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राजाजी नेशनल पार्क में बाघों की मौत का मामला, एसटीएफ ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट

22 मार्च 2018 को मुखबिर ने वन विभाग को सूचना दी थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों ने गुलदार और बाघ का शिकार करके उनके अंगों को जमीन में दफना दिया है. इसपर त्वरित कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने खुदाई कर टाइगर और लेपर्ड के अंगों को बरामद किया.

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Published : Nov 14, 2019, 7:35 PM IST

Updated : Nov 14, 2019, 10:13 PM IST

एसटीएफ ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट

नैनीतालः राजाजी नेशनल पार्क में हुई बाघों की मौत के मामले पर एसटीएफ ने 800 पेज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. वहीं, बाघों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसटीएफ को जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता समेत राज्य सरकार व अन्य लोगों को मुहैया कराने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर ने वन विभाग को सूचना दी थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों ने लेपर्ड और टाइगर का शिकार करके उनके अंगों को जमीन में दफना रखा है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर टाइगर और लेपर्ड के अंगों को बरामद किया.

वहीं, इन अंगों को जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून भेजा गया. जिसमें स्पष्ट हुआ कि बरामद हुए अंग लेपर्ड और टाइगर के ही हैं. इस मामले की जांच आईएफएस मनोज चन्द्रन द्वारा की गई थी. जिसमें उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी, 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों कि मिलीभगत होने की बात कही.

ये भी पढ़ेंःजंग-ए-आजादी में चार बार दून जेल में रहे थे कैद, हर दास्तां बयां करता है नेहरू वार्ड

जबकि, इस जांच रिपोर्ट को उनके द्वारा सीजीएम कोर्ट देहरादून को भी सौंपा गया था. जिसके बाद मनोज चंद्रन ने जानवरों के शिकार के मामले में संदिग्ध कई आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है. लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी.

वहीं, राज्य सरकार ने बाघों के मौत के मामले में शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए अधिकारी मनोज चंद्रन को जांच से हटाकर डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल को एसटीएफ से जांच कराने के आदेश दिए हैं. क्योंकि विभाग मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं था.

नैनीतालः राजाजी नेशनल पार्क में हुई बाघों की मौत के मामले पर एसटीएफ ने 800 पेज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. वहीं, बाघों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसटीएफ को जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता समेत राज्य सरकार व अन्य लोगों को मुहैया कराने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर ने वन विभाग को सूचना दी थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों ने लेपर्ड और टाइगर का शिकार करके उनके अंगों को जमीन में दफना रखा है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर टाइगर और लेपर्ड के अंगों को बरामद किया.

वहीं, इन अंगों को जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून भेजा गया. जिसमें स्पष्ट हुआ कि बरामद हुए अंग लेपर्ड और टाइगर के ही हैं. इस मामले की जांच आईएफएस मनोज चन्द्रन द्वारा की गई थी. जिसमें उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी, 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों कि मिलीभगत होने की बात कही.

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जबकि, इस जांच रिपोर्ट को उनके द्वारा सीजीएम कोर्ट देहरादून को भी सौंपा गया था. जिसके बाद मनोज चंद्रन ने जानवरों के शिकार के मामले में संदिग्ध कई आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है. लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी.

वहीं, राज्य सरकार ने बाघों के मौत के मामले में शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए अधिकारी मनोज चंद्रन को जांच से हटाकर डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल को एसटीएफ से जांच कराने के आदेश दिए हैं. क्योंकि विभाग मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं था.

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राजाजी नेशनल पार्क में बाघों की मौत और उनके दांत और हड्डी मिलने के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता समेत राज्य सरकार को शपथ पत्र द्वारा जवाब पेश करने के दिए आदेश।

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राजाजी नेशनल पार्क में हुई बाघों की मौत के मामले पर एसटीएफ ने 800 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है, वही बाघों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसटीएफ को जांच रिपोर्ट सामान्य दर पर याचिकाकर्ता समेत राज्य सरकार व अन्य लोगों को देने के आदेश दिए हैं, वहीं याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने आदेश दिए हैं कि वह एसटीएफ द्वारा पेश की गई जांच रिपोर्ट का अध्ययन करें और कोर्ट को बताएं कि पूर्व में बाघों की मौत मामले पर पूर्व जाँच अधिकारी मनोज चंद्रन द्वारा पेश की गई जांच रिपोर्ट से मैच करती है या नहीं, वही अब मामले की अंतिम सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।



Body:आपको बता दें कि दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर द्वारा वन विभाग को सूचना दी गई थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों द्वारा लेपर्ड पर टाइगर का शिकार करके उसके अंगों को जमीन में दफना रखा है इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर टाइगर और लेपड के अंगों को निकाला गया,, जिसके बाद इन अंगों की जांच कराने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून भेजा जिसमें स्पष्ट हुआ कि बरामद किए गए अंग लेपर्ड व टाइगर के हैं इस मामले की जांच आई एफ एस मानोज चन्द्रन द्वारा की गई जिसमें उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी,और 15 शिकारीयो समेत विभाग के कई कर्मचारीयो कि मिली भगत होने की बात कही।


Conclusion:इस रिपोर्ट को उनके द्वारा सीजीएम कोर्ट देहरादून को भी सौंपी गई,,,और मनोज चंद्रन द्वारा जानवरो के शिकार के मामले मे संदिग्ध कई आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी,, परंतु राज्य सरकार द्वारा मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी साथ ही सरकार ने इन बाघों के मौत के मामले में शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए अधिकारी मनोज चंद्रन से जांच हटाकर नई एसटीएफ गठित कर डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल से कराने के आदेश दिए,, क्योंकि विभाग मनोज चंदन की जांच से संतुष्ट नहीं था।

बाइट-विवेक शुकला,अधिवक्ता याचिकाकर्ता
Last Updated : Nov 14, 2019, 10:13 PM IST
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