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उत्तराखंड में बाघों की संख्या में वृद्धि खुशी से ज्यादा चुनौती, जानिए कैसे ? - उत्तराखंड में बाघों की वृद्धि से खुशी का माहौल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड टाइगर-डे के मौके पर बाघों की गणना की घोषणा करते हुए उत्तराखंड सरकार, वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों को बधाई दी, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब वन विभाग के सामने है.बाघों के बढ़ते कुनबे से मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं और वन्यजीव तस्करों से निपटने की चुनौती भी होगी.

उत्तराखंड में बाघों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी
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Published : Jul 31, 2019, 11:14 AM IST

Updated : Jul 31, 2019, 12:04 PM IST

हल्द्वानी: पूरे देश में बाघ संरक्षण को लेकर में उत्तराखंड टॉप फाइव में जगह बनाने सफल रहा. यहां बाघों की संख्या 340 से बढ़कर 442 हो गई है. जहां प्रदेश में एक तरफ बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है तो वहीं, दूसरी तरफ वन विभाग के सामने वन्यजीव संघर्ष और बाघों की सुरक्षा भी एक चुनौती बनकर उभरी है.

उत्तराखंड में बाघों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी.

बता दें कि उत्तराखंड में लगातार बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है. 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग 340 थी जो कि बढ़कर 442 तक पहुंच गई है. ऐसे में वन विभाग के साथ वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है, लेकिन अब सवाल बाघों के रहने, जंगलों में पर्याप्त भोजन और सुरक्षा को लेकर है. सबसे बड़ी चुनौती बाघों का वन्यजीव तस्करों और शिकारियों को रोकना भी है. क्योंकि, मॉनसून में शिकारी सक्रिय हो जाते हैं.

वहीं वन मंत्री हरक सिह रावत भी बाघों के बढ़ते कुनबे से खासा उत्साहित हैं. लेकिन उनका मानना है कि बाघों की बढ़ती संख्या विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण है. मंत्री हरक सिंह रावत ने ये भी कहा कि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ उनकी सुरक्षा और संरक्षण करना वन विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है. इस पर मंथन कर कोई ठोस योजना बनाई जाएगी और इसे जल्द जमीनी स्तर पर लाकर बाघों का संरक्षण करने का काम किया जाएगा.

हल्द्वानी: पूरे देश में बाघ संरक्षण को लेकर में उत्तराखंड टॉप फाइव में जगह बनाने सफल रहा. यहां बाघों की संख्या 340 से बढ़कर 442 हो गई है. जहां प्रदेश में एक तरफ बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है तो वहीं, दूसरी तरफ वन विभाग के सामने वन्यजीव संघर्ष और बाघों की सुरक्षा भी एक चुनौती बनकर उभरी है.

उत्तराखंड में बाघों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी.

बता दें कि उत्तराखंड में लगातार बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है. 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग 340 थी जो कि बढ़कर 442 तक पहुंच गई है. ऐसे में वन विभाग के साथ वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है, लेकिन अब सवाल बाघों के रहने, जंगलों में पर्याप्त भोजन और सुरक्षा को लेकर है. सबसे बड़ी चुनौती बाघों का वन्यजीव तस्करों और शिकारियों को रोकना भी है. क्योंकि, मॉनसून में शिकारी सक्रिय हो जाते हैं.

वहीं वन मंत्री हरक सिह रावत भी बाघों के बढ़ते कुनबे से खासा उत्साहित हैं. लेकिन उनका मानना है कि बाघों की बढ़ती संख्या विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण है. मंत्री हरक सिंह रावत ने ये भी कहा कि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ उनकी सुरक्षा और संरक्षण करना वन विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है. इस पर मंथन कर कोई ठोस योजना बनाई जाएगी और इसे जल्द जमीनी स्तर पर लाकर बाघों का संरक्षण करने का काम किया जाएगा.

Intro:sammry- बाघों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ सुरक्षा की भी चुनौती। ( इस खबर में बाइट मोजो सेउठाएं जबकि विजुअल पूर्व में भेजी गई मेल से उठाकर लगा ले ) एंकर- देश में बाघ संरक्षण के मामले में टॉप फाइव में उत्तराखंड जगह बनाने में भले ही कामयाब हो गया हो मगर इसके साथ ही वन विभाग के सामने चुनौती भी खासी बढ़ गई है ।उत्तराखंड में बाघों की संख्या 340 से बढ़कर 442 हो गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड टाइगर डे के मौके पर बाघों की गणना की घोषणा करते हुए उत्तराखंड सरकार और वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों को बधाईयां भी लेकिन लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अब वन विभाग के सामने हैं। बढ़ते बाघों के कुनबे से मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं और वन्यजीव तस्कर से निपटने का सबसे बड़ा चुनौती है।


Body:दरअसल उत्तराखंड में लगातार बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है। 340 बाघों की संख्या के साथ 2018 में हुई गणना के साथ उत्तराखंड में बाघों की संख्या 442 पहुंच गया है ऐसे में वन विभाग के साथ वन्यजीव प्रेमियों में बेहद खुशी है मगर सबसे बड़ा सवाल उनके आवास स्थल की, जंगलों में पर्याप्त भोजन की और उनकी सुरक्षा की चुनौती के साथ साथ मानव वन्यजीव टकराव को रोकना भी है। राज्य में 71 फ़ीसदी वन विभाग वाले क्षेत्र में बाघों की प्रमुख वासन स्थल कार्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा राजाजी टाइगर और प्रदेश के 12 वन प्रभाग। इसके साथ 12000 फुट की ऊंचाई पर भी बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। साल दर साल बाघ का कुनबा बढ़ता जा रहा है उस हिसाब से यहां के जंगलों में उनके लिए आवास स्थल और भोजन का इंतजाम होना जरूरी है ।ऐसे में सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं कि अगर वनों में बाघों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है तो बाघ आबादी वाले क्षेत्र में आएंगे और मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ सकती हैं। दूसरा बड़ा सवाल बाघों की सुरक्षा का है बाबू की बढ़ती संख्या के बाद अब शिकारियों की भी निगाहे इन बाघों को ऊपर हैं और इन बाघों को शिकार करने के लिए शिकारी किसी भी हद तक जा सकते हैं यह सब रोकने के लिए वन विभाग के लिए सबसे बड़ा चुनौती साबित होगा


Conclusion:बाघों की बढ़ते कुनबे से वन मंत्री हरक सिंह रावत भी उत्साहित हैं लेकिन वह भी मान रहे हैं कि बाघों की बढ़ती संख्या विभाग के लिए चुनौती है। हरक सिंह रावत का कहना है कि बाघों की बढ़ती संख्या के साथ साथ उनकी सुरक्षा और संरक्षण करना उनकी जिम्मेदारी है इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि इस पर मंथन कर कोई ठोस योजना बनाई जाए और इसे जल्द धरातल पर लाकर इन बाघों की संरक्षण करने का काम किया जाए। बाइट- हरक सिंह रावत वन मंत्री
Last Updated : Jul 31, 2019, 12:04 PM IST

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