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उत्तराखंड में ऐपण के बिना अधूरा है हर पर्व, देवभूमि की महिलाएं बनाती हैं इस परंपरा को खास

समय के साथ बाजार के मिलावटी रंगों का प्रचलन शुरू हो गया है, लेकिन उत्तराखंड की ऐपण कला की परंपरा आज भी जीवंत है. जोकि देवभूमि को सबसे अलहदा करती है.

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Published : Oct 22, 2019, 12:54 PM IST

उत्तराखंड में ऐपण के बिना अधूरा है हर पर्व.

हल्द्वानी: देवभूमि की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिस विरासत को देखने लोग खिचे चले आते हैं. कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में ऐपण कला लोगों की जीवनशैली में रचा और बसा हुआ है. ऐपण कला के बिना हर तीज और त्योहार अधूरा सा लगता है. जिसे लोगों द्वारा सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है. जिसको बनाने में पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं में महारत हासिल है. साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाएं मोमबत्तियों बनाने में भी अपना जौहर दिखा रही है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती जा रही है.

दीपावली से लेकर हर त्योहर में ऐपण का अहम महत्व.

गौर हो कि, समय के साथ बाजार के मिलावटी रंगों का प्रचलन शुरू हो गया है, लेकिन उत्तराखंड की ये परंपरा आज भी जीवंत है. देवभूमि में ऐपण का जो रूप सालों पहले था. वहीं रूप आज भी है बल्कि यूं कह सकते हैं कि समय के साथ-साथ यह और भी समृद्ध हो चला है. कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा की पहचान बन चुकी ऐपण उत्तराखंड के हर घर की दहलीज में अपनी जहग बना लेता है. हल्द्वानी में गीता सत्यावली संस्था से जुड़ी महिलाओं ने देवभूमि की इस परंपरा को बढ़ावा देने का काम किया है. यह संस्था तरह-तरह की ऐपण बनाकर लोगों को इस परंपरा से जुड़े रहने की प्रेरणा देते हैं. यही नहीं इस बार ये ऐपण के साथ ही रंगबिरंगी मोमबत्तियां बनाकर लोगों का मनमोह लेने का काम कर रही है.

बाजारों में तरह-तरह की मोमबत्तियां दिखाई देंगी, लेकिन इसमें से अधिकतर मोमबत्तियां प्रदूषण युक्त और खराब क्वालिटी की होती हैं, लेकिन हल्द्वानी की महिलाएं सुपर बाइट मोमबत्ती तैयार कर रही हैं. ये मोमबत्तियां प्रदूषण मुक्त हैं. इन महिलाओं का कहना है कि संस्था सभी को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ट्रेनिंग दिया जा रहा है. अभी तक ये करीब 6000 महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के साथ-साथ मोमबत्ती, ऐपण, सहित उत्तराखंड की कई परंपरिक उत्पादों पर ट्रेनिग दे चुका है.

महिलाओं का कहना है कि ट्रेनिंग के बाद वे लोग अपना स्वरोजगार अपना रही हैं. दीपावली का समय है ऐसे में इन दिनों वह लोग मोमबत्ती के साथ-साथ ऐपण भी तैयार कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस संस्था की मदद से उनको अपने घरेलू काम के साथ-साथ पार्ट टाइम कार्य करने के बाद आमदनी में भी इजाफा होता है.

हल्द्वानी: देवभूमि की संस्कृति और विरासत अपने आप में अनूठी है. जिस विरासत को देखने लोग खिचे चले आते हैं. कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में ऐपण कला लोगों की जीवनशैली में रचा और बसा हुआ है. ऐपण कला के बिना हर तीज और त्योहार अधूरा सा लगता है. जिसे लोगों द्वारा सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है. जिसको बनाने में पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं में महारत हासिल है. साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाएं मोमबत्तियों बनाने में भी अपना जौहर दिखा रही है. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती जा रही है.

दीपावली से लेकर हर त्योहर में ऐपण का अहम महत्व.

गौर हो कि, समय के साथ बाजार के मिलावटी रंगों का प्रचलन शुरू हो गया है, लेकिन उत्तराखंड की ये परंपरा आज भी जीवंत है. देवभूमि में ऐपण का जो रूप सालों पहले था. वहीं रूप आज भी है बल्कि यूं कह सकते हैं कि समय के साथ-साथ यह और भी समृद्ध हो चला है. कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा की पहचान बन चुकी ऐपण उत्तराखंड के हर घर की दहलीज में अपनी जहग बना लेता है. हल्द्वानी में गीता सत्यावली संस्था से जुड़ी महिलाओं ने देवभूमि की इस परंपरा को बढ़ावा देने का काम किया है. यह संस्था तरह-तरह की ऐपण बनाकर लोगों को इस परंपरा से जुड़े रहने की प्रेरणा देते हैं. यही नहीं इस बार ये ऐपण के साथ ही रंगबिरंगी मोमबत्तियां बनाकर लोगों का मनमोह लेने का काम कर रही है.

