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HC ने की फर्जी शिक्षकों के मामले पर सुनवाई, सरकार से मांगा कार्रवाई का ब्योरा

Hearing in the case of fake teachers उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे फर्जी शिक्षकों के मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने सरकार से मामले पर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने स्कूलों में छात्रों द्वारा जमा की जाने वाली संचायिका के रुपयों में गड़बड़ी की याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने स्कूलों को छात्रों का पैसा वापस देने का निर्देश दिया है.

uttarakhand highcourt
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 5, 2023, 4:53 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है? कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किए हैं?

गुरुवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्य के 33 हजार शिक्षकों में से करीब 12 हजार शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है. बाकी बचे लोगों की जांच की प्रक्रिया जारी है. सरकार का तथ्य सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला अति गंभीर है. इसलिए जो जांच विचाराधीन है, उसको शीघ्र पूरी की जाए. सरकार के जवाब में कोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं. जिनमें से 57 लोगों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर की तिथि नियत की है.

मामले के मुताबिक, स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त पाए हुए हैं. जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई. इनमें खचेडू सिंह, ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए, परंतु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गई और ये अभी भी कार्यरत हैं. संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच करने को कहा है. पूर्व में राज्य सरकार ने अपना शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है. अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं, उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही.
ये भी पढ़ें: फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने का मामला, 55 शिक्षकों के खिलाफ SIT ने कोर्ट में दाखिल की चार्ज शीट

संचायिका गड़बड़ी मामले पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में छात्रों द्वारा जमा की जाने वाली संचायिका के लाखों रुपए में गड़बड़ी कर दुरुपयोग किए जाने और संचायिका का पैसा छात्रों को नहीं लौटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अभी तक सरकार के द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर शिक्षा विभाग पर 25 हजार का अर्थ दंड लगाया है.

कई स्कूलों ने नहीं लौटाई संचायिका: मामले के मुताबिक, आरटीआई क्लब देहरादून ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 2016 तक स्कूली छात्र-छात्राओं से बचत को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ धनराशि फीस के साथ संचायिका के रूप में जमा कराई जाती थी, जो स्कूल छोड़ने पर उन्हें वापस कर दी जाती थी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में इसे बंद कर दिया गया. लेकिन बहुत से स्कूलों ने संचायिका में जमा धनराशि छात्रों को वापस ना लौटाकर इसमें गड़बड़ी कर इसका दुरुपयोग किया.

जनहित याचिका में कहा गया है कि संचायिका का पैसा छात्रों को वापस किया जाए और इसमें घोटाला करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. अगर स्कूल इन रुपयों को वापस नहीं करते हैं तो इसका उपयोग स्कूल के सुविधाओं में किया जाए.

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है? कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किए हैं?

गुरुवार को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्य के 33 हजार शिक्षकों में से करीब 12 हजार शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है. बाकी बचे लोगों की जांच की प्रक्रिया जारी है. सरकार का तथ्य सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि मामला अति गंभीर है. इसलिए जो जांच विचाराधीन है, उसको शीघ्र पूरी की जाए. सरकार के जवाब में कोर्ट के सामने यह भी तथ्य लाया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से 69 शिक्षकों के फर्जी फस्तावेज पाए गए हैं. जिनमें से 57 लोगों को सरकार ने सस्पेंड कर दिया है. मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर की तिथि नियत की है.

मामले के मुताबिक, स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त पाए हुए हैं. जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई. इनमें खचेडू सिंह, ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए, परंतु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गई और ये अभी भी कार्यरत हैं. संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच करने को कहा है. पूर्व में राज्य सरकार ने अपना शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है. अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पाए गए हैं, उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही.
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संचायिका गड़बड़ी मामले पर सुनवाई: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्कूलों में छात्रों द्वारा जमा की जाने वाली संचायिका के लाखों रुपए में गड़बड़ी कर दुरुपयोग किए जाने और संचायिका का पैसा छात्रों को नहीं लौटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने अभी तक सरकार के द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर शिक्षा विभाग पर 25 हजार का अर्थ दंड लगाया है.

कई स्कूलों ने नहीं लौटाई संचायिका: मामले के मुताबिक, आरटीआई क्लब देहरादून ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 2016 तक स्कूली छात्र-छात्राओं से बचत को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ धनराशि फीस के साथ संचायिका के रूप में जमा कराई जाती थी, जो स्कूल छोड़ने पर उन्हें वापस कर दी जाती थी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में इसे बंद कर दिया गया. लेकिन बहुत से स्कूलों ने संचायिका में जमा धनराशि छात्रों को वापस ना लौटाकर इसमें गड़बड़ी कर इसका दुरुपयोग किया.

जनहित याचिका में कहा गया है कि संचायिका का पैसा छात्रों को वापस किया जाए और इसमें घोटाला करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. अगर स्कूल इन रुपयों को वापस नहीं करते हैं तो इसका उपयोग स्कूल के सुविधाओं में किया जाए.

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