हल्द्वानी: प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. जिससे कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद भी हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है, जिसकी तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं. कुमाऊं मंडल की सड़कें हर साल सड़क हादसों के चलते लाल हो रही हैं. सड़क हादसों के अधिकतर कारण तेज रफ्तार बताया जा रहा है तो वहीं पहाड़ों पर बदहाल सड़कें हादसों का कारण बन रही हैं. सड़क हादसा रोकने के लिए पुलिस हर माह समीक्षा बैठक भी करती है, लेकिन सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.
आंकड़े कर रहे हादसों की तस्दीक: बात कुमाऊं मंडल की करें तो कुमाऊं मंडल के 6 जनपदों में पिछले 12 महीनों में 725 सड़क हादसे हुए हैं. जिसमें 420 लोगों की जान गई, जबकि 638 लोग घायल हुए. सड़क हादसों की संख्या सबसे अधिक उधम सिंह नगर में सामने आई हैं. यहां पिछले साल जनवरी माह से लेकर दिसंबर माह तक 419 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 259 लोगों की जान गई है. जबकि 342 लोग घायल हुए हैं. सड़क हादसे में दूसरे नंबर पर नैनीताल जनपद है, जहां 246 सड़क हादसे हुए, जिसमें 114 लोगों की जान गई, जबकि 199 लोग घायल हो गए. अल्मोड़ा में 13 सड़क हादसे हुए जिसमें 8 लोगों की जान गई, जबकि 30 लोग घायल हुए, पिथौरागढ़ में 16 सड़क हादसे हुए जिसमें 5 लोगों की जान गई जबकि 14 लोग घायल हो गए. चंपावत में 25 सड़क हादसे हुए जिसमें 29 लोगों की जान गई, जबकि 47 लोग घायल हुए. बागेश्वर में 6 सड़क हादसे हुए जिसमें 5 लोगों की मौत हुई, जबकि 6 लोग घायल हुए हैं.
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कई बच्चे हुए अनाथ: यही नहीं इन सभी हादसों में वाहनों के तेजी और लापरवाही हादसे के कारण बनी है. 722 घटनाएं तेजी और लापरवाही से वाहन चलाने से हुई हैं. कुमाऊं में हर रोज सड़क हादसे हो रहे हैं. हादसों में किसी का सुहाग उजड़ रहा है तो कोई बहन अपने भाई खो रही है. कुछ हादसों ने तो कई बच्चों के मां-पिता दोनों को छीन लिए हैं. साल 2022 में सबसे बड़ा हादसा भीमताल में हुआ. इस हादसे में एक साथ पांच लोगों की मौत हो गई थी. चंपावत में पिकअप वाहन गिरने से 12 लोगों की मौत हुई थी.
जानिए हादसों का कारण: पुलिस की जांच रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि हादसों की वजह ओवरस्पीड के साथ चालकों को झपकी आना भी है. पर्यटक सीजन शुरू होने पर वाहन चालक कमाई के चक्कर में सही ढंग से सो नहीं पाते हैं. इसके अलावा दिल्ली, मुंबई व अन्य महानगरों से आने वाले वाहन चालक सैंकड़ों किलोमीटर का सफर बिना रुके तय करते हैं. वाहन को लगातार चलाने पर झपकी आने लगती है. वहीं पहाड़ के वाहन चालक भी एक रूट पर लगातार कई चक्कर लगा रहे हैं. इसके अलावा पहाड़ की जर्जर सड़कें भी हादसों के कारण बन रही हैं.
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क्या कह रहे जिम्मेदार: आईजी कुमाऊं डॉ. नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि पर्वतीय मार्गों पर कई डेंजर जोन व तीव्र मोड़ हैं, जिसके चलते कई बार हादसे होते हैं. इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों उधम सिंह नगर में सड़क हादसों का कारण अधिकतर कोहरा भी रहा है. उन्होंने कहा कि सड़क हादसे वाले प्वाइंट को पुलिस चिन्हित कर वहां पर संकेत चिह्न लगाने का काम कर रही है. साथ ही जहां कहीं सड़कें खराब हैं, संबंधित विभाग को अवगत कराकर उन्हें सुधारने का अनुरोध किया जाएगा. इसके अलावा पुलिस की हर माह समीक्षा बैठक की जाती है, जिसमें सड़क हादसे रोकने के लिए निर्देश भी जारी किए जाते हैं. वहीं पुलिस तेज रफ्तार से वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी करती है.