हल्द्वानीः प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा राजस्व का स्रोत खनन है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इस वित्तीय वर्ष में सरकार को खनन से राजस्व का खासा नुकसान हुआ है. ऐसे में विभाग री सर्वे के माध्यम से खनन कराकर एक महीने के भीतर राजस्व पूरा करने में जुटा है. बात पूरे प्रदेश की करें तो निर्धारित 750 करोड़ खनन राजस्व लक्ष्य के सापेक्ष में अभी तक करीब 400 करोड़ की राजस्व की प्राप्ति हुई है, जबकि वित्तीय वर्ष खत्म हो चुका है.
बता दें कि, प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व खनन और आबकारी विभाग से मिलता है. लेकिन सरकार को आबकारी विभाग से राजस्व के नुकसान के साथ-साथ अब खनन से भी राजस्व का भारी नुकसान हुआ है. नैनीताल जिले की बात करें तो इस वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग अभी तक मात्र 103 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.
ये भी पढ़ेंः कोरोना के बढ़ते मामलों से 'बैकफुट' पर सरकार, ऑड-ईवन पर लगाई रोक
बीते साल नैनीताल जिले में 7 नदियों और 24 खनन पट्टों से सरकार को करीब डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की राजस्व की प्राप्ति हुई थी. इस वित्तीय वर्ष 2019 -20 के 200 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष में खनन विभाग चार नदियों और चार खनन पट्टों से मात्र 103 करोड़ ही राजस्व जुटा पाया है.
जिला खनन अधिकारी रवि नेगी की मानें तो प्रदेश में लॉकडाउन के चलते कई नदियों से खनन नहीं हो पाया है. मार्च में वित्तीय वर्ष खत्म हो चुका है. ऐसे में सरकार रि सर्वे कराकर जून तक लक्ष्य पूरा करने की तैयारी में है, जिससे कि राजस्व घाटे को पूरा किया जा सके.