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प्रवासियों के दिलों में देवभूमि की याद ताजा कर रहे ये युवा, लोगों के भर आये आंसू

कुदरत के खूबसूरत नजारों वाले उत्तराखंड में आज भी पलायन एक बड़ी समस्या है. गांव के गांव खाली हो रहे हैं.अब पलायन रोकने के लिए दो युवा कलाकार आगे आए हैं. एक चित्रकार तो दूसरा लोक गायक. दोनों कलाकार अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों से अपने गांव लौट आने की अपील कर रहे हैं.

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पलायन
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Published : Dec 13, 2019, 12:04 PM IST

Updated : Dec 13, 2019, 1:28 PM IST

हल्द्वानीः उत्तराखंड में पलायन त्रासदी की तरह है. पहाड़ से पलायन का दर्द किसी से छुपा नहीं है. पहाड़ वीरान हो रहे हैं. गांव खाली हो रहे हैं. ऐसे में इस दर्द को यहां के लोक गायकों ने अपने गानों के जरिए बयां किया तो कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बयां किया. नैनीताल जिले के बिनकोट गांव के रहने वाले युवा विवेक बिष्ट पहाड़ के प्रति अपनी भावनाओं और उम्मीदों के रंगों के जरिए खाली होते गांव के प्रति सुखद भविष्य की आस लोगों में जगाने की कोशिश कर रहे हैं.

पलायन रोकने अनोखी मुहिम.

नैनीताल जिले के छोटे से गांव बिनकोट के रहने वाले विवेक चंद्र बिष्ट पहाड़ के खाली होते गांव के प्रति अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारा है और उम्मीद जता रहे हैं कि इन पेंटिंग के जरिए पहाड़ छोड़ चुके लोगों के मन में अपने गांव के प्रति कुछ तो उम्मीद जागेगी.

वे पहाड़ की जीवन शैली, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर, उत्तराखंड के मूल देवी-देवताओं के चित्र को रंगों के जरिए के कैनवास पर उतारकर देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंड के लोगों के मन में पहाड़ की यादों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि पहाड़ की मिट्टी की खुशबू को महसूस करने वाले लोग किसी न किसी बहाने अपने पहाड़ वापस लौट सके.

ऐपण कला से सजी देहरी के बाहर बैठे बुजुर्ग, जंगल, नदी, उत्तराखंड के स्थानीय न्याय देवता गोलू के चित्रों को विवेक ने कैनवास पर उतारा है. चित्र लोगों को सीधे यह संदेश दे रहे हैं कि आपके गांव घरों की रौनक गायब है. विवेक पिछले 7 सालों से पेंटिंग कर रहे हैं. पहले पेंटिंग उनका शौक था लेकिन अब उन्होंने इसको अपना प्रोफेशन बना लिया है. विवेक अब तक करीब 300 से ज्यादा पेंटिंग बना चुके हैं, लेकिन इन पेंटिंग में सबसे ज्यादा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर , पारंपरिक परिधान ,देवी देवता शामिल हैं जिसको देश विदेश में खूब सराहा जा रहा है.

लोक गायक भी आगे आए
यही नहीं पलायन रोकने के लिए लोक गायकों द्वारा अपने मधुर संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है. लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने समय-समय पर अपनी गायकी से देवभूमि उत्तराखंड को संवारने में अहम योगदान दिया है.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः जमरानी बांध परियोजना ने पकड़ी रफ्तार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिली अंतिम मंजूरी

हाल ही में उत्तराखंड में तेजी से उभरते लोक गायक बीके सामन्त द्वारा भी अपने संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए उन्होंने एक गाना भी बनाया है जिसको लोक भाषा में पिरोया गया है. जिसके बोल 'तू ए जा ओ पहाड़' हैं.

उत्तराखंड को अलग राज्य बने 19 साल हो गए लेकिन पलायन तेजी से हो रहा है जो सबसे बड़ा चिंता का विषय है. उत्तराखंड के सीमांत में बसे हुए गांव लगातार खाली होते जा रहे हैं जहां दूसरे देशों की सीमा भी है ऐसे में यह पलायन देश की सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है.

