हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र जैव विविधता और औषधीय और सगंध पौधों को पिछले कई सालों से संरक्षित करने का काम कर रही है. यही नहीं विलुप्त हो रहे पौधों और वृक्षों को संरक्षित के मामले में हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र देश दुनिया में मुकाम भी हासिल कर चुका है. इसी के तहत अनुसंधान केंद्र ने उत्तराखंड में पहली बार लालकुआं नर्सरी में प्रसंस्करण संयंत्र यूनिट स्थापित किया है.
लालकुआं नर्सरी में संरक्षित किए गए औषधीय और सगंध पौधों से जड़ी बूटी और उसका तेल निकालने का काम कर रहा है. जिससे वन अनुसंधान केंद्र की आर्थिक मजबूती के साथ-साथ किसानों को औषधीय और सुगंधित पौधों से तैयार होने वाले उत्पादन के विषय में जानकारी और प्रशिक्षण दिया जा सके. लालकुआं वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह बिष्ट ने बताया कि अनुसंधान केंद्र की यह बड़ी उपलब्धि है जो पहली बार उत्तराखंड में विभाग द्वारा औषधीय और सुगंधित पौधों से जड़ी-बूटी और तेल निकालने का यूनिट लगाया गया है. इस प्लांट के माध्यम से किसानों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे किसान अधिक से अधिक एरोमेटिक और सुगंधित पौधों को लगाकर उससे उत्पादन तैयार कर अपनी आर्थिक मजबूती कर सकते हैं.
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उन्होंने कहा कि अनुसंधान केंद्र में करीब 2 हेक्टेयर में सुगंधित और औषधीय पौधे लगाए गए हैं. जहां करीब 140 से अधिक प्रजातियों की वाटिका के माध्यम से एरोमेटिक पौधे लगाए गए हैं. इसके अलावा 40 से अधिक फूलों की प्रजातियों के वाटिका तैयार की गई है. जिसके माध्यम से उत्पादन शुरू किया गया है. उन्होंने बताया कि वन अनुसंधान केंद्र का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के किसानों को इस ओर आकर्षित करना है. जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके. अनुसंधान केंद्र अपने स्तर से इन औषधीय और सुगंधित उत्पादन को प्लांट में तैयार कर मार्केटिंग करने जा रहा है. जिससे अनुसंधान केंद्र की भी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके.गौरतलब है कि लालकुआं और हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के नर्सरी में औषधीय और सुगंधित पौध वाटिका में लगाए गए हैं.