हल्द्वानीः उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों में मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है. इसको देखते हुए नैनीताल के हल्द्वानी में वन विभाग के फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को कंट्रोल करने के बारे में बताया जा रहा है. इसमें पूरे राज्य से आए विशेषज्ञ वन कर्मियों से अपने विचार साझा कर रहे हैं.
हल्द्वानी फॉरेस्ट ट्रेनिंग सेंटर में उत्तराखंड राज्य के 130 वन कर्मी लगातार तेज हो रहे मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों को वर्कशॉप के जरिए समझने का प्रयास कर रहे हैं. इस वर्कशॉप में गुलदार, बाघ और हाथी के इंसानों पर हमले के कारण, उनसे निपटने के तरीके और मानव वन्यजीव संघर्ष कम करने को लेकर आम जनता की सहभागिता जैसे अहम मुद्दों पर विशेषज्ञ अपनी राय रख रहे हैं.
वर्कशॉप में लिविंग विद लेपर्ड (living with leopard) जैसे मुद्दों पर विशेषज्ञ वन कर्मियों से जानकारी साझा कर रहे हैं. ऐसे में आम जनता के बीच जाकर वन कर्मियों और जनता के बीच सहभागिता कैसे बनाई जाए, गुलदार के बदलते आवास और स्वभाव से जनता को कैसे रूबरू कराया जाएगा, जिससे जनता भी जागरूक होगी इस बात पर खास ध्यान दिया जा रहा है.
वहीं, वर्कशॉप में हिस्सा ले रहे वन कर्मी खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं. living with leopard जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होने के बाद वन कर्मियों ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि गुलदार के आवास एवं स्वभाव को समझना सबसे महत्वपूर्ण काम है. भविष्य में गुलदार की गतिविधियों को समझना है और उसके अनुरूप वन कर्मियों को काम करना है. यही नहीं, वर्कशॉप में जो विचार आपस में साझा किए जा रहे हैं, उनको जंगल के अंदर कैसे धरातल पर उतारा जाएगा, इस बात पर भी गहन मंथन चल रहा है.