राज्य सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है, लेकिन लोक गायक अपनी गायकी और युवा अपनी पेंटिंग के जरिए पहाड़ से होने वाले पलायन को रोकने का संदेश दे रहे हैं.

हल्द्वानीः उत्तराखंड में पलायन त्रासदी की तरह है. पहाड़ से पलायन का दर्द किसी से छुपा नहीं है. पहाड़ वीरान हो रहे हैं. गांव खाली हो रहे हैं. ऐसे में इस दर्द को यहां के लोक गायकों ने अपने गानों के जरिए बयां किया तो कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बयां किया. नैनीताल जिले के बिनकोट गांव के रहने वाले युवा विवेक बिष्ट पहाड़ के प्रति अपनी भावनाओं और उम्मीदों के रंगों के जरिए खाली होते गांव के प्रति सुखद भविष्य की आस लोगों में जगाने की कोशिश कर रहे हैं.

पलायन रोकने अनोखी मुहिम.

नैनीताल जिले के छोटे से गांव बिनकोट के रहने वाले विवेक चंद्र बिष्ट पहाड़ के खाली होते गांव के प्रति अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारा है और उम्मीद जता रहे हैं कि इन पेंटिंग के जरिए पहाड़ छोड़ चुके लोगों के मन में अपने गांव के प्रति कुछ तो उम्मीद जागेगी.

वे पहाड़ की जीवन शैली, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर, उत्तराखंड के मूल देवी-देवताओं के चित्र को रंगों के जरिए के कैनवास पर उतारकर देश-विदेश में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंड के लोगों के मन में पहाड़ की यादों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि पहाड़ की मिट्टी की खुशबू को महसूस करने वाले लोग किसी न किसी बहाने अपने पहाड़ वापस लौट सके.

ऐपण कला से सजी देहरी के बाहर बैठे बुजुर्ग, जंगल, नदी, उत्तराखंड के स्थानीय न्याय देवता गोलू के चित्रों को विवेक ने कैनवास पर उतारा है. चित्र लोगों को सीधे यह संदेश दे रहे हैं कि आपके गांव घरों की रौनक गायब है. विवेक पिछले 7 सालों से पेंटिंग कर रहे हैं. पहले पेंटिंग उनका शौक था लेकिन अब उन्होंने इसको अपना प्रोफेशन बना लिया है. विवेक अब तक करीब 300 से ज्यादा पेंटिंग बना चुके हैं, लेकिन इन पेंटिंग में सबसे ज्यादा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर , पारंपरिक परिधान ,देवी देवता शामिल हैं जिसको देश विदेश में खूब सराहा जा रहा है.

लोक गायक भी आगे आए
यही नहीं पलायन रोकने के लिए लोक गायकों द्वारा अपने मधुर संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है. लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने समय-समय पर अपनी गायकी से देवभूमि उत्तराखंड को संवारने में अहम योगदान दिया है.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंडः जमरानी बांध परियोजना ने पकड़ी रफ्तार, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिली अंतिम मंजूरी

हाल ही में उत्तराखंड में तेजी से उभरते लोक गायक बीके सामन्त द्वारा भी अपने संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए उन्होंने एक गाना भी बनाया है जिसको लोक भाषा में पिरोया गया है. जिसके बोल 'तू ए जा ओ पहाड़' हैं.

उत्तराखंड को अलग राज्य बने 19 साल हो गए लेकिन पलायन तेजी से हो रहा है जो सबसे बड़ा चिंता का विषय है. उत्तराखंड के सीमांत में बसे हुए गांव लगातार खाली होते जा रहे हैं जहां दूसरे देशों की सीमा भी है ऐसे में यह पलायन देश की सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है.

राज्य सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है, लेकिन लोक गायक अपनी गायकी और युवा अपनी पेंटिंग के जरिए पहाड़ से होने वाले पलायन को रोकने का संदेश दे रहे हैं.

