हल्द्वानीः ग्रामीण इलाकों में सिंचाई और हल्द्वानी शहर की पेयजल की लाइफ लाइन कहे जाने वाले गौला बैराज का जलस्तर रोजाना घट रहा है. वहीं, गौला बैराज में न्यूनतम जलस्तर ने पिछले 10 सालों का मार्च महीने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बैराज में मात्र 77 क्यूसेक पानी रह गया है. ऐसे में रोजाना कम हो रहा जलस्तर आने वाले दिनों में शहर की पेयजल समस्या के साथ-साथ सिंचाई संकट की बड़ी वजह बन सकता है. ऐसे में शहर की पेयजल व्यवस्था बाधित न हो, इसके लिए जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने अतिरिक्त ट्यूबवेल लगाने के निर्देश दिए हैं.
सिंचाई विभाग से मिले आंकड़े के मुताबिक 1 मार्च को गौला बैराज में वर्ष 2016 में 112 क्यूसेक पानी था. वर्ष 2017 तक 130 क्यूसेक पानी रहा. वर्ष 2018 में 91 क्यूसेक पानी रहा. वर्ष 2019 तक 213 क्यूसेक पानी रहा. वहीं, वर्ष 2020 तक 278 क्यूसेक रहा. जबकि एक मार्च वर्ष 2021 में 77 क्यूसेक पानी गौला नदी में है.
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सिंचाई विभाग के मुताबिक, हल्द्वानी शहर की पेयजल व्यवस्था के लिए जल संस्थान को रोजाना 30 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाती है. जबकि सिंचाई के लिए वर्तमान समय में 47 क्यूसेक ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है. जबकि ग्रामीण इलाकों में सिंचाई व्यवस्था सुचारू करने के लिए अलग-अलग नहरों के लिए रोजाना 400 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है, लेकिन उसके सापेक्ष में वर्तमान समय में मात्र 47 क्यूसेक ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है. सिंचाई विभाग के मुताबिक, मार्च के प्रथम सप्ताह में गौला बैराज जल स्तर का रिकॉर्ड तोड़ गिरा है. ऐसे में अगर जल्द बरसात नहीं हुई तो आने वाले दिनों में सिंचाई के लिए संकट पैदा हो जाएगा.
मामले में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का कहना है कि गौला बैराज का जलस्तर गिरना चिंताजनक है. इसे लेकर आने वाले दिनों में गौला नदी के आसपास बोरवेल तैयार किए जाएंगे. जिसके माध्यम से बरसात के दिनों में गौला नदी को रिचार्ज करने का काम किया जाएगा. इसके अलावा पेयजल संकट के मद्देनजर अभी से अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.