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लॉकडाउन में घर से दूर मजदूर, मीलों पैदल चलने को मजबूर

कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए पूरे देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है. इस दौरान सबसे बड़ी मुसीबत फैक्ट्री और दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के सामने है. घर से मीलों दूर बिना काम मजदूरी के ये लोग घर वापसी करने को मजबूर है. वहीं बस गाड़ी बंद होने से ये लोग पैदल ही घरों के लिए रवाना हो गए हैं.

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लॉकडाउन में फंसे मजदूर
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Published : Mar 28, 2020, 10:01 PM IST

हल्द्वानी: कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर और गरीबों पर देखा जा रहा है. मजदूरों को काम और मजदूरी नहीं मिलने के चलते ये लोग अपने घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उनको कोई साधन नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते मजदूर मीलों पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं.

अल्मोड़ा के रहने वाले 25 मजदूर काम बंद हो जाने के चलते शुक्रवार सुबह चलकर शनिवार देर शाम सौ किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर लालकुआं पहुंचे. जहां थके हारे मजदूरों को स्थानीय लोगों ने पानी पिलाया और खाने को दिया. जिसके बाद मजदूर कुछ देर आराम करने के बाद उत्तर प्रदेश गोरखपुर के लिए रवाना हो गए.

लॉकडाउन में फंसे मजदूर

मजदूरों का कहना है कि जहां मजदूरी करते हैं वहां मालिक ने लॉकडाउन के चलते उनको वहां से भगा दिया. उनके पास खाने पीने को कुछ भी नहीं रहा. जिसके बाद मजबूरन उनको अपने घर वापसी करना पड़ रहा है और करीब 100 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर लालकुआं पहुंचे हैं. जबकि गोरखपुर की दूरी अल्मोड़ा से 7 सौ किलोमीटर है. ऐसे में मजदूरों के चेहरे पर साफ मायूसी दिखाई दे रही है. वहीं मजदूर अपने घर जाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं.

ये भी पढ़े: सांसद अजय भट्ट ने की मदद, दिल्ली से बागेश्वर पहुंचकर बेटों ने दी पिता को मुखाग्नि

ऐसे में लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ा है, जिनकी मजदूरी भी इस महामारी ने छीन ली है. थके हारे मजदूर मजबूरन अपने घर को निकले हैं. ऐसे में मजदूर कोरोना वायरस से तो नहीं, लेकिन पैदल चलकर गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से उनकी जरूर मौत हो सकती है.

हल्द्वानी: कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर और गरीबों पर देखा जा रहा है. मजदूरों को काम और मजदूरी नहीं मिलने के चलते ये लोग अपने घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उनको कोई साधन नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते मजदूर मीलों पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं.

अल्मोड़ा के रहने वाले 25 मजदूर काम बंद हो जाने के चलते शुक्रवार सुबह चलकर शनिवार देर शाम सौ किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर लालकुआं पहुंचे. जहां थके हारे मजदूरों को स्थानीय लोगों ने पानी पिलाया और खाने को दिया. जिसके बाद मजदूर कुछ देर आराम करने के बाद उत्तर प्रदेश गोरखपुर के लिए रवाना हो गए.

लॉकडाउन में फंसे मजदूर

मजदूरों का कहना है कि जहां मजदूरी करते हैं वहां मालिक ने लॉकडाउन के चलते उनको वहां से भगा दिया. उनके पास खाने पीने को कुछ भी नहीं रहा. जिसके बाद मजबूरन उनको अपने घर वापसी करना पड़ रहा है और करीब 100 किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर लालकुआं पहुंचे हैं. जबकि गोरखपुर की दूरी अल्मोड़ा से 7 सौ किलोमीटर है. ऐसे में मजदूरों के चेहरे पर साफ मायूसी दिखाई दे रही है. वहीं मजदूर अपने घर जाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं.

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ऐसे में लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा मजदूरों पर पड़ा है, जिनकी मजदूरी भी इस महामारी ने छीन ली है. थके हारे मजदूर मजबूरन अपने घर को निकले हैं. ऐसे में मजदूर कोरोना वायरस से तो नहीं, लेकिन पैदल चलकर गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से उनकी जरूर मौत हो सकती है.

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