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रामनगर वन प्रभाग के इस 'खास' काम से रुकेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए रामनगर वन प्रभाग जंगलों में प्लांटेशन कर रहा है. ताकि, शाकाहारी जानवरों के पीछे गुलदार और बाघ जैसे मांसाहारी जानवर आबादी वाले क्षेत्रों का रुख न करें.

रामनगर वन प्रभाग
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Published : Sep 5, 2020, 4:02 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 4:54 PM IST

रामनगरः शाकाहारी वन्यजीवों के लिए भोजन की पूर्ण उपलब्धता के लिए रामनगर वन प्रभाग ने कई हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन कर रहा है. इससे इन वन्यजीवों के लिए जंगल मे ही भोजन की कमी पूरी होगी और वे आबादी वाले इलाकों में जाने को मजबूर नहीं होंगे. इस तरह शाकाहारी वन्यजीवों की तलाश के लिए गुलदार और मांसाहारी वन्यजीव आबादी वाले इलाकों से दूर रहेंगे.

वन प्रभाग की इस पहल से रुकेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

रामनगर वन प्रभाग गुलदार और बाघों का आबादी की तरफ आने पर अंकुश लगाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है. विभाग की मानें तो शाकाहारी वन्यजीव जंगलों में भोजन की कमी की वजह से आबादी की तरफ रुख कर रहे हैं. उनके पीछे इनको शिकार करने वाले मांसाहारी वन्यजीव भी आबादी वाले इलाकों की तरफ बढ़ रहे हैं. जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं.

वन प्रभाग रामनगर जंगलों में ही प्लांटेशन कर रहा है. जिससे जंगल के अंदर ही शाकाहारी वन्य जीव के लिए भोजन की उपलब्धता हो सके. ग्रासलैंड के पास स्थित भंडारपानी चौकी के वन दरोगा मदन मेहरा का कहना है कि हमारे द्वारा विकसित ग्रासलैंड में हाथियों और चीतल को घास खाते हुए अक्सर देखा जा रहा है.

पढ़ेंः देहरादून: उत्तराखंड में जल्द होगी नर्सों की भर्ती, स्वास्थ्य महकमे ने कसी कमर

रामनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि रामनगर वन प्रभाग वन्यजीव बहुमूल्य क्षेत्र है. यहां कोटा रेंज के भंडारपानी क्षेत्र में एक ग्रासलैंड है जो लगभग 10 हेक्टेयर का है. ये ग्रासलैंड इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर हाथियों सहित कई शाकाहारी वन्यजीव भोजन करते हैं. उनको किसी भी प्रकार की भोजन की कमी न हो, इसके लिए हमने 10 हेक्टेयर भूमि में लेंटाना (कुरी) का उन्मूलन कर कई प्रकार की घास का रोपण किया है.

चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि पिछले साल से इन क्षेत्रों में रोपण चल रहा है. यहां लोकल प्रजाति की घास का रोपण किया जा रहा है. जिसमें कुमेरिया घास, वनमंडुआ घास, सिरों घास, गनेरिया घास और गोड़िया घास शामिल हैं.

रामनगरः शाकाहारी वन्यजीवों के लिए भोजन की पूर्ण उपलब्धता के लिए रामनगर वन प्रभाग ने कई हेक्टेयर भूमि पर प्लांटेशन कर रहा है. इससे इन वन्यजीवों के लिए जंगल मे ही भोजन की कमी पूरी होगी और वे आबादी वाले इलाकों में जाने को मजबूर नहीं होंगे. इस तरह शाकाहारी वन्यजीवों की तलाश के लिए गुलदार और मांसाहारी वन्यजीव आबादी वाले इलाकों से दूर रहेंगे.

वन प्रभाग की इस पहल से रुकेगा मानव-वन्यजीव संघर्ष

रामनगर वन प्रभाग गुलदार और बाघों का आबादी की तरफ आने पर अंकुश लगाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है. विभाग की मानें तो शाकाहारी वन्यजीव जंगलों में भोजन की कमी की वजह से आबादी की तरफ रुख कर रहे हैं. उनके पीछे इनको शिकार करने वाले मांसाहारी वन्यजीव भी आबादी वाले इलाकों की तरफ बढ़ रहे हैं. जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की कई घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं.

वन प्रभाग रामनगर जंगलों में ही प्लांटेशन कर रहा है. जिससे जंगल के अंदर ही शाकाहारी वन्य जीव के लिए भोजन की उपलब्धता हो सके. ग्रासलैंड के पास स्थित भंडारपानी चौकी के वन दरोगा मदन मेहरा का कहना है कि हमारे द्वारा विकसित ग्रासलैंड में हाथियों और चीतल को घास खाते हुए अक्सर देखा जा रहा है.

पढ़ेंः देहरादून: उत्तराखंड में जल्द होगी नर्सों की भर्ती, स्वास्थ्य महकमे ने कसी कमर

रामनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि रामनगर वन प्रभाग वन्यजीव बहुमूल्य क्षेत्र है. यहां कोटा रेंज के भंडारपानी क्षेत्र में एक ग्रासलैंड है जो लगभग 10 हेक्टेयर का है. ये ग्रासलैंड इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पर हाथियों सहित कई शाकाहारी वन्यजीव भोजन करते हैं. उनको किसी भी प्रकार की भोजन की कमी न हो, इसके लिए हमने 10 हेक्टेयर भूमि में लेंटाना (कुरी) का उन्मूलन कर कई प्रकार की घास का रोपण किया है.

चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि पिछले साल से इन क्षेत्रों में रोपण चल रहा है. यहां लोकल प्रजाति की घास का रोपण किया जा रहा है. जिसमें कुमेरिया घास, वनमंडुआ घास, सिरों घास, गनेरिया घास और गोड़िया घास शामिल हैं.

Last Updated : Sep 5, 2020, 4:54 PM IST
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