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करोड़ों के घाटे में परिवहन विभाग, बजट की कमी चलते खराब पड़ी बसें

पहाड़ों की लाइफ लाइन रोडवेज की कुछ बसें खस्ताहाल तो कुछ खड़ी हैं खराब. करोड़ों के घाटे में चल रहा परिवहन विभाग.

परिवहन विभाग की खस्ताहाल बसें.
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Published : Jun 18, 2019, 12:45 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड परिवहन विभाग (रोडवेज) लंबे समय से करोड़ों के घाटे में चल रहा है. विभाग बजट के अभाव में परिवहन विभाग नयी बसें और न ही खराब बसों के लिए स्पेयर पार्ट खरीद पा रहा है. अभाव में विभाग की बसें जहां-तहां खराब खड़ी हैं.

करोड़ों के घाटे में परिवहन विभाग.

उत्तराखंड को बने 18 साल से अधिक का समय हो चुके हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों के यातायात की समस्या का अबतक समाधान नहीं हो पाया है. यहां मुख्य संसाधन परिवहन विभाग की बसें हैं, लेकिन विभाग की हालत इतनी खराब है कि खराब बस भी रिपयेर नहीं हो पा रही हैं. परिवहन विभाग का घाटा चार करोड़ के आसपास पहुंच चुका है. ऐसी हालत में भी परिवहन विभाग के कर्मचारी वेतन वृद्धि सहित कई अन्य मांगों को लेकर बार-बार हड़ताल की धमकी दे रहे हैं.

पढ़ें- पर्यटन और चार धाम यात्रा को लेकर इंदिरा ने सरकार को लिया आड़े हाथ, कहा- हर स्तर पर फेल है 'सिस्टम'

पहाड़ों की लाइफ लाइन कहलाने वाली रोडवेज की बसें खस्ताहाल स्थिति में है. यूं तो प्रदेश में 1400 के करीब बस परिवहन विभाग के बेड़े में शामिल हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर बसें खटारा हो चुकी हैं. कई सालों से विभाग के बेड़े में कोई नई बसें शामिल नहीं हुई हैं.

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि विभाग घाटे में चला गया है. इससे उभरना काफी बड़ी समस्या है. मंत्री ने बताया कि 300 नई बसों को शामिल करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगस्त तक 100 बसों को बेड़े में शामिल करने की पूरी कोशिश की जा रही है, जिससे परिवहन की व्यवस्था में कुछ सुधार होगा.

हल्द्वानी: उत्तराखंड परिवहन विभाग (रोडवेज) लंबे समय से करोड़ों के घाटे में चल रहा है. विभाग बजट के अभाव में परिवहन विभाग नयी बसें और न ही खराब बसों के लिए स्पेयर पार्ट खरीद पा रहा है. अभाव में विभाग की बसें जहां-तहां खराब खड़ी हैं.

करोड़ों के घाटे में परिवहन विभाग.

उत्तराखंड को बने 18 साल से अधिक का समय हो चुके हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों के यातायात की समस्या का अबतक समाधान नहीं हो पाया है. यहां मुख्य संसाधन परिवहन विभाग की बसें हैं, लेकिन विभाग की हालत इतनी खराब है कि खराब बस भी रिपयेर नहीं हो पा रही हैं. परिवहन विभाग का घाटा चार करोड़ के आसपास पहुंच चुका है. ऐसी हालत में भी परिवहन विभाग के कर्मचारी वेतन वृद्धि सहित कई अन्य मांगों को लेकर बार-बार हड़ताल की धमकी दे रहे हैं.

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पहाड़ों की लाइफ लाइन कहलाने वाली रोडवेज की बसें खस्ताहाल स्थिति में है. यूं तो प्रदेश में 1400 के करीब बस परिवहन विभाग के बेड़े में शामिल हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर बसें खटारा हो चुकी हैं. कई सालों से विभाग के बेड़े में कोई नई बसें शामिल नहीं हुई हैं.

परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि विभाग घाटे में चला गया है. इससे उभरना काफी बड़ी समस्या है. मंत्री ने बताया कि 300 नई बसों को शामिल करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि अगस्त तक 100 बसों को बेड़े में शामिल करने की पूरी कोशिश की जा रही है, जिससे परिवहन की व्यवस्था में कुछ सुधार होगा.

Intro:samrrey -करोड़ों के घाटे में परिवहन विभाग खस्ताहाल परिवहन व्यवस्था।
एंकर -उत्तराखंड परिवहन विभाग( रोडवेज) लंबे समय से करोड़ों के घाटे में चल रहा है। परिवहन विभाग का हालात आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया जैसा हो गया है। परिवहन विभाग के स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। बजट के अभाव में परिवहन विभाग नई बसे तक नहीं खरीद पा रहा है यही हालात स्पेयर पार्ट के भी हैं जो बजट नहीं मिलने के चलते स्पेयर पार्ट के अभाव में विभाग की बसें जहां तहां खड़ी भी हो जा रही हैं। परिवहन विभाग के कर्मचारी वेतन वृद्धि सहित कई मांगो को लेकर बार-बार हड़ताल की धमकी भी दे रहे हैं । लेकिन विभाग का दशा सुधारने के बजाय और खराब हो रहा है।


Body:उत्तराखंड के बने 18 साल से अधिक हो चुका है पर्वतीय क्षेत्रों के यातायात के मुख्य संसाधन परिवहन विभाग की बसे हैं लेकिन परिवहन विभाग के दशा सुधारने के बजाय दिन पर दिन बद से बदतर हो रहा है। परिवहन विभाग का घाटा चार करोड़ के आसपास पहुंच चुका है। बजट के अभाव में सरकार नई बसें तक नहीं खरीद पा रहा है हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पार्ट्स क्या भाव में बसे जहां-तहां खड़ी हैं। प्रदेश में 14 सौ के करीब परिवहन विभाग के बेड़े में बसे शामिल है जिसमें अधिकतर बसें खटारा हो चुकी है। कई सालों से बेड़े के अंदर नई बसों को शामिल नहीं किया गया है ऐसे में पहाड़ों की लाइफ लाइन कहलाने वाली रोडवेज की ब से खस्ताहाल स्थिति में है।


Conclusion:परिवहन मंत्री यशपाल आर्य भी मान रहे हैं कि परिवहन विभाग घाटे में चला गया है। घाटे से उबार परिवहन विभाग की स्थिति को ठीक करना सबसे बड़ी समस्या है। परिवहन मंत्री का कहना है कि बेड़े के अंदर 300 बसों की शामिल किए जाने है जिस पर काम किया जा चुका है।उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त तक 100 बसों की खेप बेड़े में शामिल हो जाएंगी जिसके बाद परिवहन की व्यवस्था में सुधार होगा।

बाइट- यशपाल आर्या परिवहन मंत्री
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