नैनीताल: वित्तीय अनियमितता मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने आईआईटी के निदेशक को राहत दी है. नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सीजेएम रुड़की के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सीजेएम ने आईआईटी के निदेश के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये थे. साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है.
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बता दें कि आईआईटी रुड़की में करीब एक करोड़ पांच लाख के गबन के मामले में आईआईटी प्रबंधन ने सीनियर असिस्टेंट धीरज उपाध्याय को निलंबित कर दिया था. साथ ही 18 जून 2020 को उसके खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी गई थी. विवेचना के दौरान धीरज ने अनियमितता के आरोप स्वीकार कर लिये थे.
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जिसके बाद धीरज को आईआईटी प्रशासन के द्वारा सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. 11 दिसंबर को उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी गई. इसी बीच पिछले साल 31 जुलाई को रिटायर कर्मचारी व आईआईटी कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी रहे मनपाल शर्मा ने एसीजेएम रुड़की के समक्ष याचिका दायर कर इस घपले में आईआईटी निदेशक अजित कुमार चतुर्वेदी, डीन मनीष श्रीखंडे, असिस्टेंट रजिस्ट्रार जितेंद्र डिमरी के शामिल होने का आरोप लगाते हुए एफआईआर के दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र दिया था.
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23 दिसंबर को रुड़की एसीजेएम कोर्ट ने निदेशक, असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश पुलिस को दिये. निचली अदालत के आदेश को निदेशक अजीत सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दी है.