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मंडुवे और धान की खेती से पहाड़ी किसानों की बदलेगी तकदीर! दलहन की खेती में गिरावट

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इन दिनों काश्तकारों के बीच मंडुवा और धान की खेती को लेकर रुझान बढ़ा है. जबकि दहलन की खेती में गिरावट दर्ज की जा रही है.

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मंडुवा और धान की खेती
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Published : Sep 8, 2021, 4:51 PM IST

हल्द्वानी: पहाड़ के किसानों का अब धीरे-धीरे मंडुवा के साथ-साथ धान की खेती की ओर भी रुझान बढ़ने लगा है. आंकड़े बता रहे हैं कि पहाड़ के किसानों का मंडुवे की खेती की ओर रुझान बढ़ा है. वहीं, इस बार अच्छी बारिश होने के चलते तराई क्षेत्रों में धान की खेती में इजाफा हुआ है, लेकिन दलहन की खेती में काफी गिरावट देखी जा रही है.

संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल प्रदीप कुमार ने बताया कि इस वर्ष मौसम धान के अनुकूल रहा है. धान को पर्याप्त पानी भी मिल रहा है. ऐसे में इस बार धान की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. पिछले साल की तुलना में इस बार धान की बुआई अधिक हुई है.

उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में इस बार धान बुआई के लिए 1,69,500 हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 1,73,270 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुआई की गई है. जबकि मंडुवा की खेती के लिए 56,012 हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया था. जिसके सापेक्ष में 56,425 हेक्टेयर में मंडुवे की खेती हुई है.

मंडुवा और धान की खेती

ये भी पढ़ें: पिथौरागढ़ के योग प्रशिक्षक विजय ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, 1 मिनट में किया 21 बार सूर्य नमस्कार

उन्होंने बताया कि अच्छे दाम मिलने के चलते किसानों का मंडुवा खेती की ओर रुझान बढ़ा है. वहीं, किसानों का अब दलहन की ओर से रुझान कम हो रहा है. गहत की खेती के लिए इस बार 7,000 हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य रखा गया था, जिससे सापेक्ष में 6,815 हेक्टेयर भूमि पर ही बुआई हो पाई है.

भट्ट दाल की 6,220 हेक्टेयर भूमि पर खेती की गई है. सोयाबीन के लिए 19,000 हेक्टेयर भूमि पर खेती का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 14,835 हेक्टेयर खेती हुई है. बात राजमा की करें तो 2100 हेक्टेयर में खेती की जानी थी, जिसके सापेक्ष में 1,000 हेक्टेयर खेत में बुआई हुई है.

बात अरहर की करें तो 1,000 हेक्टेयर में खेती होनी थी, जिसके सापेक्ष में 905 हेक्टेयर बुआई की गई है. उड़द और मूंग की दाल का 13000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 12790 हेक्टेयर बुआई की गई है. मक्के की खेती के लिए 11,500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 11,305 हेक्टेयर में ही खेती हो पाई है.

हल्द्वानी: पहाड़ के किसानों का अब धीरे-धीरे मंडुवा के साथ-साथ धान की खेती की ओर भी रुझान बढ़ने लगा है. आंकड़े बता रहे हैं कि पहाड़ के किसानों का मंडुवे की खेती की ओर रुझान बढ़ा है. वहीं, इस बार अच्छी बारिश होने के चलते तराई क्षेत्रों में धान की खेती में इजाफा हुआ है, लेकिन दलहन की खेती में काफी गिरावट देखी जा रही है.

संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल प्रदीप कुमार ने बताया कि इस वर्ष मौसम धान के अनुकूल रहा है. धान को पर्याप्त पानी भी मिल रहा है. ऐसे में इस बार धान की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. पिछले साल की तुलना में इस बार धान की बुआई अधिक हुई है.

उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में इस बार धान बुआई के लिए 1,69,500 हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 1,73,270 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुआई की गई है. जबकि मंडुवा की खेती के लिए 56,012 हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया था. जिसके सापेक्ष में 56,425 हेक्टेयर में मंडुवे की खेती हुई है.

मंडुवा और धान की खेती

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उन्होंने बताया कि अच्छे दाम मिलने के चलते किसानों का मंडुवा खेती की ओर रुझान बढ़ा है. वहीं, किसानों का अब दलहन की ओर से रुझान कम हो रहा है. गहत की खेती के लिए इस बार 7,000 हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य रखा गया था, जिससे सापेक्ष में 6,815 हेक्टेयर भूमि पर ही बुआई हो पाई है.

भट्ट दाल की 6,220 हेक्टेयर भूमि पर खेती की गई है. सोयाबीन के लिए 19,000 हेक्टेयर भूमि पर खेती का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 14,835 हेक्टेयर खेती हुई है. बात राजमा की करें तो 2100 हेक्टेयर में खेती की जानी थी, जिसके सापेक्ष में 1,000 हेक्टेयर खेत में बुआई हुई है.

बात अरहर की करें तो 1,000 हेक्टेयर में खेती होनी थी, जिसके सापेक्ष में 905 हेक्टेयर बुआई की गई है. उड़द और मूंग की दाल का 13000 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 12790 हेक्टेयर बुआई की गई है. मक्के की खेती के लिए 11,500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष में 11,305 हेक्टेयर में ही खेती हो पाई है.

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