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रामनगर: जयंती पर शहीद भगत सिंह को किया याद - जयंती पर भगत सिंह को दी श्रद्धांजलि

नैनीताल के रामनगर में शहीद भगत सिंह की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला गया. साथ ही देश के प्रति उनके योगदान को याद किया गया.

bhagat singh birthday celebration ramnagar
शहीद भगत सिंह को किया गया याद.
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Published : Sep 28, 2020, 1:52 PM IST

रामनगर: आजादी के गीतों के साथ शहीद-ए-आजम भगत सिंह को उनके जन्मदिन पर याद किया गया. रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल पर वन चौकी पूर्वी सावल्दें पूर्वी, भगतपुर तडियाल, हाथीडंगर में मुख्य कार्यक्रम हुए.

शहीद भगत सिंह को किया गया याद.

कार्यक्रम में यूकेजे जेमर्स के तुषार बिष्ट, नीरज चौहान, आभा बिष्ट ने हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा, मेरा रंग दे बसंती चोला, सरफरोशी की तमन्ना जैसे देश भक्ति गीत गाए. प्रतिभागी बच्चों ने भगत सिंह के जीवन के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला. कार्यक्रम में प्रतिभाग लेने वाली छात्रा गीतांजलि ने कहा कि आज हमें गुरुओं के माध्यम से भगत सिंह के जीवन के बारे में जानने का मौका मिला. साथ ही कई कुमाऊंनी गानों के जरिए शहीदों के बारे में जाना.

यह भी पढ़ें-कॉर्बेट में एक अक्टूबर से है वन्य जीव सप्ताह, ये रहा पूरा शेड्यूल...

वहीं शिक्षक मंडल संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा मृत्यु के समय भगत सिंह की उम्र सिर्फ 23 वर्ष की थी. इस छोटे से जीवनकाल में और इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित करने के साथ ही उन्होंने तमाम विषयों पर इतना कुछ पढ़ा व लिखा, जो उनकी समाज के प्रति वैज्ञानिक यथार्थवादी समझ से ही संभव हो पाया.

रामनगर: आजादी के गीतों के साथ शहीद-ए-आजम भगत सिंह को उनके जन्मदिन पर याद किया गया. रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल पर वन चौकी पूर्वी सावल्दें पूर्वी, भगतपुर तडियाल, हाथीडंगर में मुख्य कार्यक्रम हुए.

शहीद भगत सिंह को किया गया याद.

कार्यक्रम में यूकेजे जेमर्स के तुषार बिष्ट, नीरज चौहान, आभा बिष्ट ने हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा, मेरा रंग दे बसंती चोला, सरफरोशी की तमन्ना जैसे देश भक्ति गीत गाए. प्रतिभागी बच्चों ने भगत सिंह के जीवन के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला. कार्यक्रम में प्रतिभाग लेने वाली छात्रा गीतांजलि ने कहा कि आज हमें गुरुओं के माध्यम से भगत सिंह के जीवन के बारे में जानने का मौका मिला. साथ ही कई कुमाऊंनी गानों के जरिए शहीदों के बारे में जाना.

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वहीं शिक्षक मंडल संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा मृत्यु के समय भगत सिंह की उम्र सिर्फ 23 वर्ष की थी. इस छोटे से जीवनकाल में और इतनी कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित करने के साथ ही उन्होंने तमाम विषयों पर इतना कुछ पढ़ा व लिखा, जो उनकी समाज के प्रति वैज्ञानिक यथार्थवादी समझ से ही संभव हो पाया.

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