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हरिद्वार में स्लॉटर हाउसों पर रोक जारी रहेगी, HC में अगस्त में होगी सुनवाई

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउसों पर लगी रोक को जारी रखा है. मामले को सुनने के बाद  मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने पूरे मामले में अगली सुनवाई अगस्त में निर्धारित की है.

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Published : Mar 22, 2023, 3:38 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार जिले में सरकार द्वारा स्लॉटर हाउसों को सम्पूर्ण रूप से बंद करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने हरिद्वार में स्लॉटरिंग पर लगी रोक को जारी रखा है. अब मामले की अगली सुनवाई अगस्त माह में होगी.

22 मार्च को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार पूरे जिले में प्रतिबंध नहीं लगा सकती. क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. इस दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने खाने एवं बेचने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, केवल स्लॉटरिंग पर प्रतिबंध लगाया है. इसलिए किसी के अधिकारों का हनन नहीं हुआ है. सरकार को संविधान के अनुच्छेद 48A में यह पावर है कि वह धार्मिक स्थलों में स्लॉटरिंग पर रोक लगा सकती है.
ये भी पढ़ें: गोकशी करते एक आरोपी को पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा, चार फरार

मामले के अनुसार सरकार ने तीन मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे. जबकि पहले धार्मिक स्थलों तक ही यह आदेश लागू था. जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार एवं अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है. लेकिन पूरे जिले में बंद नहीं कर सकती है. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. याचिका में यह भी कहा गया है कि मंगलौर, रुड़की में 87 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं. इसलिए बकरीद पर उन्हें पशुवध करने की इजाजत दी जाए.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार जिले में सरकार द्वारा स्लॉटर हाउसों को सम्पूर्ण रूप से बंद करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने हरिद्वार में स्लॉटरिंग पर लगी रोक को जारी रखा है. अब मामले की अगली सुनवाई अगस्त माह में होगी.

22 मार्च को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार पूरे जिले में प्रतिबंध नहीं लगा सकती. क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. इस दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने खाने एवं बेचने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, केवल स्लॉटरिंग पर प्रतिबंध लगाया है. इसलिए किसी के अधिकारों का हनन नहीं हुआ है. सरकार को संविधान के अनुच्छेद 48A में यह पावर है कि वह धार्मिक स्थलों में स्लॉटरिंग पर रोक लगा सकती है.
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मामले के अनुसार सरकार ने तीन मार्च 2021 में शासनादेश जारी कर हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस पूर्ण रूप से बंद कर दिए थे. जबकि पहले धार्मिक स्थलों तक ही यह आदेश लागू था. जिसके खिलाफ मंगलौर निवासी इफ्तिकार एवं अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार धार्मिक क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित कर सकती है. लेकिन पूरे जिले में बंद नहीं कर सकती है. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. सरकार का यह आदेश अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला है. याचिका में यह भी कहा गया है कि मंगलौर, रुड़की में 87 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं. इसलिए बकरीद पर उन्हें पशुवध करने की इजाजत दी जाए.

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