देहरादून: कोरोना ने सरकारी सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है. कहीं मरीज दवाई के लिए तो कहीं पर ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं. ऐसे हालात में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो पोर्टल बनाकर हर छह घंटे में बेड, ऑक्सीजन और आईसीयू के खाली बेडों की जानकारी दे. साथ ही अस्पतालों की स्थिति को भी अपडेट करते रहें.
कोर्ट ने कहा कि राजस्थान, तेलंगाना और दिल्ली की तर्ज पर उत्तराखंड में भी अस्पतालों की स्थिति की जानकारी जनता को मिलनी चाहिए. जरूरत पड़ने पर उत्तराखंड इन राज्यों से मदद ले. कोर्ट ने कहा कि सरकार की लापरवाही और देरी के चलते उत्तराखंड के लोगों की जान खतरे में पड़ रही है. कोर्ट ने रेमडेसिविर व अन्य दवाओं पर तत्काल क्यूआर कोड लगाने के निर्देश दिए हैं. ताकि दवाओं की कालाबाजारी रुक सके.
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साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि कोविड से ठीक हो रहे मरीजों को मोटिवेट कर उनसे प्लाज्मा डोनेट करवाया जाए. ताकि संक्रमित लोगों का उपचार किया जा सके. हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी डीएम को आदेश दिया कि अपने स्थानीय एनजीओ व आशा वर्करों के साथ हर सप्ताह वर्चुअल मीटिंग करें और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए युद्धस्तर पर कार्य करें.
सुनवाई के दौरान देहरादून जिलाधिकारी द्वारा देहरादून में ऑक्सीजन सप्लायर की गलत जानकारी व गलत मोबाइल नंबर देने के मामले का भी हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया. कोर्ट ने देहरादून जिलाधिकारी अशीष श्रीवास्तव को आदेश दिया है कि ऑक्सीजन सप्लायरों का सही नंबर जारी किया जाए. ताकि जरूरतमंद को ऑक्सीजन की सुविधा मिल सके.
बता दें कि 2019 में देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अनु पंत ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति से अवगत कराया था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि कैसे छोटी-छोटी बीमारियों के लिए मरीजों को हॉस्पिटलों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. पहाड़ों में हॉस्पिटलों की स्थिति काफी खराब है. लिहाजा उत्तराखंड के अस्पतालों की स्थिति को ठीक किया जाए.
इन दिनों उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए अनुबंध के द्वारा अपनी जनहित याचिका में अर्जेंसी एप्लीकेशन दायर की गई. जिसका संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को जवाब पेश करते हुए प्रदेश के अस्पतालों की स्थिति को हर 6 घंटे के भीतर अपडेट कर पोर्टल में अपलोड करने के आदेश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई अब 10 मई को होगी.