ETV Bharat / state

रस्सी के सहारे उफनती नदी को पार करते हैं ग्रामीण, सैनिकों के इस गांव से विकास है कोसों दूर - काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव

काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव के लोग अस्थाई रोपवे के सहारे उफनाती गौला नदी पार करने को मजबूर हैं, जिससे ग्रामीणों में काफी रोष है. लोगों ने सरकार से गौला नदी पर पुल बनवाने की मांग की है.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Jul 17, 2019, 12:20 PM IST

Updated : Jul 17, 2019, 12:38 PM IST

हल्द्वानी: सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन हल्द्वानी से 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव विकास से कोसों दूर है. इस गांव में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. गौलानदी के पार बसे इस गांव के लोग आज भी रस्सी और तार से बनी ट्रॉली के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करने को मजबूर हैं. पुल नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल आने जाने वाले बच्चों को उठानी पड़ रही है.

हल्द्वानी से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर बसा दानीजाला गांव को ब्रिटिश कालीन गांव कहा जाता है. करीब 30 परिवारों वाले इस गांव में हर परिवार से कोई न कोई सेना में है और देश की रक्षा कर रहा है, लेकिन आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. लोगों ने इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए कई बार आंदोलन किया और जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, लेकिन इनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी.

रस्सी के सहारे चल रही इस गांव की जिंदगी

पढ़ें- चंद्रभागा नदी के किनारे अवैध बस्तियां होंगी खाली, NGT ने दिया आदेश

दानीजला गांव के लोग सामान्य दिनों में तो नदी को पैदल ही पार कर आते-जाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के 3 महीनों में होती है, जब नदी उफान पर होती है. इस दौरान इस गांव का संपर्क शहर से टूट जाता है.

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए किसी सरकार या जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की. गर्मी के दिनों में लकड़ी का अस्थायी फुल बनाकर नदी पार की जाती है. परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब कोई बीमार होता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों ने अपने खर्चे से ट्रॉली का निर्माण किया है और मजबूरन ट्रॉली में जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं.

हल्द्वानी: सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन हल्द्वानी से 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव विकास से कोसों दूर है. इस गांव में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है. गौलानदी के पार बसे इस गांव के लोग आज भी रस्सी और तार से बनी ट्रॉली के सहारे अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार करने को मजबूर हैं. पुल नहीं होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल आने जाने वाले बच्चों को उठानी पड़ रही है.

हल्द्वानी से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर बसा दानीजाला गांव को ब्रिटिश कालीन गांव कहा जाता है. करीब 30 परिवारों वाले इस गांव में हर परिवार से कोई न कोई सेना में है और देश की रक्षा कर रहा है, लेकिन आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है. लोगों ने इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए कई बार आंदोलन किया और जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, लेकिन इनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी.

रस्सी के सहारे चल रही इस गांव की जिंदगी

पढ़ें- चंद्रभागा नदी के किनारे अवैध बस्तियां होंगी खाली, NGT ने दिया आदेश

दानीजला गांव के लोग सामान्य दिनों में तो नदी को पैदल ही पार कर आते-जाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के 3 महीनों में होती है, जब नदी उफान पर होती है. इस दौरान इस गांव का संपर्क शहर से टूट जाता है.

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए किसी सरकार या जनप्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की. गर्मी के दिनों में लकड़ी का अस्थायी फुल बनाकर नदी पार की जाती है. परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब कोई बीमार होता है. ग्रामीणों का कहना है कि उन लोगों ने अपने खर्चे से ट्रॉली का निर्माण किया है और मजबूरन ट्रॉली में जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं.

Intro:sammry- तार और रस्सी के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी ट्राली के सहारे कर रहे हैं स्कूली बच्चे नदी पार। एंकर- सरकार विकास की बड़े बड़े दावे तो करती है लेकिन इसका जीता जाता उदाहरण हल्द्वानी से 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम स्थित दानीजाला गांव में देखने को मिल रहा है जहां इस गांव में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। नदी के उस पार बसे गांव कि लोग आज भी अपने हाथों से बनाए तार और रस्सी से बनाए ट्रॉली के सहारे अपनी जान जोखिम में डाल उफनती नदी को पार कर रहे हैं। यही नहीं जरा भी चूक हुई तो ट्रॉली में जा रहा आदमी सीधे मौत के मुंह में समा जाएगा। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल आने जाने वाले बच्चों को उठाना पड़ रहा है। देखिए एक रिपोर्ट.........


Body:नैनीताल जिले के भीमताल विधानसभा क्षेत्र और हल्द्वानी से मात्र 8 किलोमीटर दूर बसा दानीजाला गांव ब्रिटिश कालीन गांव कहा जाता है । एक रस्सी चल रही ट्राली के जरिए उफनती गोलानदी को पार कर रहे स्कूली बच्चों की यह तस्वीरें नैनीताल जिले के काठगोदाम के दानीजाला गांव की है। जान हथेली पर लेकर नदी पार कर रहे खतरा इस कदर है कि थोड़ा भी चूक हुई तो सीधे बच्चे मौत के मुंह में समा जाएंगे लेकिन मजबूरी पढ़ाई कर भविष्य बनाने की है। मजबूरन स्कूली बच्चे इसी तरह रोजाना मौत और जिंदगी से लड़ाई लड़ा स्कूल आते जाते हैं। करीब 30 परिवारों वाला इस गांव में हर परिवार से कोई न कोई सेना में देश की रक्षा कर रहा है लेकिन आज भी यह गांव विकास से कोसों दूर है। लोगों ने इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए कई बार आंदोलन और जनप्रतिनिधियों से भी मिले लेकिन इनकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। गौला नदी के उस पार बसा दानीजला गांव कि लोग अन्य दिनों में नदी को पैदल पाकर गांव में जाते हैं लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के 3 महीनों में ग्रामीणों को उठाना पड़ता है जब नदी उफान पर होती है तो इस गांव का संपर्क प्रदेश कट जाता है क्योंकि नदी के उस पार बसे गांव में पहुंचने का कोई भी विकल्प नही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सरकार ने या जनप्रतिनिधियों ने कभी भी कोई पहल नहीं की गर्मी के दिनों में लकड़ी का टेंपरेरी फुल बना नदी पार करते हैं बरसातों में सबसे ज्यादा परेशानी उनको उठाना पड़ता है। क्योंकि नदी उफान पर रहती है गांव में कोई बीमार पड़ जाए या बच्चों को स्कूल आने जाने की सबसे ज्यादा परेशानी होती है । जिसको देखते हुए उन्होंने अपने खर्चे से ट्रॉली का निर्माण किया है और मजबूरन इस ट्रॉली में जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं और खुद नदी को पार करते है। बाइट- ग्रामीण बाइट- ग्रामीण बाइट स्कूली छात्रा


Conclusion:गोलानदी पर ट्राली के सहारे आवाजाही करते ग्रामीण हो अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं। प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है जब उफनती नदियों के बीच ग्रामीण पिछले कई सालों से ट्राली के भरोसे जिंदगी काटने को मजबूर हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रशासन जल्द से जल्द ग्रामीणों को इस परेशानी को दूर कर सके और रोजाना मौत और जिंदगी से हो रही लड़ाई से निजात मिल सके।
Last Updated : Jul 17, 2019, 12:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.