नैनीताल: लॉकडाउन के बाद सरोवर नगरी नैनीताल का पर्यटन कारोबार अब एक बार फिर से पटरी पर लौटने लगा है. जिससे नैनी झील में नाव चालाकों के चेहरे में खुशी देखने को मिल रही है. नाव चालक अपनी नावों को रिपेयर कर सजा रहे है. ताकि पर्यटकों को नावों में घुमाया जा सके.
अनलॉक-5 की जारी गाइडलाइन के बाद नैनीताल की खूबसूरत झील में एक बार फिर से पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो गई है. जिससे वहां के कारोबारियों में खुशी देखी जा रही है. लॉकडाउन के कारण नाव चालाकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.
बता दें कि, सरोवर नगरी नैनीताल आने वाले सैलानी नौकायान का जमकर आनंद लेते है. बता दें कि इन नावों का रोचक इतिहास है. ब्रिटिश काल में नैनीताल की झील में नावों का संचालन शुरू हुआ था और इन लोगों को बनाने के लिए विदेशों से कारीगर नैनीताल आया करते थे. लेकिन अब नैनीताल के नाव चालकों ने अपनी इन नावों को रिपेयर करने का हुनर सीख लिया है. साल में दो बार नाव चालक अपनी इन नावों की रिपेयरिंग करते हैं. ताकि इन नाव में बैठने वाले पर्यटक सुरक्षित रह सकें.
पढ़ें: नेपाल की सीमा पर नवनिर्मित सड़क से चीन को हो सकता है फायदा : विशेषज्ञ
नाव चालकों का कहना है कि, नाव को बनाने के लिए तुन की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. तुन की लकड़ी पानी में लंबे समय तक आसानी से तैर सकती है. इन नाव को बनाने के लिए फेविकोल और लकड़ी के बुरादे के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है. नैनी झील में चलने वाली नाव की लंबाई 6 मीटर के आसपास है. नाव को रिपेयर करने में करीब 30 हजार रुपए का खर्चा आता है. उन्होंने बताया कि, पहले तक नाव को रिपेयर करने के लिए मुंबई से लकड़ी और विशेष प्रकार का तेल और तांबे की कीलों को लाया जाता था, लेकिन अब यह सब चीजें नैनीताल और हल्द्वानी की बाजारों में मिल जाते हैं.