हल्द्वानी: सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन हल्द्वानी से 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव विकास से कोसों दूर है. इस गांव में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. गौलानदी के पार बसे इस गांव के लोग आज भी रस्सी और तार से बनी ट्रॉली के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करने को मजबूर हैं. पुल नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल आने जाने वाले बच्चों को उठानी पड़ रही है.
हल्द्वानी से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर बसा दानीजाला गांव को ब्रिटिश कालीन गांव कहा जाता है. करीब 30 परिवारों वाले इस गांव में हर परिवार से कोई न कोई सेना में है और देश की रक्षा कर रहा है, लेकिन आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. लोगों ने इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए कई बार आंदोलन किया और जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, लेकिन इनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी.
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दानीजला गांव के लोग सामान्य दिनों में तो नदी को पैदल ही पार कर आते-जाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के 3 महीनों में होती है, जब नदी उफान पर होती है. इस दौरान इस गांव का संपर्क शहर से टूट जाता है.
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए किसी सरकार या जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की. गर्मी के दिनों में लकड़ी का अस्थायी फुल बनाकर नदी पार की जाती है. परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब कोई बीमार होता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों ने अपने खर्चे से ट्रॉली का निर्माण किया है और मजबूरन ट्रॉली में जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं.