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गढ़वाल में न्याय के देवता का चाहते हैं आशीर्वाद तो चले आइए इस दिन, मिलेगा प्रसाद भी

धार्मिक आस्था के प्रतीक कंडोलिया मंदिर में जून महीने में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस दौरान स्थानीय और प्रवासी श्रद्धालुओं को आवश्यक रूप से पहुंचना होता है. इसी क्रम में इस बार भी आगामी 16 जून को वार्षिक भंडारे का आयोजन रखा गया है. बीते साल 7 हजार लोग दर्शन करने पहुंचे थे.

कंडोलिया मंदिर
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Published : Jun 2, 2019, 6:03 PM IST

पौड़ीः हर साल की तरह इस बार भी प्रसिद्ध मंदिर कंडोलिया में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. भूम्याल देवता के नाम से जाने जाने वाले इस मंदिर में आगामी 16 जून को वार्षिक पूजन किया जाएगा. जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. पहले भगवान कंडोलिया की डोली और प्रतिमाओं को स्नान के लिए देवप्रयाग संगम ले जाया जाएगा. जिसके बाद वापस मंदिर में लाकर भंडारा करवाया जाएगा. वहीं, इसके लिए मंदिर समिति तैयारियों में जुट गया है.

प्रसिद्ध कंडोलिया मंदिर में आयोजित होगा वार्षिक पूजन और भंडारा.


बता दें कि कंडोलिया मंदिर, पौड़ी शहर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर कंडोलिया की पहाड़ियों पर ओक और पाइन के घने जंगल की बीच में स्थित है. यह मंदिर कंडोलिया देवता (भगवान शिव) को समर्पित है, जिसे स्थानीय लोग भूमि देवता (भूम्याल) के रूप में पूजते हैं. साथ ही इसे न्याय का देवता भी माना जाता है. माना जाता है कि कंडोलिया देवता चंपावत क्षेत्र के डुंगरियाल नेगी जाति के लोगों के इष्ट गोरिल देवता हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार बीते कई साल पहले कुमाऊं की एक युवती का विवाह पौड़ी गांव में डुंगरियाल नेगी जाति से हुआ था. विवाह के बाद युवती अपने ईष्ट देवता को कंडी (छोटी टोकरी) में रखकर लाई थी. इसके बाद से कुमाऊं के इस देवता को कंडोलिया देवता के नाम जाना जाने लगा. उनकी पूजा ग्रामीणों ने भी शुरू कर दी.

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मान्यता है कि बाद में देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए. इसके बाद कंडोलिया देवता को शहर से ऊपर स्थित पहाड़ी पर स्थापित किया गया. मंदिर के स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्ध हो गए. साल 1989 में स्थानीय लोगों ने कंडोलिया देवता के मंदिर में विधिवत रूप से पूजा अर्चना की परंपरा शुरू की, तब से हर साल यहां पर तीन दिवसीय विशेष पूजा-अर्चना होती है. तीन दिवसीय इस पूजन में यहां सैकड़ों श्रद्धालु मनौतियां मांगने आते हैं. मनौतियां पूरी होने पर घंटा, छत्र आदि चढ़ाते हैं.


कंडोलिया मंदिर में कई साल पहले स्थानीय निवासियों ने मिलकर भंडारे का आयोजन शुरू किया था. जिसके बाद से ये भंडारा विस्तृत मेले का रूप ले चुका है. जिसमें सभी वर्गों के लोग शामिल होते हैं. धार्मिक आस्था के प्रतीक इस मंदिर में जून महीने में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस दौरान स्थानीय और प्रवासी श्रद्धालुओं को आवश्यक रूप से पहुंचना होता है. इसी क्रम में इस बार भी आगामी 16 जून को वार्षिक भंडारे का आयोजन रखा गया है. बीते साल 7 हजार लोग दर्शन करने पहुंचे थे.

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स्थानीय निवासी अद्वैत बहुगुणा ने बताया कि साल 1987 से इस मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. पहले एक दिन का भंडारा करवाया जाता था. अब भंडारे के दिनों में बदलाव किया गया है. पहले दो दिन तक मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. जबकि तीसरे दिन हवन कर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को भोजन वितरित किया जाता है. वहीं, मंदिर समिति के सदस्य मनवीर सिंह रावत ने बताया कि 14 जून को भगवान कंडोलिया की डोली और भगवान की प्रतिमाओं को स्नान के लिए देवप्रयाग संगम ले जाया जाएगा. स्नान करवाने के बाद शाम से ही पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी. 16 जून को सुबह हवन करने के बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा.

पौड़ीः हर साल की तरह इस बार भी प्रसिद्ध मंदिर कंडोलिया में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. भूम्याल देवता के नाम से जाने जाने वाले इस मंदिर में आगामी 16 जून को वार्षिक पूजन किया जाएगा. जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. पहले भगवान कंडोलिया की डोली और प्रतिमाओं को स्नान के लिए देवप्रयाग संगम ले जाया जाएगा. जिसके बाद वापस मंदिर में लाकर भंडारा करवाया जाएगा. वहीं, इसके लिए मंदिर समिति तैयारियों में जुट गया है.

प्रसिद्ध कंडोलिया मंदिर में आयोजित होगा वार्षिक पूजन और भंडारा.


