हल्द्वानी: नई पीढ़ी में नॉन वेज खाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. आज की युवा पीढ़ी अब नॉनवेज की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही है. बाजारों में भी तरह-तरह के स्वादिष्ट नॉनवेज भोजन मिलने के चलते लोग अब संडे हो या मंडे हर दिन नॉनवेज का सेवन कर रहे हैं. ऐसे में कई बार देखा गया है कि लोग नॉनवेज के इस्तेमाल से पहले कुछ जरुरी चीजों पर गौर करना भूल जाते हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य और सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. नॉनवेज खाने से पहले कई ऐसी बातें हैं जिनका विशेष ध्यान रखना पड़ता है. आइये हम आपको बताते हैं कि वो कौन से बाते हैं.
नॉनवेज खरीदने से पहले ध्यान रखे यें बातें
- मीट का रंग चेक कर ले
मांस के रंग से उसकी ताजगी का पता चल जाता है. मांस पर हरे रंग के धब्बे नहीं होने चाहिए. न ही इस पर ब्लड के थक्के होने चाहिए.
- मीट की खुसबू भी है खास
मांस खरीदने से पहले उसे सूंघ लें. इससे उसके ताजे होने का पता चल जाता है. ताजे मांस की खुसबू अलग ही होती है. बता दें ताजे मीट में तभी भी तेज गंध नहीं आते.
- टेक्सचर चेक कर ले
पोल्ट्री मीट में मसल्स फाइबर साफ-साफ दिखने चाहिए. जब भी आप मीट को छुएं तो वो चिपचिपा नहीं होना चाहिए. इसमें पानी भी नहीं निकलना चाहिए.
- खाद्य सुरक्षा का पैमाना तय करें
जहां से भी आप मीट ले ध्यान रखें कि वह दुकान FSSAI से प्रमाणित हो. जिससे कि सारे खाद्य सुरक्षा का पैमाने आपको मिल सकें.
- मीट के बारे में पता लगाएं
मीट खरीदते समय इस बात की जरुर ध्यान रखें. इस पर जरुर बात करें कि ये मीट कहां से कट कर आया है. इसके अलावा खरीदते समय मीट की गुणवत्ता जरूर जांच ले.
हल्द्वानी में नॉनवेज बिक्री को लेकर पड़ताल
हल्द्वानी में नॉनवेज का कारोबार बड़े स्तर पर किया जाता है. यहां सैकड़ों ऐसी दुकानें हैं जहां मीट, मुर्गा ,मछली की दुकानें खुली हुई हैं. नॉनवेज के शौकीन इन दुकानों पर जाकर बेधड़क खरीदारी करते हैं. मगर तब वे यह ध्यान नहीं देते हैं कि उनके द्वारा खरीदा गया मांस बासी है या ताजा. ईटीवी भारत ने इसे लेकर कई दुकानों पड़ताल की.
नियमों को दरकिनार कर बेचा जा रहा मीट
जिसमें कई दुकानों पर बासी कटा हुआ पाया गया. कई जगहों पर कटे हुए मांस को खुले में रखा गया था. यही नहीं कई जगहों पर नियमों को दरकिनार कर मीट बेचा जा रहा था. यहां तक कि कई मीट विक्रेता मीट को कोल्ड ड्रिप में रखे हुए थे.मुर्गे के दुकानों पर कई ऐसे मुर्गे देखे गए जो बीमार हालत में थे. उन्हें काट कर बेचा जा रहा था. ऐसे में अगर कोई इस तरह के मांस को खाता है तो साफतौर पर उसकी सेहत पर इसका असर पड़ेगा.
क्या कहते हैं सह नगर आयुक्त
वहीं, इस पूरे मामले में सहायक नगर आयुक्त विजेंद्र चौहान ने बताया कि हल्द्वानी में जहां भी मीट की बिक्री होती है वहां पर नियमों के तहत मीट की बिक्री कराई जा रही है. वधशाला में बकरे के वध करने से पहले डॉक्टर द्वारा परीक्षण किया जाता है. जिसके बाद उसका सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. जिसके बाद ही दुकानदार उस मीट को बेचता है.
उन्होंने बताया कि मीट विक्रेताओं के लिए सरकार द्वारा गाइडलाइन तय की गई है. जिसके तहत ही मीट विक्रेता बिक्री कर सकता है.
