नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला पंचायत अध्यक्ष पिथौरागढ़ दीपिका बोरा द्वारा अपने पद का दुरुपयोग व भ्रष्टाचार करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए हैं कि दो सप्ताह के भीतर लंबित जांच को पूरी करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. साथ में कोर्ट ने सचिव पंचायतीराज, जिला पंचायतराज अधिकारी व अध्यक्ष दीपिका बोरा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी.
मामले के मुताबिक, दिनेश सिंह बिष्ट निवासी नैनी-सैनी पिथौरागढ़ ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोरा ने अपने पद का दुरुपयोग करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार किया है. उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए कई सरकारी ठेकों का टेंडर अपने पिता के नाम जारी किया है. जब इसकी शिकायत उनके द्वारा सचिव पंचायतीराज से की गई तो सचिव पंचायतीराज ने इस प्रकरण की जांच करने हेतु 26 जून 2023 को जिलाधिकारी से कहा. परंतु जिलाधिकारी ने इसपर कोई जांच नहीं की. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच शीघ्र कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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स्टोन क्रशर के खिलाफ अवैध खनन का मामला: एक अन्य मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाजपुर के गुलजारपुर में एकता स्टोन क्रशर के खिलाफ अवैध खनन के मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि स्टोन क्रशर की ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर शपथपत्र पेश करें. इस मामले को गुलजारपुर निवासी प्रिंसपाल सिंह की ओर से चुनौती दी गई है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.
याचिकाकर्ता पर लगाए आरोप: स्टोन क्रशर की ओर से कहा गया कि स्टोन क्रशर में तीन पार्टनर हैं. याचिकाकर्ता का पिता सुखदेव सिंह स्टोन क्रशर के एक पार्टनर महर सिंह की हत्या का आरोपी है. काशीपुर थाने में इस मामले में अभियोग पंजीकृत है. स्टोन क्रशर की ओर से उत्पीड़न का आरोप भी लगाया गया है. स्टोन क्रशर की ओर से यह भी कहा गया कि उस पर जनहित याचिका में लगाए गए 11 करोड़ की वसूली का आरोप भी गलत है. याचिकाकर्ता ने यह सब तथ्य जनहित याचिका में छिपाए हैं.
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वसूली के आरोप पर मांगी सफाई: इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि वह इन आरोपों को लेकर जवाब दे और यह भी बताए कि 11 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप याचिका में किस आधार पर लगाया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से इसी साल एक अन्य जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि स्टोन क्रशर अवैध खनन, भडांरण और परिवहन कर रहा है. उस पर 11 करोड़ की वसूली भी बाकी है. खनन विभाग की अगस्त में हुई जांच में भी कुछ आरोप सही पाए गए हैं.