हल्द्वानी: प्रदेश सरकार ने अपने शासनादेश में 2 नवंबर से 10वीं और 12वीं तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल की कक्षाओं का संचालन करने को कहा है. जिसके बाद सरकारी स्कूलों में तो कक्षाओं का संचालन शुरू हो गया है, लेकिन निजी स्कूलों का संचालन दूसरे दिन भी नहीं किया गया. शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों से जवाब मांगा है.
प्रदेश सरकार की SOP के मुताबिक 2 नवंबर से प्रदेश भर के सभी सरकारी और निजी स्कूल खुलने और 10वीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं का संचालन होना है. वहीं, हल्द्वानी समेत प्रदेश के अन्य जिलों में अधिकांश निजी स्कूल अभी तक नहीं खुले हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल नहीं खोलने का कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है. वहीं, मुख्य शिक्षाधिकारी केके गुप्ता ने एक पत्र जारी कर कहा है कि सभी निजी स्कूल, संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों को स्कूल खोलने की रूपरेखा के बारे में 3 दिन के भीतर अवगत कराएं.
ये भी पढ़ें: भारत-नेपाल सीमा पर वनकर्मियों पर तस्करों ने की फायरिंग, वनकर्मी घायल
आखिर क्या कहते हैं निजी स्कूलों के संचालक...
निजी स्कूलों के संचालकों का कहना है कि SOP की जटिलता उन्हें परेशान कर रही है और ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड पर बच्चों को पढ़ा पाना बिल्कुल भी संभव नहीं है. वो स्कूल तो खोलना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए. इसकी जानकारी वह शिक्षा विभाग को दे चुके हैं. वहीं, शिक्षाधिकारी कमलेश कुमार गुप्ता का कहना है कि स्कूलों की ओर से शासन की गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाएगा तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी.
ये भी पढ़ें: नमामि गंगे से धुलेंगे सुसवा नदी के 'दाग', दोबारा बनेगी जीवनदायिनी
वहीं, मुख्य शिक्षाधिकारी कमलेश कुमार गुप्ता का कहना है कि 29 अक्तूबर को GGIC में हुई बैठक में सभी निजी स्कूलों को 2 नवंबर से खोलने के निर्देश दिए गए थे. इसके बावजूद स्कूल ना खोला जाना ये दर्शाता है कि ये कृत्य पूरी तरह से जारी शासनादेश का उल्लंघन है. सभी निजी स्कूल के संचालक शासनादेश में दी गई शर्तों का अनुपालन करते हुए विद्यालय संचालन की रूपरेखा, खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से उन्हें 3 दिन के भीतर उपलब्ध कराएं.