नैनीतालः राजाजी नेशनल पार्क में हुई बाघों की मौत के मामले पर एसटीएफ ने 800 पेज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. वहीं, बाघों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एसटीएफ को जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता समेत राज्य सरकार व अन्य लोगों को मुहैया कराने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र पांडे ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 22 मार्च 2018 को मुखबिर ने वन विभाग को सूचना दी थी कि राजाजी नेशनल पार्क के दूधिया रेंज में तस्करों ने लेपर्ड और टाइगर का शिकार करके उनके अंगों को जमीन में दफना रखा है. इस शिकायत पर वन विभाग द्वारा खुदाई कर टाइगर और लेपर्ड के अंगों को बरामद किया.
वहीं, इन अंगों को जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून भेजा गया. जिसमें स्पष्ट हुआ कि बरामद हुए अंग लेपर्ड और टाइगर के ही हैं. इस मामले की जांच आईएफएस मनोज चन्द्रन द्वारा की गई थी. जिसमें उन्होंने वन विभाग के 11 अधिकारी, 15 शिकारियों समेत विभाग के कई कर्मचारियों कि मिलीभगत होने की बात कही.
ये भी पढ़ेंःजंग-ए-आजादी में चार बार दून जेल में रहे थे कैद, हर दास्तां बयां करता है नेहरू वार्ड
जबकि, इस जांच रिपोर्ट को उनके द्वारा सीजीएम कोर्ट देहरादून को भी सौंपा गया था. जिसके बाद मनोज चंद्रन ने जानवरों के शिकार के मामले में संदिग्ध कई आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है. लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की अनुमति नहीं दी.
वहीं, राज्य सरकार ने बाघों के मौत के मामले में शामिल अधिकारियों को बचाने के लिए अधिकारी मनोज चंद्रन को जांच से हटाकर डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल को एसटीएफ से जांच कराने के आदेश दिए हैं. क्योंकि विभाग मनोज चंद्रन की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं था.