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पारे के उछाल से बढ़ी वन महकमे की बेचैनी, दावानल से अबतक करोड़ों की वनसंपदा खाक - Forest Department

प्रदेश में पारे की उछाल के साथ ही जंगलों की आग ने वन विभाग की बेचैनी बढ़ा दी है. वहीं, वन विभाग जंगलों के आग पर काबू पाने के लिए पहले ही रणनीति बनाने में लगा हुआ है.

जंगल में लगी आग.
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Published : Apr 23, 2019, 10:34 AM IST

नैनीताल: हर साल प्रदेश के जंगलों में लगने वाली वनाग्नि रोकना सरकार और वन विभाग के लिए चुनौती बनी रहती है. जबकि, दावानल पर काबू पाने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपए पानी की तरह बहाती है. बावजूद इसके वन महकमे के तमाम इंतजामात धरे के धरे रह जाते है. प्रदेश में अबतक दावानल से करीब 37791 हेक्टेयर की वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. जिसका मूल्य करीब 8 करोड़ 64 लाख 9 हजार रुपए आंका गया है.

वनाग्नि से जंगलों को पहुंच रहा काफी नुकसान.

प्रदेश में पारे की उछाल के साथ ही जंगलों की आग ने वन विभाग की बेचैनी बढ़ा दी है. वहीं वन विभाग जंगलों के आग पर काबू पाने के लिए पहले ही रणनीति बनाने में लगा हुआ है. जबकि, विगत वर्षों में प्रदेश के जंगलों को आग से काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं, जब नुकसान के बारे में आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया जानकारी मांगी तो रिकॉर्ड चौकाने वाले निकले. प्रदेश बनने के बाद अब तक जंगलों करीब 37791 हेक्टेयर वन और अमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. जिससे करीब 8 करोड़ 64 लाख 9 हजार रुपये का नुकसान हुआ है. जबकि वन विभाग ने जंगलों में आग लगाने वाले करीब 15 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है जिनके खिलाफ कोर्ट में मामला विचाराधीन है.

इतनी घटनाएं हो चुकी अभी तक.

  • 2000 में 925 हेक्टेयर 2 लाख 99 हजार का नुकसान.
  • 2001 में 1393 हेक्टेयर 1 लाख 17 हजार का नुकसान.
  • 2002 में 3231 हेक्टेयर 5 लाख 19 हजार का नुकसान.
  • 2003 में 4983 हेक्टेयर 10लाख 12 हजार का नुकसान.
  • 2004 में 4850 हेक्टेयर 13लाख 14 हजार का नुकसान.
  • 2005 में 3652 हेक्टेयर 10 लाख 82 हजार का नुकसान.
  • 2006 में 562 हेक्टेयर 1 लाख 62 हजार का नुकसान.
  • 2007 में 1595 हेक्टेयर 3 लाख 67 हजार का नुकसान.
  • 2008 में 2370 हेक्टेयर 2 लाख 68 हजार का नुकसान.
  • 2009 में 4115 हेक्टेयर 4 लाख 75 हजार का नुकसान.
  • 2010 में 1610 हेक्टेयर इसमें 50 हजार का नुकसान.
  • 2011 में 231 हेक्टेयर 30 हजार का नुकसान.
  • 2012 में 2862 के 3 लाख 3 हजार का नुकसान.
  • 2013 में 384 हेक्टेयर 4 लाख 28 हजार का नुकसान.
  • 2014 में 930 हेक्टेयर का 4 लाख 39 हजार का नुकसान.
  • 2015 में 701 हेक्टेयर 7 लाख 94 हजार का नुकसान.
  • 2016 में 4333 हेक्टेयर 4 लाख 65 हजार का नुकसान.
  • 2017 में 1244 हेक्टेयर 18 लाख 34 हजार का नुकसान.

वहीं, पिछले साल 2018 में प्रदेश के जंगलों में लगी भीषण आग में सबसे ज्यादा 4480 हेक्टेयर वन संपदा जल कर खाक हुई थी. जिससे करीब 86 लाख रूपए की वन संपदा जलकर खाक हुई.
आरटीआई से मिली जानकारी में बताया गया है कि जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग द्वारा फायर प्रबंधन योजनाएं, मास्टर प्लान, कंट्रोल रूम, क्रू स्टेशन, वॉच टावर, वायरलेस संचार नेटवर्क, सेटेलाइट समेत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि जंगलों में आग कम लग सके.

नैनीताल: हर साल प्रदेश के जंगलों में लगने वाली वनाग्नि रोकना सरकार और वन विभाग के लिए चुनौती बनी रहती है. जबकि, दावानल पर काबू पाने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपए पानी की तरह बहाती है. बावजूद इसके वन महकमे के तमाम इंतजामात धरे के धरे रह जाते है. प्रदेश में अबतक दावानल से करीब 37791 हेक्टेयर की वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. जिसका मूल्य करीब 8 करोड़ 64 लाख 9 हजार रुपए आंका गया है.

वनाग्नि से जंगलों को पहुंच रहा काफी नुकसान.

प्रदेश में पारे की उछाल के साथ ही जंगलों की आग ने वन विभाग की बेचैनी बढ़ा दी है. वहीं वन विभाग जंगलों के आग पर काबू पाने के लिए पहले ही रणनीति बनाने में लगा हुआ है. जबकि, विगत वर्षों में प्रदेश के जंगलों को आग से काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं, जब नुकसान के बारे में आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया जानकारी मांगी तो रिकॉर्ड चौकाने वाले निकले. प्रदेश बनने के बाद अब तक जंगलों करीब 37791 हेक्टेयर वन और अमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है. जिससे करीब 8 करोड़ 64 लाख 9 हजार रुपये का नुकसान हुआ है. जबकि वन विभाग ने जंगलों में आग लगाने वाले करीब 15 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है जिनके खिलाफ कोर्ट में मामला विचाराधीन है.