बाजारों में तरह-तरह की मोमबत्तियां दिखाई देंगी, लेकिन इसमें से अधिकतर मोमबत्तियां प्रदूषण युक्त और खराब क्वालिटी की होती हैं, लेकिन हल्द्वानी की महिलाएं सुपर बाइट मोमबत्ती तैयार कर रही हैं. ये मोमबत्तियां प्रदूषण मुक्त हैं. इन महिलाओं का कहना है कि संस्था सभी को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ट्रेनिंग दिया जा रहा है. अभी तक ये करीब 6000 महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के साथ-साथ मोमबत्ती, ऐपण, सहित उत्तराखंड की कई परंपरिक उत्पादों पर ट्रेनिग दे चुका है.

महिलाओं का कहना है कि ट्रेनिंग के बाद वे लोग अपना स्वरोजगार अपना रही हैं. दीपावली का समय है ऐसे में इन दिनों वह लोग मोमबत्ती के साथ-साथ ऐपण भी तैयार कर रही हैं. उन्होंने बताया कि इस संस्था की मदद से उनको अपने घरेलू काम के साथ-साथ पार्ट टाइम कार्य करने के बाद आमदनी में भी इजाफा होता है.

Intro:sammry- स्थानीय मोमबत्ती से इस दिवाली में जगमगयेगा आपका घर और पहाड़ की ऐपण से सजेगी आपकी देहली( दीपावली स्पेशल खबर स्पेशल)

एंकर- पहाड़ की ऐपण कला बरसों पुराना है महिलाएं अपने घरों की दहलीज को ऐपण कला से सजाती हैं लेकिन अब यहां की महिलाएं अपने हाथों से बनाई हुए मोमबत्ती से इस दीपावली में आपके घर को जगमगाने जा रही हैं। ऐसा ही काम कर दिखाया है हल्द्वानी के महिला सहायता समूह ने। देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.......


Body:दीपावली का त्यौहार नजदीक है ऐसे में आपको बाजारों में तरह-तरह के मोमबत्ती दिखाई देंगे लेकिन इसमें से अधिकतर मोमबत्तियां प्रदूषण युक्त और खराब क्वालिटी की होती हैं जो हमारे वातावरण को भी दूषित करती हैं। हल्द्वानी के गिरजा बुटीक महिला विकास संस्था से जुड़ी महिलाएं सुपर बाइट मोमबत्ती तैयार कर रही है जो प्रदूषण मुक्त और ज्यादा देर तक आपके घर को जगमगाएंगे। यही नहीं संस्था के जुड़ी महिलाओं द्वारा बनाई गई ऐपण भी आपके दहलीज को सजाएंगे। संस्था के अध्यक्ष गीता सत्यावली ने बताया कि उनकी संस्था महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ट्रेनिंग दे रहा है साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार से भी जोड़ रहा है। संस्था द्वारा अभी तक करीब 6000 महिलाओं को सिलाई कढ़ाई बुनाई के साथ-साथ मोमबत्ती, ऐपण, सहित उत्तराखंड की कई परंपरिक उत्पादों पर ट्रेनिग दे चुका है । दीपावली पर मोमबत्तियां और ऐपण की डिमांड को मद्देनजर महिलाएं प्रदूषण रहित मोमबत्ती बना रही है जिसकी खूब डिमांड हो रही है ।इसके अलावा पहाड़ की ऐपण कला की भी खूब डिमांड हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 70 महिलाएं मोमबत्ती उद्योग से जुड़ी हुई हैं जो पार्ट टाइम में महीने में 8 हजार से ₹10 हजार रुपया कमा रही हैं। मोमबत्ती की डिमांड हल्द्वानी के अलावा दिल्ली ,अल्मोड़ा बागेश्वर, सहित अन्य बड़े शहरों में खूब की जा रही है।

बाइट- गीता सत्यावली संस्था के अध्यक्ष




Conclusion:वहीं संस्था से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि ट्रेनिंग के बाद वो लोग अपना स्वरोजगार अपना रही हैं। दीपावली का समय है ऐसे में इन दिनों वह लोग मोमबत्ती के साथ-साथ ऐपण भी तैयार कर रही हैं ।कच्चा माल संस्था द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और उनके उत्पाद को संस्था द्वारा ही मार्केटिंग की जाती है ऐसे में उनको अपने घरेलू काम के साथ-साथ पार्ट टाइम काम करने के बाद आमदनी में इजाफा होता है।

बाइट -मोमबत्ती और ऐपण बनाने वाली महिलाएं
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