श्रीनगर: उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पा लिया है. वहीं, कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर अभी से तैयारियां की जा रही है. देश में आशंका जताई जा रही है कि सितंबर माह के आस पास कोविड 19 की तीसरी लहर आ सकती है. जिसमें सबसे बड़ा खतरा बच्चों के लिए बताया जा रहा है. लेकिन कोरोना से पहले ही बच्चे मॉनसून में होने वाली मौसमी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. बच्चों को वायरल फीवर, सरदर्द, उल्टी-दस्त और एलर्जी आदि की शिकायत देखने को मिल रही है. वहीं, बुखार के कारण परिजन अपने बच्चों को अस्पताल लेकर पहुंच रहे हैं.
वहीं, श्रीनगर के संयुक्त अस्पताल में बच्चों की ओपीडी में एकाएक वृद्धि देखने को मिल रही है. डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर केस वायरल फीवर और एलर्जी आदि के आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, संयुक्त अस्पताल श्रीनगर की ओपीडी में जहां 20 से 30 बीमार बच्चे पहुंचते थे, वहीं अब रोजाना 100 से 120 बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं.
ऐसे में अधिकतर परिजन बच्चों को बुखार आने पर अस्पताल का रुख कर रहे हैं. संयुक्त अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गोविंद पुजारी ने बताया कि बच्चों में वायरल फीवर की समस्या सबसे अधिक देखने को मिल रही है. साथ में बच्चों को सरदर्द की समस्या भी आ रही है. इस मौसम में बच्चों में चिड़चिड़ापन भी देखने को मिल रहा है.
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उन्होंने सभी अभिभावकों को सुझाव दिया है कि बच्चों को भीड़ भाड़ वाले स्थानों से दूर रखें. बच्चों के खाने-पीने का विशेष ध्यान दें. उन्होंने बताया कि अमूमन वायरल फीवर 4 से 5 रोज तक रहता है. बुखार या कुछ अन्य समस्या होने पर नजदीकी डॉक्टर की सलाह अवश्य लें. घबराने की आवश्कयता नहीं है. मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण बच्चे मौसमी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं.