हल्द्वानी: तराई पूर्वी वन प्रभाग (Terai East Forest Division) के कई क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के पसंदीदा वास स्थल है. हर साल ठंड के मौसम में यहां पर हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. ऐसे में इन प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा वन विभाग के लिए भी चुनौती बनी रहती है. वहीं वन विभाग (Haldwani Forest Department) अब इन प्रवासी पक्षियों (siberian bird) की गणना करने जा रहा है, जिससे कि प्रवासी पक्षियों के विषय में वन विभाग को पूरी जानकारी हो सके. गणना के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं जो ड्रोन, दूरबीन सहित अन्य तकनीक की मदद लेंगी.
सात समंदर पार कर आने वाले साइबेरियन मेहमानों ने उत्तराखंड में डेरा डाल दिया है. वहीं इस मौसम में कलरव करते साइबेरियन पक्षियों का झुंड देखते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ रही है. ठंड शुरू होने के साथ ही साइबेरियन बर्ड नदी, बैराज की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं. जिन्हें देख कर सैलानियों के चेहरे पर भी खुशी साफ देखी जा सकती है.
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार (Haldwani DFO Sandeep Kumar) ने बताया कि प्रवासी पक्षी अब धीरे-धीरे बैगुल डैम, धौराडैम, नानक सागर डैम, मल्ला खल्ला ग्रास लैंड, सुरई रेंज आने शुरू हो गए हैं. इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग को निर्देशित किया गया है. उन्होंने बताया कि इस साल प्रवासी पक्षियों की गणना की जाएगी, जिससे कि इन पक्षियों के विषय में जानकारी हासिल हो सके.
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पक्षियों की गणना के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं, जो ड्रोन, दूरबीन, सहित अन्य तकनीकी के माध्यम से इन पक्षियों की गणना करेंगे. उन्होंने बताया कि पिछले साल भी इन पक्षियों की गणना हुई थी जहां 106 प्रजाति के पक्षी सामने आए थे. पिछले साल करीब 4000 प्रवासी पक्षी तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्र में देखे गए. उन्होंने बताया कि इन प्रजातियों में साइबेरियन प्रजाति के साथ-साथ पहली बार यूरोपियन देशों की पक्षियां देखी गई थी.