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ऋषिकेश एम्स में हुई भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप, HC ने सरकार और एम्स निदेशक से मांगा जवाब

ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने ऋषिकेश एम्स में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इस मामले में उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिक दायर की थी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार के साथ एम्स के निदेशक से भी जबाव मांगा है.

Uttarakhand High Court
ऋषिकेश एम्स भर्ती गड़बड़ी मामले में सुनवाई
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Published : Aug 19, 2022, 8:41 PM IST

Updated : Aug 19, 2022, 8:59 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने ऋषिकेश एम्स (Rishikesh AIIMS) में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओं के खिलाफ दायर ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई (Hearing on Ashutosh Sharma PIL) की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और एम्स के निदेशक को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा हैं. मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना (Establishment of AIIMS in Rishikesh) की गयी है. संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया, लेकिन निदेशक प्रोफेसर रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति व जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डॉक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया के पालन किए अपने परिजनों और करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी.
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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि निदेशक प्रोफेसर रविकांत की पत्नी डॉक्टर बीना रवि को अवैध ढंग से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया. प्रोफेसर रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त कर दी गयी. यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा.

आरोप है कि जनहित याचिका में निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया. जब इसकी शिकायत केंद्र सरकार व सीईसी से की गयी तो उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता ने जनहीत याचिका में इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने ऋषिकेश एम्स (Rishikesh AIIMS) में विभिन्न पदों की भर्ती में हुई अनियमितताओं के खिलाफ दायर ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई (Hearing on Ashutosh Sharma PIL) की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और एम्स के निदेशक को चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा हैं. मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली एम्स की तर्ज पर ऋषिकेश में एम्स की स्थापना (Establishment of AIIMS in Rishikesh) की गयी है. संस्थान में पदों को भरने के लिए स्पष्ट आरक्षण दिया गया, लेकिन निदेशक प्रोफेसर रविकांत के कार्यकाल में अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति व जनजाति की सीटों की भर्ती में 32 डॉक्टरों की नियुक्ति बिना प्रक्रिया के पालन किए अपने परिजनों और करीबी लोगों को नियुक्ति दे दी गयी.
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याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि निदेशक प्रोफेसर रविकांत की पत्नी डॉक्टर बीना रवि को अवैध ढंग से सर्जरी विभाग में बतौर संविदा प्रोफेसर नियुक्त कर दिया गया. प्रोफेसर रविकांत के बहनोई की भी विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर नियुक्त कर दी गयी. यौन उत्पीड़न जैसे आरोप के चलते उन्हें दो साल में ही छोड़कर जाना पड़ा.

आरोप है कि जनहित याचिका में निदेशक के करीबी दोस्त एसपी अग्रवाल को भी बिना किसी साक्षात्कार व प्रक्रिया के सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग में तैनात कर दिया गया. जब इसकी शिकायत केंद्र सरकार व सीईसी से की गयी तो उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. याचिकाकर्ता ने जनहीत याचिका में इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करने की मांग की है.

Last Updated : Aug 19, 2022, 8:59 PM IST

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