नैनीताल: मध्य हिमालयी क्षेत्रों में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए माउस विद्यालय के तत्वाधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें देश भर के कई विश्वविद्यालयों समेत यूनाइटेड किंगडम की न्यू कैस्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने जलवायु परिवर्तन पर गहनता से मंथन कर अपने विचार रखे.
सेमिनार में पहुंचे वैज्ञानिकों ने कहा कि जिस तरह से पूरे विश्व के साथ-साथ मध्य हिमालय क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है वे चिंता का विषय है. जिससे आने वाले दिनों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, लगातार बढ़ने तापमान की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत पूरी तरह सूखने लगे हैं और आने वाले समय में मध्य हिमालयी क्षेत्रों में खेती पूरी तरह से प्रभावित होगी. जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा.
वहीं, कुमाऊं विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर पीसी तिवारी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से नैनीताल के रामगढ़ क्षेत्र में बारिश पहले की अपेक्षा 11% कम हो रही है. जिससे रामगढ़ समेत आस-पास के क्षेत्र के लोगों की खेती पर गहरा असर पड़ रहा है. नैनीताल का यह रामगढ़ क्षेत्र पहाड़ी फल और अच्छी फसल पैदावार के लिए जाना जाता रहा है. जिसका असर पहाड़ी काश्तकारों पर पड़ेगा क्योंकि बारिश न होने से इसका बुरा प्रभाव किसानों की फसल पर पड़ेगा.
बारिश कम होने की वजह से क्षेत्र में अतिवृष्टि बड़ी है जो आने वाले समय के लिए चिंता का विषय है. इस दौरान प्रोफेसर तिवारी ने कहा कि अगर समय रहते लोग नहीं चेते तो पीने के पानी और खेती पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, जिसके लिए केवल हम लोग जिम्मेदार होंगे.