मीट विक्रेताओं के लिए गाइडलाइन
- मीट विक्रेता को नगर निगम या नगर पालिका के साथ-साथ खाद्य विभाग से भी लाइसेंस लेना आवश्यक है.
- मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए.
- पक्की दुकान में ही मीट विक्रेता मीट की बिक्री कर सकता है.
- पशु या पक्षी को केवल वधशाला में काटा जाएगा. वहां से मिलाकर दुकान में बैठने की अनुमति होती है.
- पशु के वध से पहले पशु चिकित्सक उस पशु के स्वास्थ होने को प्रमाणित करता है.
- मीट दुकानदार बीमार पशु और प्रेग्नेंट जानवर को नहीं काट सकते.
- मीट दुकानदार को मीट को अच्छी तरह से ढ़ककर रखना चाहिए. इसके अलावा दुकान के बाहर पर्दे या काले शीशे लगे होने आवश्यक हैं. जिससे कि बाहर से मीट पर किसी की नजर न पड़े.
- मीट की दुकान आबादी वाले क्षेत्र से बाहर होनी चाहिए.
- मीट दुकान विक्रेता के पास अपशिष्ट के निस्तारण की व्यवस्था होनी आवश्यक है.
- बूचड़खाने से वध करने के बाद मीट को फ्रीजर में सुरक्षित दुकान तक लाने की व्यवस्था होनी चाहिए.
- दुकानदार के पास अगर मीट बच जाता है तो उसको डीप फ्रीजर में उचित तापमान के अनुसार रखने की व्यवस्था हो. जिससे मीट खराब न हो.
वहीं ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में पाया कि हल्द्वानी के कई मीट विक्रेताओ द्वारा खुले में मीट को बेचा जा है. इसके अलावा अधिकतर दुकान कच्ची दुकानों में संचालन हो रही हैं. बूचड़खानों से दुकानों तक मीट लाने के लिए कोई संसाधन नहीं हैं.कटे मीट को रिक्शे या ठेले के माध्यम से मीट को दुकान तक लाया जा रहा है. कई दुकानदारों के पास तो अपशिष्ट के निस्तारण तक की भी व्यवस्था नहीं है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
नॉनवेज खाने को लेकर हमने डॉ. अजय दीक्षित से बात की. जिन्होंने बताया कि बासी मीट खाने से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है. बासी मीट खाने से सबसे ज्यादा आंतो पर असर पड़ता है. इसके अलावा पेट की कई बीमारियां उत्पन्न होने की संभावना रहती है.
बासी मीट हो सकता है खतरनाक
बासी मीट खाने से फूड प्वाइजनिंग भी हो सकती है. उन्होंने कहा नॉनवेज का सेवन करने से पहले इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा मीट को पकाने के दौरान भी उन्होंने विशेष ध्यान देने की बात कही. उन्होंने बताया मीट को अच्छी तरह से ही पकाकर खाना चाहिए. कच्चे मीट से बीमारियों से संक्रमण का खतरा रहता है.
नॉनवेज में होते हैं कई पोषक तत्व
डॉक्टरों की मानें तो अगर साफ और सही मीट की सेवन किया जाये तो उससे कई तरह के पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं. मीट में आयरन जिंक फास्फोरस और विटामिन बी के अलावा कई प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो कि शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं.
खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक साल में वसूला साढ़े ₹400000 का जुर्माना
वहीं, इस बारे में खाद्य सुरक्षा अधिकारी कैलाश टम्टा ने बताया कि बासी मीट को लेकर खाद्य विभाग ने भी पिछले एक साल में जमकर अभियान चलाया है. खाद्य विभाग द्वारा करीब 60 से अधिक मीट विक्रेताओं की दुकानों पर छापामारी कर चालान की कार्रवाई की गई है. जिसके तहत करीब साढ़ें ₹400000 का जुर्माना भी वसूला गया है. जबकि कई के मामले कोर्ट में लंबित हैं.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी कैलाश टम्टा का कहना है कि अगर मीट विक्रेताओं द्वारा गाइडलाइन को पालन नहीं किया जाएगा तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. एफएसडीए के किसी भी मानक का उल्लंघन करने पर उस मीट विक्रेता का लाइसेंस रद्द किया जाता है.