ETV Bharat / state

कॉर्बेट से सटे 5 गांव को ईको सेंसिटिव जोन शामिल, ग्रामीणों ने जुलूस निकालकर जताया विरोध

author img

By

Published : Jun 21, 2019, 12:56 PM IST

कॉर्बेट नेशनल पार्क की कोर सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पांच गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. परेशान ग्रामीणों ने इस फैसले का विरोध करते हुए जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया.

ईको सेंसिटिव जोन का विरोध करते लोग.

रामनगर: कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे 5 गांव को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को जुलूस के रूप में रामनगर पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इको सेंसिटिव जोन का दायरा बढ़ाने के फैसले का वो कभी समर्थन नहीं करेंगे.

ईको सेंसिटिव जोन का विरोध करते लोग.

दरअसल, कॉर्बेट पार्क वार्डन शिवराज चंद की अध्यक्षता में नगर पालिका परिषद के ऑडिटोरियम हॉल में इको सेंसिटिव जोन को लेकर एक जनसुनवाई हुई. इसमें पांचों गांवों के ग्रामीणों ने भाग लिया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने इको सेंसिटिव जोन को ग्रामीणों के लिए घातक बताया. उन्होंने कहा कि इन गांवों को वन क्षेत्रों में जोड़े जाने से गांव का विकास अवरुद्ध हो जाएगा. छोटे-छोटे कामों के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी और ग्रामीण छोटे-मोटे उद्योग भी नहीं लगा पाएंगे.

पढ़ें- मेजर पर लगा धोखाधड़ी का आरोप, जांच में जुटी पुलिस

इसके बाद इको सेंसिटिव जोन के विरोध में लगभग 1000 लोगों ने एक-एक करके ज्ञापन के माध्यम से अपनी आपत्तियां कॉर्बेट प्रशासन में दर्ज करायी. ग्रामीणों ने इको सेंसिटिव जोन का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें ये किसी भी हालत में मंजूर नहीं है. वहीं, कॉर्बेट के अधिकारियों ने बताया कि इको सेंसिटिव जोन को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई है. पार्क प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को कुछ लोगों ने भ्रमित किया है, इसी वजह से इको सेंसिटिव जोन का काफी विरोध हो रहा है. ईको सेंसिटिव जोन को सरकार ने बहुत सरल कर दिया है.

villages adjacent to Corbett National Park will be included in Eco Sensitive Zone
ईको सेंसिटिव जोन का विरोध करते लोग.

कॉर्बेट के वार्डन शिवराज चंद ने बताया कि जोन की सीमा से 1 किलोमीटर के दायरे तक आने वाले गांवों को ही ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पिछले नियम के तहत जोड़े गए अधिकांश गांव बाहर हो गए हैं, जिसके बारे में ग्रामीणों को जानकारी नहीं मिली है. बता दें कि पूर्वी सांवलदे, पश्चिमी सांवलदे, ढिकुली और ढेला बंदोबस्ती सहित पांच गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. इससे नाराज ग्रामीणों ने पार्क प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इको सेंसिटिव जोन उनकी लाशों की ढेर पर खड़े होकर लागू करना होगा.

रामनगर: कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे 5 गांव को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल करने का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को जुलूस के रूप में रामनगर पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इको सेंसिटिव जोन का दायरा बढ़ाने के फैसले का वो कभी समर्थन नहीं करेंगे.

ईको सेंसिटिव जोन का विरोध करते लोग.

दरअसल, कॉर्बेट पार्क वार्डन शिवराज चंद की अध्यक्षता में नगर पालिका परिषद के ऑडिटोरियम हॉल में इको सेंसिटिव जोन को लेकर एक जनसुनवाई हुई. इसमें पांचों गांवों के ग्रामीणों ने भाग लिया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने इको सेंसिटिव जोन को ग्रामीणों के लिए घातक बताया. उन्होंने कहा कि इन गांवों को वन क्षेत्रों में जोड़े जाने से गांव का विकास अवरुद्ध हो जाएगा. छोटे-छोटे कामों के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी और ग्रामीण छोटे-मोटे उद्योग भी नहीं लगा पाएंगे.

पढ़ें- मेजर पर लगा धोखाधड़ी का आरोप, जांच में जुटी पुलिस

इसके बाद इको सेंसिटिव जोन के विरोध में लगभग 1000 लोगों ने एक-एक करके ज्ञापन के माध्यम से अपनी आपत्तियां कॉर्बेट प्रशासन में दर्ज करायी. ग्रामीणों ने इको सेंसिटिव जोन का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें ये किसी भी हालत में मंजूर नहीं है. वहीं, कॉर्बेट के अधिकारियों ने बताया कि इको सेंसिटिव जोन को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई है. पार्क प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को कुछ लोगों ने भ्रमित किया है, इसी वजह से इको सेंसिटिव जोन का काफी विरोध हो रहा है. ईको सेंसिटिव जोन को सरकार ने बहुत सरल कर दिया है.

villages adjacent to Corbett National Park will be included in Eco Sensitive Zone
ईको सेंसिटिव जोन का विरोध करते लोग.

