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हल्द्वानी: इंसेफेलाइटिस से दो बच्चियों की मौत - Sushila Tiwari Hospital Administration

हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज करा रही दो बहनों की दिमागी बुखार से मौत हुई है. बताया जा रहा है कि दोनों बच्चियां खटीमा के नेपाल सीमांत क्षेत्र की रहने वाली हैं.

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Published : Sep 4, 2020, 9:59 AM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड में दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) ने दस्तक दे दी है. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज करा रही दो बहनों की दिमागी बुखार से मौत हुई है. बताया जा रहा है कि दोनों बच्चियां खटीमा के नेपाल सीमांत क्षेत्र की रहने वाली हैं.

खटीमा के सिसैया निवासी सुनील कुमार की दो बेटियां करिश्मा (8) और अर्चना (6) को तेज बुखार आने के बाद खटीमा में इलाज कराया गया. बुखार ठीक न होने के कारण उनकी तबीयत और बिगड़ गई. 27 अगस्त को दोनों को सुशीला तिवारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया. जहां उनकी मौत हो गई.

पढ़ें: रुद्रपुर में विधवा के साथ दुष्कर्म, पीड़िता ने कोतवाली में दी तहरीर


कैसे होता है इंसेफेलाइटिस ?

सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस डॉक्टर अरुण जोशी ने बताया कि दोनों बच्चियों की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण हुई है. दोनों बच्चियां बेहोशी की हालत में थी. उन्होंने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्रकार का वायरस है जो मच्छरों के माध्यम से इंसान के शरीर में पहुंचता है. छोटे बच्चों में इस तरह के लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं.

इंसेफेलाइटिस क्या है ?

इंसेफेलाइटिस का पूरा नाम एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम है. जिसे आम भाषा में चमकी बुखार या दिमागी बुखार के नामों से जाना जाता है. इंसेफेलाइटिस से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जिसमें मस्तिष्क में सूजन हो जाती है. आमतौर पर, इंसेफेलाइटिस की बीमारी वायरल संक्रमण की वजह से होती है. कुछ मामलों में इसका कारण बैक्टीरिया या फंगी होता है. यदि इसका इलाज सही समय पर न कराया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकती है. इसकी वजह से उसकी जान भी जा सकती है.

इंसेफेलाइटिस के लक्षण

1. बुखार होना

यह इंसेफेलाइटिस का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को काफी तेज बुखार होता है. आमतौर पर, लोग इंसेफेलाइटिस को सामान्य बीमारी समझते हैं और इसी कारण इसका इलाज सही तरीके से नहीं कराते हैं. लेकिन, कई बार बुखार होना इंसेफेलाइटिस जैसे किसी बीमारी का संकेत हो सकता है.

2. सिरदर्द होना

अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि चमकी बुखार होता है तो उसकी शुरुआत सिरदर्द से होती है. लोग सिरदर्द को तनाव का कारण समझते हैं. इसी कारण वे इसके लिए सिरदर्द की दवाई लेते हैं. लेकिन, जब सिरदर्द में किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तो उसे अपने स्वास्थ की जांच करानी चाहिए. क्योंकि यह माइग्रेन या अन्य किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.

3. कमजोरी महसूस होना

यदि कोई व्यक्ति किसी काम को ज्यादा देर तक नहीं कर पाता है और वह जल्द ही थक जाता है तो उसे इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि डॉक्टर से मिलकर उसका सही इलाज कराना चाहिए. क्योंकि यह चमकी बुखार का संकेत हो सकता है.

4. गर्दन में अकड़न होना

इंसेफेलाइटिस की शुरुआत गर्दन में अकड़न के साथ भी होती है. इसी कारण अगर किसी व्यक्ति को यह समस्या है तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और अपना इलाज शुरू कराना चाहिए.

5. बोलने या सुनने में तकलीफ होना

यदि किसी व्यक्ति को बोलने या सुनने में अचानक से तकलीफ होने लगती है तो उसे इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जांच डॉक्टर से करानी चाहिए. क्योंकि यह इंसेफेलाइटिस का संकेत हो सकता है.

इंसेफेलाइटिस का इलाज कैसे होता है ?

1. एंटीवायरल दवाई लेना

दिमागी बुखार वायरल के कारण भी होता है. इसलिए डॉक्टर को दिखाकर एंटीवायरल दवाई कारगर हो सकती है. ये दवाइयां शरीर में वायरल की संभावना को कम करती हैं.

2. सीटी स्कैन कराना

अक्सर, इंसेफेलाइटिस का इलाज करने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है. इसके बाद डॉक्टर आगे का इलाज करते हैं. इस टेस्ट के द्वारा शरीर के आंतरिक अंगों की तस्वीर ली जाती है. ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि इंसेफेलाइटिस की बीमारी शरीर में किस हद तक फैल चुकी है.

3. ब्लड टेस्ट कराना

डॉक्टर चमकी बुखार का इलाज ब्लड टेस्ट के द्वारा भी करते हैं. इस टेस्ट के द्वारा मनुष्य के शरीर में दिमागी बुखार की गति का पता लगाया जाता है. फिर उसके आधार पर इसका इलाज किया जाता है.

4. बायोप्सी सर्जरी कराना

जब इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति को उपचार के किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है तब डॉक्टर उसे बायोप्सी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं. बायोप्सी सर्जरी इंसेफेलाइटिस का इलाज करने का सर्वोत्तम तरीका है.