बता दें कि कंडोलिया मंदिर, पौड़ी शहर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर कंडोलिया की पहाड़ियों पर ओक और पाइन के घने जंगल की बीच में स्थित है. यह मंदिर कंडोलिया देवता (भगवान शिव) को समर्पित है, जिसे स्थानीय लोग भूमि देवता (भूम्याल) के रूप में पूजते हैं. साथ ही इसे न्याय का देवता भी माना जाता है. माना जाता है कि कंडोलिया देवता चंपावत क्षेत्र के डुंगरियाल नेगी जाति के लोगों के इष्ट गोरिल देवता हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार बीते कई साल पहले कुमाऊं की एक युवती का विवाह पौड़ी गांव में डुंगरियाल नेगी जाति से हुआ था. विवाह के बाद युवती अपने ईष्ट देवता को कंडी (छोटी टोकरी) में रखकर लाई थी. इसके बाद से कुमाऊं के इस देवता को कंडोलिया देवता के नाम जाना जाने लगा. उनकी पूजा ग्रामीणों ने भी शुरू कर दी.

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मान्यता है कि बाद में देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए. इसके बाद कंडोलिया देवता को शहर से ऊपर स्थित पहाड़ी पर स्थापित किया गया. मंदिर के स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्ध हो गए. साल 1989 में स्थानीय लोगों ने कंडोलिया देवता के मंदिर में विधिवत रूप से पूजा अर्चना की परंपरा शुरू की, तब से हर साल यहां पर तीन दिवसीय विशेष पूजा-अर्चना होती है. तीन दिवसीय इस पूजन में यहां सैकड़ों श्रद्धालु मनौतियां मांगने आते हैं. मनौतियां पूरी होने पर घंटा, छत्र आदि चढ़ाते हैं.


कंडोलिया मंदिर में कई साल पहले स्थानीय निवासियों ने मिलकर भंडारे का आयोजन शुरू किया था. जिसके बाद से ये भंडारा विस्तृत मेले का रूप ले चुका है. जिसमें सभी वर्गों के लोग शामिल होते हैं. धार्मिक आस्था के प्रतीक इस मंदिर में जून महीने में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस दौरान स्थानीय और प्रवासी श्रद्धालुओं को आवश्यक रूप से पहुंचना होता है. इसी क्रम में इस बार भी आगामी 16 जून को वार्षिक भंडारे का आयोजन रखा गया है. बीते साल 7 हजार लोग दर्शन करने पहुंचे थे.

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स्थानीय निवासी अद्वैत बहुगुणा ने बताया कि साल 1987 से इस मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है. पहले एक दिन का भंडारा करवाया जाता था. अब भंडारे के दिनों में बदलाव किया गया है. पहले दो दिन तक मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. जबकि तीसरे दिन हवन कर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को भोजन वितरित किया जाता है. वहीं, मंदिर समिति के सदस्य मनवीर सिंह रावत ने बताया कि 14 जून को भगवान कंडोलिया की डोली और भगवान की प्रतिमाओं को स्नान के लिए देवप्रयाग संगम ले जाया जाएगा. स्नान करवाने के बाद शाम से ही पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी. 16 जून को सुबह हवन करने के बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा.

Intro:पौड़ी का प्रसिद्ध मंदिर कंडोलिया जिसे भूम्याल देवता के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर साल जून माह में वार्षिक भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें पौड़ी वासियों के सहयोग से  पूरे आयोजन को करवाया जाता है आगामी 16 जून को वार्षिक भंडारे का आयोजन रखा गया है जिसमें की पौड़ी से लेकर बाहर रहने वाले प्रवासी भी वार्षिक पूजन में शिरकत कर भगवान का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं पिछले वर्ष 70000 लोग  दर्शन करने पहुंचे थे और उम्मीद है कि इस बार भी काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचेंगे।


Body:पौड़ी का कंडोलिया देवता जिसे न्याय का देवता भी कहा जाता है मान्यता है कि पौड़ी में जो भी व्यक्ति कष्ट में होता है व न्याय के लिए भगवान कंडोलिया की शरण में जाता है। स्थानीय निवासी अद्वैत बहुगुणा ने बताया कि साल 1987 से इस मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जा रहा है पहले मात्र 1 दिन का भंडारा करवाया जाता था बदलते समय के साथ साथ भंडारे के दिनों में बदलाव किया गया है अब या भंडारा 3 दिनों तक आयोजित किया जाता है पहले 2 दिन पूजा अर्चना की जाती है उसके बाद तीसरे दिन हवन कर प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को भोजन वितरित किया जाता है उन्होंने बताया कि वार्षिक पूजन को संपन्न करने के लिए पौड़ी के समस्त लोगों की ओर से सहयोग किया जाता है और उन्हीं के सहयोग के कारण ही इसे सफलतापूर्वक संपन्न भी किया जाता है।


Conclusion:मंदिर समिति के सदस्य मनवीर सिंह रावत ने बताया कि 14 जून को भगवान कंडोलिया की डोली और भगवान की प्रतिमाओं  को स्नान के लिए देवप्रयाग संगम ले जाया जाएगा स्नान करवाने के बाद शाम से ही पूजा अर्चना की शुरुआत की जाएगी और 16 जून को सुबह हवन करने के बाद सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लगभग 70000 श्रद्धालुओं ने कंडोलिया मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए थे वहीं इस बार छुट्टियों का समय होने के चलते भक्तों के आंकड़ों में बढ़ोतरी होने की संभावना है बताया कि वार्षिक भोजन के लिए तैयारियां की जा रही हैं और जल्द ही सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।

बाईट-मनवर सिंह(समिति सदस्त)

बाईट-अद्वेत बहुगुणा
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