हल्द्वानी: कुमाऊं मंडल में हर जगह रामलीला के धूम देखने को मिल रही है. आदर्श रामलीला कमेटी लालकुआं के तत्वाधान में आयोजित रामलीला के तीसरे दिन भगवान श्रीराम द्वारा शिव धनुष तोडक़र सीता के साथ विवाह का मंचन हुआ.इस अवसर पर मैदान में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.
रामलीला समारोह में मिथिला नरेश राजा जनक के निमंत्रण पर राम-लखन विश्वामित्र के साथ सीता स्वयंवर में पहुंचते. लंकापति रावण बिना निमंत्रण के सीता स्वयंवर में पहुंचे.यह देखकर सभापति बाणासुर रावण का परिचय पूछते हैं .जिस पर रावण क्रोध से तमतमा उठता है और फिर यही से रावण और बाणासुर का संवाद शुरू होता है. रावण राजा जनक से समारोह में निमंत्रण न करने पर कारण पूछता है.जनक कहते है कि समुद्र पार लंका जाना संभव नहीं था.इसलिए निमंत्रण नहीं भेज सके.रावण और क्रोधित हो जाता है और कहता है कि अगर आप ने समुद्र में एक पत्र भी डाल दिया होता तो समुद्र में इतना साहस नहीं होता कि हम तक न पहुंचा देता. जिसके बाद दोनों में लंबा संवाद होता है.
सभी राजाओं ने धनुष तोड़ने की कोशिश की, लेकिन किसी से धनुष हिला तक नहीं.आमंत्रण पर सीता के स्वयंवर में विश्वामित्र ने अपने शिष्य श्री राम को शिव के धनुष को तोड़ने का आदेश दिया, जैसे भगवान राम ने शिव धनुष को तोड़ा तीनों लोक हिल गए. रामलीला कमेटी में प्रभु श्रीराम ने शिव के धनुष को तोड़ा तो जय श्रीराम के नारे से पूरा रामलीला परिसर गूंज उठा. जनक नंदिनी सीता ने प्रभू श्रीराम को वरमाला पहनाई.इस दृश्य के साथ ही कलाकारों ने धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर व सीता-राम विवाह का भी शानदार मंचन किया.