कॉर्बेट के वार्डन शिवराज चंद ने बताया कि जोन की सीमा से 1 किलोमीटर के दायरे तक आने वाले गांवों को ही ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इससे पिछले नियम के तहत जोड़े गए अधिकांश गांव बाहर हो गए हैं, जिसके बारे में ग्रामीणों को जानकारी नहीं मिली है. बता दें कि पूर्वी सांवलदे, पश्चिमी सांवलदे, ढिकुली और ढेला बंदोबस्ती सहित पांच गांवों को ईको सेंसिटिव जोन में शामिल किया जा रहा है. इससे नाराज ग्रामीणों ने पार्क प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इको सेंसिटिव जोन उनकी लाशों की ढेर पर खड़े होकर लागू करना होगा.

Intro:summary-कॉर्बेट नेशनल पार्क की कोर सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले पाँच गांवो को ईको सेंसिटिव ज़ोन में मिलाने से पांचों गांवो के ग्रामीण परेशान है और इसका विरोध कर रहे है।जिसके चलते ग्रामीणों ने जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया और एक हज़ार लोगो ने आपत्तियाँ दर्ज करायी।वही कॉर्बेट प्रशासन ग्रामीणों को ईको सेंसटिव जोन के बारे में पूरी जानकारी न होने का हवाला देकर ग्रामीणों को समझाने के प्रयास किये जा रहे है।

intro- कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे 5 गांव की सीमा में मिलाने के विरोध में गुरुवार को हजारों ग्रामीणों ने नगर में जुलूस प्रदर्शन के साथ अपना विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कहा कि इको सेंसेटिव जोन किसी भी हालत में मंजूर नहीं।वही पार्क प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों को कुछ लोगों द्वारा भ्रमित कर दिया गया है। लोगों को ईको सेंसिटिव ज़ोन बारे में जानकारी नहीं है इसे सरकार ने बहुत सरल कर दिया है।अधिकांश गांव इसकी जद से बाहर है।


Body:veeo- रामनगर कॉर्बेट नेशनल पार्क की की सीमा से सटे 5 गांव के ग्रामीणों ने इको सेंसेटिव जोन मैं शामिल करने के विरोध में ग्रामीणों ने गुरुवार को जुलूस प्रदर्शन के साथ अपना विरोध दर्ज कराया।जुलूस की शक्ल में रामनगर पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की उन्होंने दो टूक कहा कि इको सेंसेटिव जोन किसी भी हालत में उन्हें मंजूर नहीं होगा। गौरतलब है कि कॉर्बेट पार्क वार्डन शिवराज चंद की अध्यक्षता में नगर पालिका परिषद के ऑडिटोरियम हॉल में इको सेंसेटिव जोन को लेकर एक जनसुनवाई का आयोजन किया गया था। जिसमे पांचों गांवों के ग्रामीणों ने भाग लिया इस मौके पर विभिन्न वक्ताओं ने बोलते हुए कहा कि इको सेंसेटिव जोन ग्रामीणों के लिए घातक है ।इन गांवों को वन क्षेत्रों में जोड़े जाने के कारण गांव का विकास अवरुद्ध हो जाएगा।छोटे-छोटे कामों के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी और ग्रामीण छोटे-मोटे उद्योग आदि भी नहीं लगा पाएंगे। इको सेंसेटिव जोन के विरोध में लगभग 1000 लोगों ने एक-एक करके ज्ञापन के माध्यम से नाम सहित अपनी अपनी आपत्तियां कॉर्बेट प्रशासन के सामने दर्ज करायी। वहीं कॉर्बेट के अधिकारियों का कहना है कि इस विषय में जनसुनवाई का आयोजन किया गया जिसमें ग्रामीणों ने ईको सेंसिटिव जोन को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा ईको सेंसिटिव जोन के नियमो को सरल कर दिया गया है।और जोन की सीमा से 1 किलोमीटर तक आने वाले गांवों को शामिल किया जा रहा है। जिसमें पिछले नियम के मुकाबले इसमेंअधिकांश गांव से बाहर हो गए हैं। उनका कहना है कि इस विषय में ग्रामीणों को ज्यादा जानकारी नहीं है।कुछ लोग द्वारा उन्हें भ्रमित किया जा रहा है। आपको बता दें कि पूर्वी साँवलदे, पश्चिमी साँवलदे,ढिकुली और ढेला बंदोबस्ती सहित पांच गांव में आ रहे हैं जिनके आने से ग्रामीण परेशान हैं।

बाइट-1-पीसी जोशी(ग्रामीण)
बाइट-2-शिवराज चंद(वार्डन,कॉर्बेट नेशनल पार्क)


Conclusion:fvo-कॉर्बेट नेशनल पार्क की सीमा से सटे गांवो में ईको सेंसिटिव जोन काफी लम्बे समय से लम्बित है जिसमे समय समय पर फेर बदल करने के प्रयास किये गये परन्तु ग्रामीण के दिल मे इस कानून का भय व्याप्त है क्योंकि उनका मानना है कि गांवो का विकास ठप हो जायेगा।एक बार फिर से ईको सेंसिटिव ज़ोन के पिटारे में से नया कानून में बदलाव कर लागू करने का प्रयास कॉर्बेट प्रशासन द्वारा किया जा रहा है परन्तु यह उतना आसान होता दिखायी नही दे रहा है।ग्रामीणों ने चेतावनी दे दी है यदि इसे लागू किया गया तो उनकी लाशो के ढेर पर खड़े होकर करना पड़ेगा।इन हालातों में कॉर्बेट प्रशासन के सामने इस कानून को लागू करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.