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सरकार ने नई खनन नीति में किया फेरबदल, अन्य प्रदेशों नहीं जा सकेगा कच्चा माल

उत्तराखंड सरकार ने नई खनन नीति के तहत कच्चा सामान अन्य प्रदेशों में नहीं जा पाएगा. जबकि, इस नियम के तहत स्टोन क्रशर से तैयार माल को अन्य प्रदेशों को बेच सकते हैं.

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नई खनन नीति
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Published : Jul 22, 2020, 5:45 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने खनन नियमावली में संशोधन करते हुए कई तरह के बदलाव किए हैं. सबसे बड़ा बदलाव नई खनन नीति के तहत उत्तराखंड से अब खनन सामग्री अन्य प्रदेशों में नहीं जा सकेगी और ना ही अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड में खनन सामग्री आ सकेगी. इसके अलावा अब स्टोन क्रशर लगाने में शिथिलता प्रदान की गई है. साथ ही पूर्व में नदियों से 3 किलोमीटर की दूरी में स्टोन क्रशर या स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जाने के मानकों को बदलाव किया है. नई खनन नीति के तहत गंगा नदी से डेढ़ किलोमीटर, अन्य नदियों से 1 किलोमीटर और बरसाती नदियों से 500 मीटर की दूरी में स्टोन क्रशर या स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जा सकेंगे.

सरकार ने नई खनन नीति में किए फेरबदल.

पर्वतीय क्षेत्रों में यह दूरी ढाई सौ मीटर की गई है. स्कूल, धार्मिक स्थल या आवासीय स्थल से 300 मीटर की दूरी पर स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जा सकते हैं. यही नहीं नई नीति के तहत अब सरकार खनन सामग्री भंडारण की अनुमति भी बंद कर दी है. इस नियम के तहत स्टोन क्रशर से तैयार रेता, बजरी अन्य प्रदेशों को बेच सकते हैं.

वहीं, जिला खनन अधिकारी रवि नेगी का कहना है कि नई नीति के अनुसार उत्तराखंड से अन्य प्रदेशों में केवल तैयार माल ही अन्य प्रदेशों में जा सकेगा. जबकि, कच्चा खनिज लाने और ले जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. यही नहीं अब स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगाने के लिए मानक तय किए जाएंगे. इसके लिए प्रत्येक जिले में 6 सदस्य कमेटी भी बनाई गई है. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही स्टोन क्रशर स्क्रीनिंग प्लांट की अनुमति दी जाएगी.

पढ़ें: महाकुंभ की बैठक में अधिकारियों से खफा मदन कौशिक, छोड़ी बैठक और निकल गए बाहर

यही नहीं उत्तराखंड से अन्य प्रदेशों में जाने वाले आरबीएम और बोल्डर अब अन्य प्रदेशों को नहीं जाएंगे. इसके अलावा अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड में खनन सामग्री आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. गौरतलब है कि उत्तराखंड से लगे उत्तर प्रदेश सीमावर्ती क्षेत्रों में कई स्टोन क्रशर स्थापित है. इन स्टोन क्रशर में उत्तराखंड से भारी मात्रा में उप खनिज भेजा जाता था. ऐसे में उत्तराखंड में भवन निर्माण में उप खनिज की काफी कमी आने लगी थी. जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने खनन नियमावली में संशोधन करते हुए कई तरह के बदलाव किए हैं. सबसे बड़ा बदलाव नई खनन नीति के तहत उत्तराखंड से अब खनन सामग्री अन्य प्रदेशों में नहीं जा सकेगी और ना ही अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड में खनन सामग्री आ सकेगी. इसके अलावा अब स्टोन क्रशर लगाने में शिथिलता प्रदान की गई है. साथ ही पूर्व में नदियों से 3 किलोमीटर की दूरी में स्टोन क्रशर या स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जाने के मानकों को बदलाव किया है. नई खनन नीति के तहत गंगा नदी से डेढ़ किलोमीटर, अन्य नदियों से 1 किलोमीटर और बरसाती नदियों से 500 मीटर की दूरी में स्टोन क्रशर या स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जा सकेंगे.

सरकार ने नई खनन नीति में किए फेरबदल.

पर्वतीय क्षेत्रों में यह दूरी ढाई सौ मीटर की गई है. स्कूल, धार्मिक स्थल या आवासीय स्थल से 300 मीटर की दूरी पर स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगाए जा सकते हैं. यही नहीं नई नीति के तहत अब सरकार खनन सामग्री भंडारण की अनुमति भी बंद कर दी है. इस नियम के तहत स्टोन क्रशर से तैयार रेता, बजरी अन्य प्रदेशों को बेच सकते हैं.

वहीं, जिला खनन अधिकारी रवि नेगी का कहना है कि नई नीति के अनुसार उत्तराखंड से अन्य प्रदेशों में केवल तैयार माल ही अन्य प्रदेशों में जा सकेगा. जबकि, कच्चा खनिज लाने और ले जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. यही नहीं अब स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट लगाने के लिए मानक तय किए जाएंगे. इसके लिए प्रत्येक जिले में 6 सदस्य कमेटी भी बनाई गई है. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही स्टोन क्रशर स्क्रीनिंग प्लांट की अनुमति दी जाएगी.

पढ़ें: महाकुंभ की बैठक में अधिकारियों से खफा मदन कौशिक, छोड़ी बैठक और निकल गए बाहर

यही नहीं उत्तराखंड से अन्य प्रदेशों में जाने वाले आरबीएम और बोल्डर अब अन्य प्रदेशों को नहीं जाएंगे. इसके अलावा अन्य प्रदेशों से उत्तराखंड में खनन सामग्री आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. गौरतलब है कि उत्तराखंड से लगे उत्तर प्रदेश सीमावर्ती क्षेत्रों में कई स्टोन क्रशर स्थापित है. इन स्टोन क्रशर में उत्तराखंड से भारी मात्रा में उप खनिज भेजा जाता था. ऐसे में उत्तराखंड में भवन निर्माण में उप खनिज की काफी कमी आने लगी थी. जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया है.

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