रामनगर: कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे 5 गांव को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को जुलूस के रूप में रामनगर पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इको सेंसिटिव जोन का दायरा बढ़ाने के फैसले का वो कभी समर्थन नहीं करेंगे.
दरअसल, कॉर्बेट पार्क वार्डन शिवराज चंद की अध्यक्षता में नगर पालिका परिषद के ऑडिटोरियम हॉल में इको सेंसिटिव जोन को लेकर एक जनसुनवाई हुई. इसमें पांचों गांवों के ग्रामीणों ने भाग लिया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने इको सेंसिटिव जोन को ग्रामीणों के लिए घातक बताया. उन्होंने कहा कि इन गांवों को वन क्षेत्रों में जोड़े जाने से गांव का विकास अवरुद्ध हो जाएगा. छोटे-छोटे कामों के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी और ग्रामीण छोटे-मोटे उद्योग भी नहीं लगा पाएंगे.
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इसके बाद इको सेंसिटिव जोन के विरोध में लगभग 1000 लोगों ने एक-एक करके ज्ञापन के माध्यम से अपनी आपत्तियां कॉर्बेट प्रशासन में दर्ज करायी. ग्रामीणों ने इको सेंसिटिव जोन का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें ये किसी भी हालत में मंजूर नहीं है. वहीं, कॉर्बेट के अधिकारियों ने बताया कि इको सेंसिटिव जोन को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई है. पार्क प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को कुछ लोगों ने भ्रमित किया है, इसी वजह से इको सेंसिटिव जोन का काफी विरोध हो रहा है. ईको सेंसिटिव जोन को सरकार ने बहुत सरल कर दिया है.
कॉर्बेट के वार्डन शिवराज चंद ने बताया कि जोन की सीमा से 1 किलोमीटर के दायरे तक आने वाले गांवों को ही ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पिछले नियम के तहत जोड़े गए अधिकांश गांव बाहर हो गए हैं, जिसके बारे में ग्रामीणों को जानकारी नहीं मिली है. बता दें कि पूर्वी सांवलदे, पश्चिमी सांवलदे, ढिकुली और ढेला बंदोबस्ती सहित पांच गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. इससे नाराज ग्रामीणों ने पार्क प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इको सेंसिटिव जोन उनकी लाशों की ढेर पर खड़े होकर लागू करना होगा.