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कुमाऊं में स्क्रब टाइफस की दस्तक से हड़कंप, यहां जानिए लक्षण और उपाय - Sushila Tiwari Hospital in Haldwani

बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले आते हैं. विभाग का दावा है कि स्क्रब टाइफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है. साथ ही इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

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Published : Sep 20, 2022, 10:50 AM IST

Updated : Sep 20, 2022, 11:14 AM IST

हल्द्वानी: डेंगू, कालाजार बीमारी के कई दशक के बाद अब कुमाऊं मंडल में नई बीमारी स्क्रब टाइफस वायरस (scrub typhus virus) ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी के आने के बाद सुशीला तिवारी अस्पताल (Haldwani Sushila Tiwari Hospital) पूरी तरह से अलर्ट पर है. अस्पताल में इस वायरस के 7 मरीज भर्ती हैं. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक पहाड़ के अलावा उधम सिंह नगर से इस बीमारी के मरीज अस्पताल में पहुंचे हैं. जहां जांच के दौरान इनकी पुष्टि हुई है. इस महीने अभी तक सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस के 34 मामले सामने आ चुके हैं.

सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य (Sushila Tiwari Hospital Principal) डॉक्टर अरुण जोशी ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस (haldwani scrub typhus virus) के सात मरीज भर्ती हैं, जिसमें अधिकतर मरीज पहाड़ों के हैं. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मुख्य रूप से मरीजों में 5 दिन से अधिक बुखार रहना और मरीज की हालत लगातार गिरना मुख्य लक्षण हैं. यहां तक कि समय से इसका इलाज नहीं मिलने पर फेफड़े और किडनी में संक्रमण फैलने की भी संभावना बनी रहती है. मुख्यतः ये बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलने वाला बीमारी है. इंसानों में यह बीमारी संक्रमित चिगर्स के काटने से फैलती है.

कुमाऊं में स्क्रब टाइफस की दस्तक से हड़कंप.
पढ़ें-हल्द्वानी में डेंगू के बीच जापानी इंसेफेलाइटिस की दस्तक, एक की मौत

उन्होंने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए पूर्व में भी जन जागरूकता अभियान चलाए जा चुका है. डॉ अरुण जोशी ने बताया कि स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया (orientia tsutsugamushi bacteria) के कारण होता है. संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से भी फैलता है. इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. यह वेक्टर जनित बीमारी है. कई मामलों में इस बीमारी में मल्टी आर्गन फेल्योर हो जाता है जिससे रोगी की मौत तक हो सकती है.
पढ़ें-डेंगू जैसे लक्षण लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव, डरने का नहीं, लड़ने का...

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार की शिकायत (Symptoms of scrub typhus) होती है. 104 से 105 डिग्री तक बुखार संभव है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू, कमर के नीचे गिल्टी/गांठ होना आदि इसके लक्षण हैं.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: स्क्रब टाइफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर और आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर और आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

हल्द्वानी: डेंगू, कालाजार बीमारी के कई दशक के बाद अब कुमाऊं मंडल में नई बीमारी स्क्रब टाइफस वायरस (scrub typhus virus) ने दस्तक दे दी है. इस बीमारी के आने के बाद सुशीला तिवारी अस्पताल (Haldwani Sushila Tiwari Hospital) पूरी तरह से अलर्ट पर है. अस्पताल में इस वायरस के 7 मरीज भर्ती हैं. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक पहाड़ के अलावा उधम सिंह नगर से इस बीमारी के मरीज अस्पताल में पहुंचे हैं. जहां जांच के दौरान इनकी पुष्टि हुई है. इस महीने अभी तक सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस के 34 मामले सामने आ चुके हैं.

सुशीला तिवारी अस्पताल के प्राचार्य (Sushila Tiwari Hospital Principal) डॉक्टर अरुण जोशी ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस (haldwani scrub typhus virus) के सात मरीज भर्ती हैं, जिसमें अधिकतर मरीज पहाड़ों के हैं. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मुख्य रूप से मरीजों में 5 दिन से अधिक बुखार रहना और मरीज की हालत लगातार गिरना मुख्य लक्षण हैं. यहां तक कि समय से इसका इलाज नहीं मिलने पर फेफड़े और किडनी में संक्रमण फैलने की भी संभावना बनी रहती है. मुख्यतः ये बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलने वाला बीमारी है. इंसानों में यह बीमारी संक्रमित चिगर्स के काटने से फैलती है.

कुमाऊं में स्क्रब टाइफस की दस्तक से हड़कंप.
पढ़ें-हल्द्वानी में डेंगू के बीच जापानी इंसेफेलाइटिस की दस्तक, एक की मौत

उन्होंने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए पूर्व में भी जन जागरूकता अभियान चलाए जा चुका है. डॉ अरुण जोशी ने बताया कि स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया (orientia tsutsugamushi bacteria) के कारण होता है. संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से भी फैलता है. इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. यह वेक्टर जनित बीमारी है. कई मामलों में इस बीमारी में मल्टी आर्गन फेल्योर हो जाता है जिससे रोगी की मौत तक हो सकती है.
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स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार की शिकायत (Symptoms of scrub typhus) होती है. 104 से 105 डिग्री तक बुखार संभव है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना. अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू, कमर के नीचे गिल्टी/गांठ होना आदि इसके लक्षण हैं.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: स्क्रब टाइफस से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर और आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर और आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

Last Updated : Sep 20, 2022, 11:14 AM IST
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