रामनगर/बागेश्वर/अल्मोड़ाः वट सावित्री पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. रामनगर के सिद्धेश्वर मंदिर में भी महिलाओं ने सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की. इस मौके पर सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं ने वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की. साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा.
उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों के साथ ही रामनगर में भी वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला तो वहीं महिलाओं ने मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना कर अपने पतियों की दीर्घायु होने की कामना की. रामनगर के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में पुजारी ने महिलाओं को वट सावित्री व्रत से जुड़ी कथा सुनाई. साथ ही इस व्रत के महत्व के बारे में जानकारी दी गई.
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वहीं, पूजा अर्चना करने पहुंची महिला भावना भट्ट ने बताया कि यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं. पूजा अर्चना के बाद शाम को जल ग्रहण करने के उपरांत इस व्रत का समापन किया जाता है. आज महिलाएं इस मंदिर में पर्व को लेकर कुमाऊंनी परिधान में सजधज कर पहुंची थीं. उन्होंने अपने पतियों की दीर्घायु होने की कामना के साथ ही परिवार में सुख शांति को लेकर भगवान से प्रार्थना की.
बागेश्वर में आज सुबह से ही महिलाओं का बागनाथ मंदिर, गोलज्यू मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. महिलाओं ने देवी देवताओं के दर्शन करने के पश्चात सामूहिक रूप से बागनाथ मंदिर परिसर में वट वृक्ष की पूजा की. पति की लंबी आयु की प्रार्थना की. पंडितों ने विधि विधान से पूजा संपन्न कराई. जिले के अन्य तहसीलों में भी वट सावित्री पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा. मंदिरों में पूजा अर्चना करने के साथ ही वट वृक्ष की विधि-विधान के साथ पूजा की. वट सावित्री पर्व के चलते जिलेभर के मंदिरों में खासी भीड़ रही. मंदिरों में सुबह से दिन तक महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा. वट सावित्री व्रत के लिए नव विवाहिताओं में भी उत्साह देखने को मिला.
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सांस्कृतिक नगर अल्मोड़ा में भी वट सावित्री का पर्व धूमधाम से मनाया गया. पारंपरिक परिधान पहन कर व्रत रख महिलाओं ने मंदिरों में सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की. सुबह से ही मंत्रोच्चार और मंदिरों में उमड़ी भीड़ से पूरा नगर का माहौल भक्तिमय बना रहा. वहीं, महिलाओं ने निर्जला व्रत रखकर अपने पति के स्वस्थ्य रहने और लंबी उम्र की कामना की.
बता दें कि हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के मौके पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य के साथ परिवार की सुख शांति की कामना लेकर व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं या कन्याएं सोलह श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. मान्यता है कि वट सावित्री व्रत करने से यमराज के प्रकोप और अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता है. इस दिन महिलाओं को व्रत के साथ वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए. जिससे मां सावित्री और त्रिदेव का आशीर्वाद मिलता है.