नैनीताल: राजनीतिक रसूख का फायदा उठाकर अपना काम करवाने के लिए प्रशासन पर नियम के खिलाफ जाकर दबाव बनवाने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गहरी चिंता व्यक्त की है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि उन्हें यह देखकर बड़ा दु:ख होता है कि कुछ लोग अपने निजी लाभ के लिए राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करते हुए प्रशासन में हस्तक्षेप करते हैं और प्रशासन भी इस तरह के दबाव में काम करता है.
दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट का ये पूरा बयान टेंडर से जुड़े एक मामले पर आया है. याचिकाकर्ता राजेन्द्र दुर्गापाल ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने बताया था कि इसी साल जून में जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र के अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों में अवस्थापना सुविधाओं से जुड़ी 5 विकास योजनाओं के लिए समाज कल्याण विभाग से अनुसूचित जाति उप योजना के तहत टेंडर जारी किए थे.
पढ़ें- तीर्थनगरी ऋषिकेश के रिसॉर्ट में छापे के दौरान मिला अवैध कैसीनो, 9 महिला डांसर पकड़ी गईं, 27 लोग हिरासत में
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 82.44 लाख रुपए के सभी टेंडर उन्हें ही मिले थे. उन्होंने काफली और मटकन्या गांवों में टैंक और सुरक्षा दीवार आदि का काम शुरू भी कर दिया था. लेकिन 27 जुलाई 2023 को अल्मोड़ा जिले की जागेश्वर विधानसीट से विधायक मोहन सिंह मेहरा ने इस मामले में एक पत्र जिलाधिकारी अल्मोड़ा को लिखा, जिसके बाद ये काम तत्काल बंद कर दिया गया था. इसके बाद दोबारा से टेंडर कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके बाद जिलाधिकारी अल्मोड़ा ने 28 जुलाई को सभी निर्माण कार्य बंद करा दिए.
जिलाधिकारी के इस आदेश को राजेन्द्र दुर्गापाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण विधायक ने उनके सभी काम बंद करा दिए हैं. इसी मामले की सुनवाई आज 22 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. खंडपीठ ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी की.
साथ ही जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगाते हुए निर्माण कार्य जारी रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही विधायक मोहन सिंह मेहरा, जिलाधिकारी अल्मोड़ा व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 23 अप्रैल 2024 को होगी.