प्रकट हुए तब से यहां पर नाग देवता की पूजा की जाती है कृष्ण भगवान श्री कृष्ण अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान है और लोग दूर-दूर से यहां भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं।


Body:मंडल मुख्यालय पौड़ी से लगभग 45 किलोमीटर दूर डांडा नागराजा मंदिर जहां पर नाग देवता की पूजा की जाती है मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण अपने अद्वितीय रूप में यहां पर विराजमान हैं। भक्त मंदिर में घंटी चढ़ाकर सच्चे मन से मनोकामना मांगते है। साथ ही जिन भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है वह भगवान को घंटी अर्पित करते है। इस मंदिर में भगवान को दूध और प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है।


Conclusion:140 साल पुराना मंदिर काफल बांध और पुरुष के घने पेड़ों से गिरा है यह मंदिर अपने शांति और एकांत स्थान पर विराजमान है। हर साल बैसाखी के दूसरे दिन यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें कि पूरे क्षेत्र के ग्रामीण यहां आकर पूजा अर्चना कर भंडारा को संपन्न करवाने में पूरी सहायता करते हैं यहां पर हजारों की संख्या में भक्त भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं।

बाईट-मुकेश रावत( ग्रामीण)
बाईट-विनोद देशवाल (पुजारी)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.