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कोरोना के बाद फलों पर 'टफरीना' का अटैक, काश्तकार हुए मायूस - रामगढ़ और मुक्तेश्वर के निचले इलाकों में आडू

इस साल जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी से काश्तकारों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी. लेकिन मार्च में हुई बेमौसम ओलावृष्टि के बाद टफरीना फंगस ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

Tufrina attack on fruits
कोरोना के बाद फलों पर 'टफरीना' का अटैक.
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Published : Jun 29, 2020, 6:38 PM IST

Updated : Jun 29, 2020, 8:47 PM IST

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में फलों के कारोबार पर कोरोना संकट छाया हुआ है. पहाड़ों में तेज बारिश और ओलावृष्टि से आड़ू, पुलम और खुमानी की फसलें बर्बाद हो रही हैं. इसके साथ ही टफरीना फंगस ने आडू और पुलम की खेती करने वाले किसानों के सामने नई मुश्किल पैदा कर दी है. कोरोना के चलते दिल्ली-मुंबई की मंडियों के बंद होने के कारण काश्तकार अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं.

रामगढ़ और मुक्तेश्वर के निचले इलाकों में आड़ू काफी प्रसिद्ध है. तल्ला रामगढ़ के आड़ू की मिठास मुंबई की मंडी में हर साल उपलब्ध होती रहती है. लेकिन इस बार नैनीताल के काश्तकारों को कोरोना के साथ प्रकृति की मार भी झेलनी पड़ी है. बीते 13 और 14 मार्च को नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी और भीमताल ब्लॉक में ओलावृष्टि ने आड़ू और पुलम की फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा था. जिसकी वजह से किसानों के खेतों में आड़ू की पैदावार करीब-करीब आधी हो गई है.

नैनीताल जिले में रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल पट्टी काफी प्रसिद्ध है. इस फल पट्टी में सेब, आड़ू, पुलम, खुमानी, अखरोट की पैदावार होती है. लेकिन इन इलाकों में सबसे अधिक उत्पादन आड़ू का होता है. इस साल जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी के बाद काश्तकारों को उम्मीद थी कि आड़ू की पैदावार काफी अच्छी होगी, लेकिन ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया.

कोरोना के बाद फलों पर 'टफरीना' का अटैक.

ये भी पढ़ें: कोरोना से 'जंग' जीतने वालों संग हो रहा भेदभाव, नहीं मिल रहा सामान, पड़ोसियों ने भी बनाई दूरी

नैनीताल में पिछले वर्ष आड़ू का उत्पादन 26428 मीट्रिक टन हुआ था. जिसकी पैदावार करीब 1824 हेक्टेयर भूमि में हुई थी. वहीं, पुलम का उत्पादन 6294 मीट्रिक टन था. जो 586 हेक्टेयर भूमि में हुआ था. हालांकि अब मंडी समिति काश्तकारों के आड़ू को दिल्ली, पंजाब और मुंबई की मंडियों को भेज रहे हैं. लेकिन काश्तकारों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.

टफरीना फंगस क्या है

टफरीना फंगस पहले आड़ू और पुलम के पेड़ों की पत्तियों को हरा और भूरा करना शुरू करती हैं और धीरे-धीरे पेड़ को सुखा देती हैं. बता दें कि मार्च में हुई ओलावृष्टि की वजह से पहले ही भारी नुकसान हो चुका है. आड़ू और पुलम की फसल 40 से 50 प्रतिशत तक चौपट हो गई थी. लेकिन अब टफरीना फंगस से किसानों को 90 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

