कोटद्वारः प्रदेश में मानसून दस्तक दे चुका है. मानसून की पहली बारिश ने ही प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल दी. इसी कड़ी में मंगलवार को हुई बारिश ने शहर में तबाही मचा दी थी. जहां पर सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते बारिश में फैले करंट ने तीन लोगों की जिंदगी लील ली. इस हादसे के बाद प्रशासनिक अमले की नींद टूटी है. जिसके बाद आज प्रशासन की टीम ने गधेरे और नदियों के आस पास के इलाकों का निरीक्षण किया.
बता दें कि स्थानीय प्रशासन पनियाली गधेरे पर चिह्नित अतिक्रमण को हटाने पर पूरी तरह से विफल रहा है. जिसके नतीजन बीते दो सालों से कोटद्वार में त्रासदी का माहौल बना हुआ है. तीन लोगों की मौत के बाद बुधवार को प्रशासन की टीम ने गधेरे और नदियों से जानमाल की नुकसान होने की संभावित इलाकों का बारीकी से निरीक्षण किया. इस दौरान अपर जिलाधिकारी पौड़ी शिवकुमार ने सत्तीचौड़, सिंबलचौड़, दुर्गापुरी, लालपुर और गाड़ीघाट का जायजा लिया. निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने एडीएम के सामने कई तरह समस्याएं रखी.
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एडीएम शिवकुमार का कहना है कि आपदा से निपटने के लिए पहले से ही पूरी व्यवस्था की गई है, लेकिन नदी-नाले और गधेरों वाली कई जगहों पर लोगों ने अतिक्रमण किया है. जिसके कारण नदी-नाले संकरे हो गए हैं. उन्होंने कहा कि जब भी अतिक्रमण को तोड़ने की कवायद शुरू की जाती है, तो स्थानीय लोगों के द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया जाता है. जिससे भी मामले पर पूरी तरह से कार्रवाई नहीं हो पाती है.
एडीएम ने बताया कि जिन जगहों पर नदी-नाले संकरे हुए हैं, उन जगहों के चौड़ीकरण के निर्देश विभागों को दिए गए हैं. साथ ही कहा कि नगर निगम, राजस्व विभाग, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी सभी विभागों को तत्काल सभी खामियों को दूर कर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को कहा गया है. जिससे आने वाली बारिश के दौरान जान-माल के नुकसान से बचा जा सके.