नैनीताल: सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के तीन वकीलों राकेश थपलियाल, पंकज पुरोहित और सुभाष उपाध्याय को उच्च न्यायालय का जज बनाने के संस्तुति की है. इसके साथ रजिस्ट्रार जनरल विवेक भारती शर्मा को भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय का जज बनाये जाने की संस्तुति की गई है.
नैनीताल हाईकोर्ट को मिलेंगे चार नए जज: इन अधिवक्ताओं और रजिस्ट्रार जनरल को हाईकोर्ट का जज बनाये जाने की संस्तुति नैनीताल उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने की थी. कॉलेजियम ने ये संस्तुति सितंबर 2022 में की थी. हाईकोर्ट के कॉलेजियम की संस्तुति की फाइल इसी महीने पहली अप्रैल को उच्चतम न्यायालय पहुंची. उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा भेजी गई संस्तुति की फाइल पर उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम ने भी अपनी मुहर लगा दी है. ऐसे में उम्मीद जगी है कि अतिशीघ्र नैनीताल उच्च न्यायालय को 4 नए जज मिल जाएंगे. दरअसल नैनीताल एचसी में जजों के कई पद खाली हैं. इन पदों को भरने की मांग उच्च न्यायालय के वकीलों की ओर से लगातार की रही है.
सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने की संस्तुति: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं में से केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता असिस्टेंट सॉलिसिटर जर्नल राकेश थपलियाल, यूके एससीसी की ओर से पैरवी कर रहे पंकज पुरोहित और पूर्व स्थायी अधिवक्ता सुभाष उपाध्याय और रजिस्ट्रार जनरल विवेक भारती शर्मा को उत्तराखंड हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाये जाने की संस्तुति उच्च न्यायलय की ओर से भेजे गए प्रार्थना पत्र पर देश के प्रधान न्यायाधीश ने अपनी मुहर लगा दी है. अब राष्ट्रपति इनके आवेदन पर हस्ताक्षर करके इन्हें नियुक्ति पत्र प्रेषित करेंगे.
इन अधिवक्ताओं व रजिस्ट्रार जनरल को हाईकोर्ट का जज बनाये जाने की संस्तुति उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने सितंबर 2022 में की थी. आशा है कि जल्दी ही उत्तराखंड हाईकोर्ट को चार नए न्यायाधीश मिल जाएंगे.
नैनीताल हाईकोर्ट में कम हैं जज: उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबे समय से जजों के कई पद रिक्त चल रहे हैं. वर्तमान में उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सहित 11 पद स्वीकृत हैं. पहले ये 6 पद थे. केसों की संख्या को देखकर केंद्र सरकार ने पदों की संख्या में इजाफा किया. वादकारियों का दुर्भाग्य है कि आज की तिथि तक उच्च न्यायालय के 11 पदों में कभी पूर्ण भर्ती नहीं हुई. इसकी वजह से उच्च न्यायालय से न्याय की आस लगा रहे वादकारियों का समय बर्बाद हो रहा है.