हल्द्वानी: उत्तराखंड में दिमागी बुखार (इंसेफेलाइटिस) ने दस्तक दे दी है. हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज करा रही दो बहनों की दिमागी बुखार से मौत हुई है. बताया जा रहा है कि दोनों बच्चियां खटीमा के नेपाल सीमांत क्षेत्र की रहने वाली हैं.

खटीमा के सिसैया निवासी सुनील कुमार की दो बेटियां करिश्मा (8) और अर्चना (6) को तेज बुखार आने के बाद खटीमा में इलाज कराया गया. बुखार ठीक न होने के कारण उनकी तबीयत और बिगड़ गई. 27 अगस्त को दोनों को सुशीला तिवारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया. जहां उनकी मौत हो गई.

पढ़ें: रुद्रपुर में विधवा के साथ दुष्कर्म, पीड़िता ने कोतवाली में दी तहरीर


कैसे होता है इंसेफेलाइटिस ?

सुशीला तिवारी अस्पताल के एमएस डॉक्टर अरुण जोशी ने बताया कि दोनों बच्चियों की मौत जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण हुई है. दोनों बच्चियां बेहोशी की हालत में थी. उन्होंने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्रकार का वायरस है जो मच्छरों के माध्यम से इंसान के शरीर में पहुंचता है. छोटे बच्चों में इस तरह के लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं.

इंसेफेलाइटिस क्या है ?

इंसेफेलाइटिस का पूरा नाम एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम है. जिसे आम भाषा में चमकी बुखार या दिमागी बुखार के नामों से जाना जाता है. इंसेफेलाइटिस से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जिसमें मस्तिष्क में सूजन हो जाती है. आमतौर पर, इंसेफेलाइटिस की बीमारी वायरल संक्रमण की वजह से होती है. कुछ मामलों में इसका कारण बैक्टीरिया या फंगी होता है. यदि इसका इलाज सही समय पर न कराया जाए तो यह किसी भी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकती है. इसकी वजह से उसकी जान भी जा सकती है.

इंसेफेलाइटिस के लक्षण

1. बुखार होना

यह इंसेफेलाइटिस का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को काफी तेज बुखार होता है. आमतौर पर, लोग इंसेफेलाइटिस को सामान्य बीमारी समझते हैं और इसी कारण इसका इलाज सही तरीके से नहीं कराते हैं. लेकिन, कई बार बुखार होना इंसेफेलाइटिस जैसे किसी बीमारी का संकेत हो सकता है.

2. सिरदर्द होना

अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि चमकी बुखार होता है तो उसकी शुरुआत सिरदर्द से होती है. लोग सिरदर्द को तनाव का कारण समझते हैं. इसी कारण वे इसके लिए सिरदर्द की दवाई लेते हैं. लेकिन, जब सिरदर्द में किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तो उसे अपने स्वास्थ की जांच करानी चाहिए. क्योंकि यह माइग्रेन या अन्य किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है.

3. कमजोरी महसूस होना

यदि कोई व्यक्ति किसी काम को ज्यादा देर तक नहीं कर पाता है और वह जल्द ही थक जाता है तो उसे इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि डॉक्टर से मिलकर उसका सही इलाज कराना चाहिए. क्योंकि यह चमकी बुखार का संकेत हो सकता है.

4. गर्दन में अकड़न होना

इंसेफेलाइटिस की शुरुआत गर्दन में अकड़न के साथ भी होती है. इसी कारण अगर किसी व्यक्ति को यह समस्या है तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और अपना इलाज शुरू कराना चाहिए.

5. बोलने या सुनने में तकलीफ होना

यदि किसी व्यक्ति को बोलने या सुनने में अचानक से तकलीफ होने लगती है तो उसे इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जांच डॉक्टर से करानी चाहिए. क्योंकि यह इंसेफेलाइटिस का संकेत हो सकता है.

इंसेफेलाइटिस का इलाज कैसे होता है ?

1. एंटीवायरल दवाई लेना

दिमागी बुखार वायरल के कारण भी होता है. इसलिए डॉक्टर को दिखाकर एंटीवायरल दवाई कारगर हो सकती है. ये दवाइयां शरीर में वायरल की संभावना को कम करती हैं.

2. सीटी स्कैन कराना

अक्सर, इंसेफेलाइटिस का इलाज करने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है. इसके बाद डॉक्टर आगे का इलाज करते हैं. इस टेस्ट के द्वारा शरीर के आंतरिक अंगों की तस्वीर ली जाती है. ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि इंसेफेलाइटिस की बीमारी शरीर में किस हद तक फैल चुकी है.

3. ब्लड टेस्ट कराना

डॉक्टर चमकी बुखार का इलाज ब्लड टेस्ट के द्वारा भी करते हैं. इस टेस्ट के द्वारा मनुष्य के शरीर में दिमागी बुखार की गति का पता लगाया जाता है. फिर उसके आधार पर इसका इलाज किया जाता है.

4. बायोप्सी सर्जरी कराना

जब इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति को उपचार के किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है तब डॉक्टर उसे बायोप्सी सर्जरी कराने की सलाह देते हैं. बायोप्सी सर्जरी इंसेफेलाइटिस का इलाज करने का सर्वोत्तम तरीका है.

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