नैनीताल में सबसे अधिक आडू का उत्पादन

पूरे प्रदेश में आड़ू और पुलम का सबसे ज्यादा उत्पादन नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी और भीमताल में होती है. इन्हीं के कारण नैनीताल जिले में रामगढ़ मुक्तेश्वर फल पट्टी काफी प्रसिद्ध है. इस पट्टी में सेब, आड़ू, पुलम, खुमानी, अखरोट की पैदावार सबसे ज्यादा है. रामगढ़ मुक्तेश्वर में बीते वर्ष आड़ू का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया गया था. इस साल भी जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी से काश्तकारों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी. लेकिन मार्च में हुई बेमौसम ओलावृष्टि के बाद टफरीना फंगस ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में फलों के कारोबार पर कोरोना संकट छाया हुआ है. पहाड़ों में तेज बारिश और ओलावृष्टि से आड़ू, पुलम और खुमानी की फसलें बर्बाद हो रही हैं. इसके साथ ही टफरीना फंगस ने आडू और पुलम की खेती करने वाले किसानों के सामने नई मुश्किल पैदा कर दी है. कोरोना के चलते दिल्ली-मुंबई की मंडियों के बंद होने के कारण काश्तकार अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं.

रामगढ़ और मुक्तेश्वर के निचले इलाकों में आड़ू काफी प्रसिद्ध है. तल्ला रामगढ़ के आड़ू की मिठास मुंबई की मंडी में हर साल उपलब्ध होती रहती है. लेकिन इस बार नैनीताल के काश्तकारों को कोरोना के साथ प्रकृति की मार भी झेलनी पड़ी है. बीते 13 और 14 मार्च को नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी और भीमताल ब्लॉक में ओलावृष्टि ने आड़ू और पुलम की फसलों को बहुत नुकसान पहुंचा था. जिसकी वजह से किसानों के खेतों में आड़ू की पैदावार करीब-करीब आधी हो गई है.

नैनीताल जिले में रामगढ़ और मुक्तेश्वर फल पट्टी काफी प्रसिद्ध है. इस फल पट्टी में सेब, आड़ू, पुलम, खुमानी, अखरोट की पैदावार होती है. लेकिन इन इलाकों में सबसे अधिक उत्पादन आड़ू का होता है. इस साल जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी के बाद काश्तकारों को उम्मीद थी कि आड़ू की पैदावार काफी अच्छी होगी, लेकिन ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया.

कोरोना के बाद फलों पर 'टफरीना' का अटैक.

ये भी पढ़ें: कोरोना से 'जंग' जीतने वालों संग हो रहा भेदभाव, नहीं मिल रहा सामान, पड़ोसियों ने भी बनाई दूरी

नैनीताल में पिछले वर्ष आड़ू का उत्पादन 26428 मीट्रिक टन हुआ था. जिसकी पैदावार करीब 1824 हेक्टेयर भूमि में हुई थी. वहीं, पुलम का उत्पादन 6294 मीट्रिक टन था. जो 586 हेक्टेयर भूमि में हुआ था. हालांकि अब मंडी समिति काश्तकारों के आड़ू को दिल्ली, पंजाब और मुंबई की मंडियों को भेज रहे हैं. लेकिन काश्तकारों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.

टफरीना फंगस क्या है

टफरीना फंगस पहले आड़ू और पुलम के पेड़ों की पत्तियों को हरा और भूरा करना शुरू करती हैं और धीरे-धीरे पेड़ को सुखा देती हैं. बता दें कि मार्च में हुई ओलावृष्टि की वजह से पहले ही भारी नुकसान हो चुका है. आड़ू और पुलम की फसल 40 से 50 प्रतिशत तक चौपट हो गई थी. लेकिन अब टफरीना फंगस से किसानों को 90 प्रतिशत तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

नैनीताल में सबसे अधिक आडू का उत्पादन

पूरे प्रदेश में आड़ू और पुलम का सबसे ज्यादा उत्पादन नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी और भीमताल में होती है. इन्हीं के कारण नैनीताल जिले में रामगढ़ मुक्तेश्वर फल पट्टी काफी प्रसिद्ध है. इस पट्टी में सेब, आड़ू, पुलम, खुमानी, अखरोट की पैदावार सबसे ज्यादा है. रामगढ़ मुक्तेश्वर में बीते वर्ष आड़ू का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया गया था. इस साल भी जनवरी-फरवरी में हुई अच्छी बर्फबारी से काश्तकारों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी. लेकिन मार्च में हुई बेमौसम ओलावृष्टि के बाद टफरीना फंगस ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

Last Updated : Jun 29, 2020, 8:47 PM IST
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