Intro:sammry- युवाओं ने उठाया पलायन रोकने का जिम्मा संगीत और पेंटिंग से पलायन रोकने पर कर रहे हैं काम।( खबर मेल से उठाएं )


एंकर- उत्तराखंड में पलायन त्रासदी की तरह है । पहाड़ से पलायन का दर्द किसी से छुपा नहीं है पहाड़ विरान हो रहे हैं गांव खाली हो रहे हैं ऐसे में इस दर्द को यहां के लोग गायकों ने अपनी गानों के जरिए बयां किया तो कभी कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बयां किया। नैनीताल जिले के बिनकोट गांव के रहने वाले युवा विवेक पहाड़ के प्रति अपनी भावनाओं और उम्मीदों के रंगों के जरिए खाली होते गांव के प्रति सुखद भविष्य की आज लोगों में जगाने की कोशिश कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट----


Body:नैनीताल जिले के छोटे से गांव बिनकोट के रहने वाले विवेक चंद्र बिष्ट पहाड़ के खाली होते गांव के प्रति अपनी भावनाओं को कैनवास पर उतारा है और उम्मीद जता रहे हैं कि इन पेंटिंग के जरिए पहाड़ छोड़ चुके लोगों के मन में अपने गांव के प्रति कुछ तो उम्मीद जागे पहाड़ की जीवन शैली ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर उत्तराखंड के मूल देवी-देवताओं के चित्र को रंगो के जरिए के कैनवास पर उतारकर देश विदेश में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंड के लोगों के मन में पहाड़ की याद को जगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पहाड़ की मिट्टी की खुशबू को महसूस करने वाले लोग किसी न किसी बहाने अपने पहाड़ को वापस लौट सकें।

ऐपण कला से सजी देहली घर के बाहर बैठे बुजुर्ग, जंगल, नदी, उत्तराखंड के स्थानीय न्याय देवता गोलू के चित्रों को विवेक ने कैनवास पर उतार दिया चित्र लोगों को सीधे यह संदेश दे रहे हैं कि बेघर आपके गांव घरों की रौनक गायब है ।विवेक पिछले 7 सालों से पेंटिंग कर रहे हैं ।पहले पेंटिंग उनका शौक था लेकिन अब उन्होंने इसको अपना प्रोफेशन बना लिया है। विवेक अब तक करीब 300 से ज्यादा पेंटिंग बना चुके हैं लेकिन इन पेंटिंग में सबसे ज्यादा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर , परंपरिक परिधान ,देवी देवता शामिल है जिसको देश विदेश में खूब सराहा जा रहा है।

बाइट -विवेक चंद बिष्ट युवा चित्रकार


यही नहीं पलायन रोकने के लिए लोक गायकों द्वारा अपने मधुर संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है। लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने समय-समय पर अपनी गायकी से देवभूमि उत्तराखंड को सवारने में अहम योगदान दिया है। हाल ही में उत्तराखंड में तेजी से उभरते लोक गायक बीके सामन्त द्वारा अपने संगीत के माध्यम से पलायन रोकने की कोशिश की जा रही है ।जिसके लिए उन्होंने एक गाना भी बनाया है जिसको लोक भाषा में पिरोया गया है ।जिसके बोल "तू ए जा ओ ओ पहाड़"।


Conclusion:उत्तराखंड को अलग राज्य बने 19 साल हो गए लेकिन पलायन तेजी से हो रहा है जो सबसे बड़ा चिंता का विषय है ।उत्तराखंड के गांव, सीमांत में बसे हुए लगातार खाली होते जा रहे हैं जिससे दूसरे देशों की सीमा भी सकती है जो देश की सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है ।राज्य सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है ।लेकिन लोक गायक अपनी गायकी और युवा अपनी पेंटिंग के जरिए पहाड़ से होने वाले पलायन को रोकने का संदेश दे रहे हैं।
Last Updated : Dec 13, 2019, 1:28 PM IST
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