इतनी घटनाएं हो चुकी अभी तक.

  • 2000 में 925 हेक्टेयर 2 लाख 99 हजार का नुकसान.
  • 2001 में 1393 हेक्टेयर 1 लाख 17 हजार का नुकसान.
  • 2002 में 3231 हेक्टेयर 5 लाख 19 हजार का नुकसान.
  • 2003 में 4983 हेक्टेयर 10लाख 12 हजार का नुकसान.
  • 2004 में 4850 हेक्टेयर 13लाख 14 हजार का नुकसान.
  • 2005 में 3652 हेक्टेयर 10 लाख 82 हजार का नुकसान.
  • 2006 में 562 हेक्टेयर 1 लाख 62 हजार का नुकसान.
  • 2007 में 1595 हेक्टेयर 3 लाख 67 हजार का नुकसान.
  • 2008 में 2370 हेक्टेयर 2 लाख 68 हजार का नुकसान.
  • 2009 में 4115 हेक्टेयर 4 लाख 75 हजार का नुकसान.
  • 2010 में 1610 हेक्टेयर इसमें 50 हजार का नुकसान.
  • 2011 में 231 हेक्टेयर 30 हजार का नुकसान.
  • 2012 में 2862 के 3 लाख 3 हजार का नुकसान.
  • 2013 में 384 हेक्टेयर 4 लाख 28 हजार का नुकसान.
  • 2014 में 930 हेक्टेयर का 4 लाख 39 हजार का नुकसान.
  • 2015 में 701 हेक्टेयर 7 लाख 94 हजार का नुकसान.
  • 2016 में 4333 हेक्टेयर 4 लाख 65 हजार का नुकसान.
  • 2017 में 1244 हेक्टेयर 18 लाख 34 हजार का नुकसान.

वहीं, पिछले साल 2018 में प्रदेश के जंगलों में लगी भीषण आग में सबसे ज्यादा 4480 हेक्टेयर वन संपदा जल कर खाक हुई थी. जिससे करीब 86 लाख रूपए की वन संपदा जलकर खाक हुई.
आरटीआई से मिली जानकारी में बताया गया है कि जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग द्वारा फायर प्रबंधन योजनाएं, मास्टर प्लान, कंट्रोल रूम, क्रू स्टेशन, वॉच टावर, वायरलेस संचार नेटवर्क, सेटेलाइट समेत जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि जंगलों में आग कम लग सके.

Intro:नोट विजुअल बाइट मेल से भेजे हैं plz उठा ले।

स्लग-जंगल आग

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- हर साल प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग सरकार और वन विभाग के लिए चुनौती बनी रहती है, और हर साल आग बुझाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं, वही प्रदेश बनने के बाद अब तक जंगलों करीब 37791 हेक्टेयर वन और अमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो चुकी है जिससे करीब 8करोड 64लाख 9हजार रुपये का नुकसान भी हुआ है,,
जबकि वन विभाग ने जंगलों में आग लगाने वाले करीब 15 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है जिनके खिलाफ कोर्ट में मामला विचाराधीन है


Body:अगर आंकड़ों की बात करें तो
वर्ष 2000 में 925 हेक्टेयर 2 लाख 99हजार का नुकसान 2001 में 1393 हेक्टेयर 1लाख 17हजार का नुकसान
2002 में 3231 हेक्टेयर 5लाख 19हजार का नुकसान
2003 में 4983 हेक्टेयर 10लाख 12हजार का नुकसान
2004मे 4850 हेक्टेयर। 13लाख 14हजार का नुक्सान
2005 में 3652 हेक्टेयर 10 लाख 82हजार का नुकसान
2006 में 562 हेक्टेयर। 1लाख 62हजार का नुकसान
2007 में 1595 हेक्टेयर 3 लाख 67हजार का नुकसान
2008 में 2370 हेक्टेयर 2लाख 68हजार का नुकसान
2009 में 4115 हेक्टेयर 4लाख 75हजार का नुकसान
2010 में 1610 हेक्टेयर इसमें 50हजार का नुकसान। 2011 में 231 हेक्टेयर 30हजार का नुकसान
2012 में 2862 के 3 लाख 3हजार का नुकसान
2013 में 384 हेक्टेयर 4 लाख 28हजार का नुकसान
2014 में 930 हेक्टेयर का 4 लाख 39हजार का नुकसान 2015 में 701 हेक्टेयर 7 लाख 94 हजार का नुकसान
2016 में 4333 हेक्टेयर 4लाख 65 हजार का नुकसान,,
जबकी 2017 में 1244 हेक्टेयर 18 लाख 34 हजार का नुकसान।
वहीं पिछले साल 2018 में प्रदेश के जंगलों में लगी भीषण आग में सबसे ज्यादा 4480 हेक्टेयर वन संपदा जल कर खाक हुई थी जिससे करीब 86 लाख रूपए की वन संपदा जल कर खाक हुई।



Conclusion:वहीं आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर मुख्य वन संरक्षक कार्यालय ने बताया है कि जंगलों को आग से बचाने के लिए विभाग द्वारा फायर प्रबंधन योजनाएं, मास्टर प्लान, कंट्रोल रूम, क्रू स्टेशन, वॉच टावर, वायरलेस संचार नेटवर्क, सेटेलाइट समेत जागरूकता का अभियान चलाया जा रहा है ताकि जंगलों में आग कम लग सके ।

बाइट - हेमंत गोनिया आरटीआई कार्यकर्ता
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